फरीदाबाद: शहीद भगत सिंह चौक का नाम बदलने और मूर्ति हटाने के विरोध में मज़दूरों ने किया प्रदर्शन

फरीदाबाद में शहीद भगत सिंह चौक का नाम बदले जाने पर शहीद-ए-आज़म भगतसिंह के 115 वें जन्म दिन, बुधवार (28 सितम्बर) को फरीदाबाद डी सी कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया।

क्रांतिकारी मजदूर मोर्चा ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा है कि हरियाणा सरकार ने फ़रीदाबाद के ‘शहीद भगतसिंह स्मारक’ को ‘विस्थापन विभीषिका स्मारक’ में बदल दिया है।

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देश के महान क्रांतिकारियों को उनकी शहादत के 16 साल बाद हुए दुर्भाग्यपूर्ण विभाजन से जोड़ना उनका और उनके क्रांतिकारी विचारों का अपमान है। हमारी गौरवशाली क्रांतिकारी विरासत पर हमला नहीं सहेंगे। मोर्चा के नेताओं ने कहा कि एक तरफ खट्टर सरकार भगत सिंह के जन्मदिन पर अखबारों में विज्ञापन देती है और दूसरी तरफ उनकी विरासत को धूमिल करने की कोशिश कर रही है।

संगठन ने चौक का नाम फिर से शहीद भगत सिंह के नाम पर करने की मांग की है।

चौक से नाम और मूर्ति दोनों गायब

आप को बात दें कि मज़दूर संगठन काफी लम्बे से मांग कर रहे थे कि भगत सिंह चौक पर भगत सिंह की एक विशाल प्रतिमा की स्थापन की जाये। संघों का कहना था भगत सिंह के विचार, किरदार और सामान के हिसाब से मूर्ति बहुत छोटी है। साथ ही उसी बनावट भी इतने अच्छी नहीं है।

मजदूर मोर्चा के सदस्यों का आरोप है कि संघों की इस मांग पर विचार करने के बजाये फरीदाबाद के भगत सिंह चौक से भगत सिंह की मूर्ति को ही हटा दिया गया है। उनका कहना है कि इस साल 12 अगस्त 2022 को हरियाणा के मुख्य मंत्री मनोहरलाल खट्टर ने चौक का नाम बदल दिया और ‘विस्थापन विभीषिका स्मारक’ रख दिया।

इतना ही नहीं चौक पर लगी भगत सिंह की प्रतिमा को हटा कर तीन विशालकाय मूर्तियों को लगाया गए। लेकिन इस बात कही भी स्पष्टीकरण या विवरण नहीं दिया गया कि यह मुर्तिया किन महानभूतियों की हैं?

संगठन का आरोप है कि तत्कालीन सरकार ने अपनी चालक नीतियों को दिखाते हुए चौक से न केवल मूर्तिको की हटाया बल्कि पूर नाम ही बदल दिया है।

कब और कैसे बना था भगत सिंह चौक

लगभग 30 साल पहले फरीदाबाद और हरियाणा के तमाम मज़दूर संगठन लगातरा इस बात की मांग कर रहे थे कि फरीदाबाद में भगत सिंह के नाम की एक स्मारक की स्थापन होनी चाहिए।

केवल मज़दूर संगठन ही नहीं बल्कि भगत सिंह के वंशज बाबर सिंह, जो फरीदाबाद में ही रहे है, वह भी लगातरा प्रदर्शन कर भगत सिंह समारक की मांग करते थे।

यह समय की बात है जब चौटाला सरकार हरियाणा में गद्दी की तैयारियां कर रही थी। चौटाला सरकार ने वोट बैंक बढ़ने के लिए बाबर सिंह को समर्थन देना शुरू किया। जिसके बाद फरीदाबाद के थाना नंबर 5 के पास वाले चौक का नाम भगत सिंह चौक रखा गया और मूर्ति के स्थापना भी की गयी।

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मज़दूर संगठन का कहना है कि आज जब भगत सिंह चौक से मूर्ति और नाम दोनों को हटा दिया गया तो भगत सिंह के नाम को डुबाने वाले उनके वंशज मज़दूर विरोधी सरकर से साथ है। संगठन कहना है कि भगत सिंह के संघर्षों से इस बात का अनुमान लगाया जा साथ है कि उनका परिवार मज़दूर और मेहनतकश वर्ग आता है।

गौरतलब है कि फरीदाबाद में सरकार द्वारा की गयी ऐसी हरकत से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि खट्टर सरकार कितना मज़दूरों के पक्ष में है।

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