मजदूरों के साथ कानूनी लड़ाई में उतरी रेनो-निसान, संक्रमण के डर से मजदूरों ने किया है हड़ताल का ऐलान

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रेनो-निसान ऑटोमोटिव इंडिया प्राइवेट लिमिटेड अपने ही कर्मचारियों से कानूनी लड़ाई लड़ रही है। दरअसल मजदूरों ने तमिलनाडु स्थित प्लांट में कोविड गाइडलाइन की अनदेखी के चलते 26 मई से ड्यूटी का बहिष्कार करने का फैसला किया है।

इस बाबत रेनो निसान ने कोर्ट में कहा है कि मांग को पूरा करने के लिए कार प्लांट में उत्पादन शुरू करनी की सख्त आवश्यकता है। कंपनी ने कर्मचारियों द्वारा लगाए गई कोविड गाइडलाइन की अनदेखी करने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।

कंपनी को मई-अक्टूबर में 35,000 गाड़ियों की सप्लाई देनी है। अगर यह मांग समय पर पूरी नहीं होती है तो इससे व्यापार का नुकसान होगा।

वहीं रेनो-निसान इंडिया थोझीलालार संगम (आरएनआईटीएस) ने कहा है कि जब तक प्लांट में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जाती वह काम पर नहीं लौटेंगे।

मजदूरों का कहना है कि प्लांट में सामाजिक दूरी के मानकों का उल्लंघन किया जा रहा है और कारखाने की स्वास्थ्य नीतियां उनके जीवन को जोखिम में डाल रही हैं।

आरएनआईटीएस के मुताबिक कंपनी ने कोरोनो महामारी के बढ़ते संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए प्लांट में मजदूरों की संख्या को कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।

उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि दफ्तर और प्लांट में आने वाले लोगों की संख्या को कम करने के लिए उचित कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

यूनियन ने कंपनी को लिखी अपनी चिट्ठी में कहा कि कंपनी प्रबंधन किसी भी मामले में कर्मचारी संघ से कोई मशवरा नहीं करता है और एकतरफा फैसला लेता रहा है।

इतना ही नहीं यूनियन का आरोप है कि कंपनी मजदूर यूनियन को सिर्फ अपनी बात मनवाने के लिए एक लाउडस्पीकर के तौर पर इस्तेमाल करना चाहती है।

गौरतलब है कि पिछले साल रेनो-निसान प्लांट में पांच मजदूरों की मौत हो गई थी और करीब 850 लोग कोविड-19 से संक्रमित हो गए थे। सिर्फ 2021 में ही अब तक करीब 420 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।

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