बीते एक साल में 116 औद्योगिक दुर्घटनाओं में 231 मज़दूरों की मौत

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भारत में कोरोना महामारी के अत्यधिक हानिकारक प्रभावों में से एक औद्योगिक मजदूरों की लगातार कम होती सुरक्षा है। दरअसल महामारी के दौरान उद्योगों द्वारा अपनाए जा रहे विनिर्माण की चालू और बंद होती प्रकृति से दुर्घटनाओं की संख्या में तेजी आई है।

इंडस्ट्रीयल ग्लोबल यूनियन द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के मुताबिक मई 2020 से जून 2021 के बीच देश में रासायनिक और खनन उद्योगों में 116 औद्योगिक दुर्घटनाएं हुईं जिसमें 231 मजदूरों की मौत हुई।

मई से दिसंबर 2020 तक लगभग 64 दुर्घटनाएं हुईं जिनमें 118 मज़दूर मारे गए और कई सैकड़ों घायल हुए।

जनवरी से जून 2021 तक खनन और रासायनिक उद्योगों में हुई लगभग 52 औद्योगिक दुर्घटनाओं में 117 से अधिक मजदूर मारे गए और लगभग 142 मजदूर घायल हुए।

लगातार घटते गंभीर दुर्घटनाएं चिंता का सबक है। ये व्यक्तियों के नियंत्रण से बाहर हैं और पारंपरिक व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रोटोकॉल का उपयोग करके विश्लेषण और रोकथाम करना मुश्किल है।

सामग्री, उपकरण, कार्य वातावरण, नौकरी और कार्य प्रक्रियाओं सहित सुरक्षा के सभी पहलुओं और सभी हितधारकों (सरकार, नियोक्ताओं और श्रमिकों) को रोकथाम की कई परतों की एक प्रणाली बनानी चाहिए जिसमें कमी का कोई अवसर न हो।

पिछले 16 महीनों में भारत में हुई कुछ प्रमुख दुर्घटनाओं में मई 2020 में विशाखापत्तनम में एलजी पॉलिमर केमिकल फैक्ट्री में जहरीली गैस का रिसाव, मई और फिर जुलाई 2020 में नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन में थर्मल पावर प्लांट में बॉयलर विस्फोट। जून 2020 में गुजरात के दहेज में यशस्वी रसायन प्राइवेट लिमिटेड में एक और बॉयलर विस्फोट और इस साल जनवरी में भारत के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता पुणे में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में लगी आग जिसमें पांच मजदूरों की मौत हो गई।

इस बारे में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस के अध्यक्ष संजीव रेड्डी कहते हैं, “भारत सरकार को औद्योगिक दुर्घटनाओं का विश्लेषण करने और मूल कारणों और कमियों की पहचान करने के लिए एक विशेषज्ञ आयोग का गठन करना चाहिए। सरकार और नियोक्ताओं को अपने मजदूरों के स्वास्थ्य की रक्षा करने और तुरंत सुरक्षा संकट को दूर करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।”

मार्च 2021 में, सरकार ने कहा था कि पिछले पांच वर्षों के दौरान कारखानों, बंदरगाहों और निर्माण स्थलों पर काम करते हुए कम से कम 6,500 मजदूरों ने अपनी जान गंवाई है।

औद्योगिक कार्यकारी समिति के सदस्य और एसएमईएफआई के महासचिव संजय वाधवकर बताते हैं, “हम कोविड-19 में बड़ी संख्या में मजदूरों को खो रहे हैं और इसके अलावा लगातार घातक दुर्घटनाएं विनिर्माण क्षेत्र के मजदूरों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “काम के दौरान मजदूरों की जान की सुरक्षा के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को तुरंत सुरक्षा निरीक्षण प्रणाली को मजबूत करना चाहिए, उचित जांच करनी चाहिए, दुर्घटना जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करना चाहिए, सार्वजनिक परामर्श करना चाहिए और सुरक्षा उपायों में सुधार के लिए ट्रेड यूनियनों को शामिल करना चाहिए।”

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