छात्र संगठन उतरे हिमांशु कुमार के समर्थन में: गोम्पाड़ जनसंहार में निष्पक्ष जांच की मांग

साल 2009 में छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले के गोम्पाड़ में 16 आदिवासियों के मारे जाने की निष्पक्ष जांच की माँग करते हुए शनिवार को जन्तर-मन्तर पर संयुक्त प्रदर्शन आयोजित किया गया।

प्रदर्शन में सामाजिक कार्यकर्ता हिमान्शु कुमार के अलावा दिशा छात्र संगठन, विश्वविद्यालय छात्र फ़ेडरेशन (VCF) और क्रान्तिकारी युवा संगठन ने प्रदर्शन में भागीदारी की।

प्रदर्शकारियों की माँग है कि केंद्र सरकार के प्रभाव में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए इस फैसले को तत्काल रद्द किया जाए और गोम्पाड़ में हुए आदिवासियों की हत्या की जांच निष्पक्ष तरीके से की जाए।

वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें

इसके अलावा हिमांशु कुमार समेत तमाम जनवादी व नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं पर थोपे गये सभी मामलों को तुरन्त प्रभाव से वापस लिया जाये और सभी को दोषमुक्त करार दिया जाये।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, नंदिता नारायण व सरोज गिरी भी प्रदर्शन में शामिल हो इस मुद्दे पर अपनी बात रखी।

ज्ञात हो कि सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने वर्ष 2009 में दंतेवाड़ा में अलग-अलग जगह मारे गये 16 आदिवासियों की हत्या के मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस और केन्द्रीय सुरक्षा बलों के ख़िलाफ़ सीबीआई जांच की माँग की थी।

इसके लिए उन्होंने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। अब 13 साल बाद इन 16 आदिवासियों की हत्या की जाँच के मुद्दे पर दायर याचिका को उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिया है।

यही नहीं उच्चतम न्यायालय ने हिमांशु कुमार पर ही पाँच लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ सरकार को हिमांशु कुमार के ख़िलाफ़ भारतीय दण्ड संहिता की दफ़ा 211 के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया है।

16 आदिवासियों के मारे जाने के मामले में झूठा आरोप लगाने की दलील केन्द्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दी गई थी।

इसी साल अप्रैल में केंद्र सरकार की ओर से हिमांशु कुमार और अन्य याचिकाकर्ताओं के ख़िलाफ़ अदालत में आवेदन दिया गया और याचिकाकर्ताओं के ख़िलाफ़ ही सीबीआई या एनआईए से जांच की मांग की गई थी।

इससे पहले गुजरात नरसंहार के मामले में न्याय के लिए आवाज़ उठाये जाने पर सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को भी गिरफ़्तार किया गया है।

सरकारी और ग़ैर-सरकारी झूठों का भाण्डाफोड़ करने वाले ऑल्ट न्यूज़ के मोहम्मद ज़ुबैर को भी बड़ी मुश्किल से ज़मानत मिली है।

आज इंसाफ़ के लिए उठाई जाने वाली आवाज़ को दबाया जा रहा है। यह हमारे न्याय व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाता है और कई सवाल खड़े करता है।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.