अहमदाबाद : हिटाची पावर ने 7 मजदूरों को नौकरी से निकाला, काम बंद कर धरने पर बैठे मजदूर, जानिए का है वजह

अहमदाबाद में मज़दूर दमन का एक और मामला प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य का है, जहां दमन के खिलाफ मज़दूर संघर्ष की राह पर हैं। यही है गुजरात मॉडल का असल रूप।

हिटाची हाई रेल पॉवर इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड, वोल विलेज, सानंद, अहमदाबाद में मज़दूर जैसे ही संगठित हुए और अपना मांग पत्र कंपनी को भेजा, प्रबंधन ने दमन का हथियार चला दिया।

एक मज़दूर नेता ज्ञानेंद्र शर्मा को 15 सितंबर को फर्जी आरोपों में फंसा कर निलंबित कर दिया। जिसके विरोध में मज़दूर 16 सितम्बर को काम बंद कर कम्पनी के भीतर बैठ गए। 17 व 18 सितंबर शनिवार व रविवार अवकाश था।

ये भी पढ़ें-

इस विरोध के बाद प्रबंधन ने यूनियन के सात नेताओं/मज़दूरों को बगैर कोई सूचना दिए अवैध रूप से बर्खास्त कर दिया। उनको न तो कोई नोटिस दिया गया, न ही अपना पक्ष रखने का कोई मौका दिया। इसी के साथ 30 ठेका मज़दूरों को भी निकाल दिया।

इससे आक्रोशित मज़दूर 19 सितंबर को कंपनी के भीतर की बैठ गए और काम बंद कर दिया। तबसे संघर्ष जारी है और मज़दूर अभी फैक्ट्री के बाहर धरने पर बैठे हैं।

मज़दूरों ने दिया था मांग पत्र

प्रबंधन द्वारा लगातार शोषण और दमन के बाद मजदूरों ने अपनी एकता बनाई। मज़दूरों ने गुजरात के संग्रामी संघ “गुजरात मज़दूर सभा” की ओर से बीते 25 अगस्त को कंपनी को अपना जायज माँगपत्र भेजा।

मांग पत्र में मांग की गई कि वेतन में 20000+ वृद्धि हो, इंसेंटिव सीटीसी से न काटकर 100% मिले, यूनियन की सहमति से इंक्रीमेंट एक साथ 2 या 3 वर्ष का हो, 6 लाख का मेडिक्लेम हो, कैंटीन में 5 रुपए में स्वास्थ्यकर भोजन मिले, दिवाली बोनस हर माह वेतन में आने के बजाए दिवाली पर पूरे वेतन का दुगना मिले, राष्ट्रीय पर्व/त्योहार अवकाश 9 के बजाए 18 हो आदि।

प्रबंधन ने तेज किया दमन

मज़दूरों के एकजुट होने और मांग पत्र भेजने के साथ ही प्रबंधन दमन तेज कर दिया। उसने 15 सितंबर को मजदूर नेता ज्ञानेंद्र शर्मा को फर्जी हैरेसमेंट के केस में फसाकर निलंबित कर गेट बंद कर दिया और कथित घरेलू जांच का नोटिस दे दिया। इसके विरोध में मजदूरों ने प्रबंधन से बात की और ऐसी कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया लेकिन प्रबंधन ने तानाशाही पूर्ण रुख अख्तियार किया।

जिसके बाद कंपनी के समस्त श्रमिक 16 सितंबर को प्लांट के भीतर काम बंद करके बैठ गए, जिसमें स्थाई और ठेका मजदूर भी शामिल थे। 17 व 18 सितंबर शनिवार व रविवार अवकाश था, लेकिन प्रबंधन ने शनिवार को प्लांट चालू रखा। परंतु कोई भी मज़दूर काम पर नहीं गए।

प्रबंधन ने अपने दमन चक्र को और बढ़ाया और यूनियन के सात अन्य नेताओं व मज़दूरों- कौशल बाघेला, पीयूष राठौर, विजय परमार, जतिन वालंद, महेंद्र प्रजापति, विमल पटेल और जिगर परमार का गेट बंद कर दिया और 17 सितंबर की शाम को फुल एंड फाइनल हिसाब उनके बैंक खाते में भेज दिया और उनके घर सीधे बर्खास्तगी का पत्र भेज दिया।

प्रबंधन की मनमानी यह कि उसने सभी कानूनों को अपनी जेब में रखकर उनको न तो कोई नोटिस दिया, न ही अपना पक्ष रखने का कोई मौका दिया। सीधे बैंक में हिसाब भेज दिया।

इस बीच प्रबंधन ने 30 ठेका मजदूरों, जो कि दिशा कांट्रैक्टर के अधीन कार्य कर रहे थे, स्थाई मजदूरों का साथ देने के दंड में उनका ठेका कार्यकाल ही समाप्त कर दिया और बिना कोई नोटिस दिए बाहर कर दिया। इस घटना के बाद मजदूर और आक्रोशित हो गए।

प्रबंधन के गैरकानूनी कृत्यों के विरोध में मज़दूरों ने अपने संघर्ष का रास्ता तैयार किया और सोमवार, 19 व 20 सितंबर को कंपनी गेट के अंदर अपने शिफ्ट में काम बंद करके मज़दूर बैठे। जबकि बर्खास्त श्रमिक गेट के बाहर बैठे रहे। पुनः 21 सितंबर से मजदूर कंपनी गेट के बाहर धरने पर बैठ गए हैं।

इस बीच खबर है कि प्रबंधन ने सभी मज़दूरों के घर पर पत्र भेजना शुरू कर दिया है जिसमें धमकियां देते हुए लिखा है कि कंपनी कैंटीन, इंश्योरेंस, बस जैसी सुविधा उपलब्ध कराती है, आप लोग अपने बच्चों को समझा कर काम पर भेजो, गलत रास्ते पर ना जाएं आदि।

जीत तक संघर्ष रहेगा जारी

मज़दूर नेताओं का कहना है कि यहां कंपनी में बेहद कठिन काम है जो थोड़े से मजदूर, जिनमें महज 75 स्थाई श्रमिक हैं को खटाया जाता है, लेकिन वेतन और सुविधाएं बेहद कम हैं। प्रबंधन की मनमर्जी मज़दूरों पर लगातार थोपी जाती हैं। श्रम कानूनों का अनुपालन नहीं किया जाता है, जिसकी वजह से मज़दूर संगठित हुए।

ये भी पढ़ें-

दरअसल, आज हालात यह बने हुए हैं कि जहां भी मज़दूर अपने हक-हकूक के लिए संगठित होते हैं, माँग उठाते हैं, यूनियन बनाने का प्रयास करते हैं वहां उन पर दमनात्मक कार्रवाइयाँ शुरू हो जाती हैं, हिटाची में भी यही हो रहा है।

लेकिन मजदूरों ने इस बार मन बना लिया है कि वे समस्त पीड़ित श्रमिकों की कार्यबहाली सहित माँगपत्र पर समझौता चाहते हैं। इसलिए वे अपना हक लेकर ही कार्य पर जाएंगे और अंतिम समय तक अपना संघर्ष जारी रखेंगे।

(साभार मेहनतकश)

वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें

(वर्कर्स यूनिटी के फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर सकते हैं। टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.