श्रम सुविधा पोर्टल, जहां रजिस्टर करा कर ले सकते हैं ये लाभ

construction worker at delhi @Workersunity

                                                                 By नित्यानंद गायेन

सरकार ने श्रमिकों के लिए कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने में सहूलियत के लिए एक पोर्टल बनाया है जो एकल विंडो होगा।

यानी एक ही जगह मज़दूरों को कल्याणकारी योजनाओं से संबंधित सारी जानकारी मिलेगी।

भारत सरकार के श्रम एंवम रोजगार मंत्रालय के ‘श्रम सुविधा पोर्टल’ पर  श्रम कानूनों के अनुपालन हेतु एकल विंडो है यानि सारी जानकारी एक साथ , एक ही स्थान पर उपलब्ध।

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लेबर आइडेंटिफिकेशन नम्बर मिलेगा

वर्ष 2015 से श्रम सुविधा पोर्टल पर मुख्य श्रमायुक्त (केन्द्रीय) द्वारा प्रशासित 8 कानूनों और माइंस ऐक्ट 1952 के 3 नियमों के तहत एकीकृत वार्षिक रिटर्नों को ऑनलाइन जमा करने की सुविधा उपलब्ध है।

यहाँ पंजीकृत करने के लिए एक वेबसाइट का पता दिया गया है- https://registration.shramsuvidha.gov.in/

इस साईट पर जाकर असंगठित क्षेत्र के मज़दूर खुद को पंजीकृत करा सकते हैं

साथ ही वे वहां से सरकार द्वारा घोषित तमाम  मजदूर कल्याण से सम्बंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

‘श्रम सुविधा पोर्टल’ पर पंजीकृत करवा कर मजदूर पहचान संख्या यानी लेबर आइडेंटिफिकेशन नम्बर (LIN) प्राप्त किया जा सकता है।

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shram suvidha portal
श्रम कानूनों की जानकारी

इस साईट पर जाकर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लागू किये गये 44 श्रम कानूनों की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।

वहीं इस पोर्टल के जरिये ईएसआई, ईपीएफओ, ईएसआइसी और सीएसआरए के लिए भी रजिस्ट्रेशन किए जा सकते हैं।

इसके अलावा श्रम सुविधा पोर्टल में असंगठित क्षेत्र के मज़दूर खुद को रजिस्टर करा सकते हैं

और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से जुड़ सकते हैं,

जिसमें पेंशन, इलाज, शिक्षा, दुर्घटना के समय देखभाल, घर की सुविधा, होम लोन आदि शामिल है।

अब तक कितने मजदूरों ने किस -किस श्रेणी में अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है इसकी जानकारी भी इस पोर्टल पर उपलब्ध हैं।

मजदूरों के साथ-साथ ठेकेदारों को लाइसेंस लेने हेतु पंजीकृत कराने की सुविधा श्रम सुविधा पोर्टल पर उपलब्ध है।

सरकारों में इच्छा शक्ति की कमी

तमाम सरकारें समय-समय पर मज़दूरों के कल्याण के लिए कई सारी सरकारी योजनाएं हैं,

लेकिन मज़दूरों का रजिस्ट्रेशन न होने के कारण ये उन तक पहुंचती नहीं हैं. इसके दो मुख्य कारण हैं।

एक -मजदूरों को योजनाओं की जानकारी नहीं होना ।

दूसरा सरकारी दफ्तरों में बाबुओं का व्यवहार। सरकार समय समय पर मज़दूरों की सुविधाओं को लिए ऐसी योजनाएं लाती रहती है, लेकिन ऐसा लगता है कि इन्हें ज़मीन पर लागू करने की इच्छा शक्ति सरकारों में नहीं है।

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मजदूर कल्याण फंड घोटाला

यदि ऐसा नहीं होता तो बीते दिनों निर्माण कार्य बंद हो जाने की स्थिति में अपंजीकृत ठेका मजदूरों को मजदूरी न मिलने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट को केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी नहीं करना पड़ता।

अब यह भी खुलासा हो गया कि निर्माण मज़दूरों के लिए सरकार ने बिल्डरों पर 1-2 प्रतिशत सेस (टैक्स) लगाकर पिछले 29 सालों में 38,685 करोड़ रुपए इकट्ठा किए लेकिन इसका एक चौथाई भी नहीं खर्च हो पाया।

इसकी वजह है कि मज़दूर वेलफ़ेयर बोर्ड के साथ रजिस्टर्ड ही नहीं हैं।

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