सफदरजंग अस्पताल: सिक्युरिटी गार्ड ने की खुदकुशी की कोशिश, दो दिन पहले छटनी किये गए थे 400+ ठेकाकर्मी

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दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में 1 जुलाई को बिना किसी नोटिस के 400 से ज्यादा ठेका सिक्युरिटी गार्डों की छटनी कर दी गई थी।

परिणामस्वरूप दसियों साल से अस्पताल की रखवाली कर रहे सिक्युरिटी गार्डों को एक झटके में बेरोजगार कर दिया गया।

इन्हीं सिक्युरिटी गार्डों में से एक मोतिबाग के रहने वाले रमेश को भी नौकरी से निकाल दिया गया था। उनकी उम्र 57 साल थी और वे पिछले 10-12 साल से अस्पताल में गार्ड के रूप में कार्यरत थे।

उन्होंने जहरीली चीज खा कर खुदकुशी करने की कोशिश की लेकिन सौभाग्यवश उन्हें बचा लिया गया।

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IFTU से संबंधित दिल्ली अस्पताल ठेका कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष, अनिमेष दास ने बताया कि सफदरजंग अस्पताल की सिक्युरिटी का ठेका दो कंपनियों — Trig Detectives Pvt Ltd और बहुराष्ट्रीय संचालित सिक्युरिटी कंपनी SIS Limited को दिया हुआ है जिनमें कुल 1478 गार्ड काम करते थे।

इनमें से Trig कंपनी के 1189 गार्ड थे और SIS के 289। लेकिन डाउनसाइजिंग के तहत नए टेंडर में दोनों कंपनियों की क्षमता को 589 कर दिया गया।

इस हिसाब से Trig को बहुत से कर्मचारियों को निकालना पड़ा और SIS को 300 नई भर्तियाँ करनी पड़ी।

अवैध रूप से नौकरी से निकाले गए

साल 2018 में दिए गए दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक जो काम स्थायी हैं, वहां कॉन्ट्रैक्टर बदलने पर भी पहले से काम कर रहे वर्करों को नहीं निकाला जाना चाहिए।

इस आदेश का उल्लंघन करते हुए नई भर्तियों में निकाले गए गार्डों को नहीं लिया गया।

रविवार को वर्करों से बात करना तो दूर, अस्पताल मैनेजमेंट ने ऑफिस के बाहर बाउंसरों को खड़ा कर रखा था ताकी कोई अंदर ना आ सके।

Trig के लगभग 200 वर्कर दिल्ली अस्पताल ठेका कर्मचारी यूनियन से जुड़े हुए थे।

दिल्ली अस्पताल ठेका कर्मचारी यूनियन की तरफ से लेबर ऑफिस में शुक्रवार को शिकायत दर्ज की गई थी।

रीजनल लेबर कमिश्नर का फैसला सोमवार को 4 बजे आएगा।

सिक्युरिटी गार्डों को झटका

छटनी किये गए एक गार्ड, सुनील कुमार ने वर्कर्स यूनिटी को बताया कि वे अस्पताल में पिछले 15-16 साल से काम कर रहे थे और इस ठेका कंपनी के साथ पिछले 10-11 साल से जुड़े थे।

लेकिन शुक्रवार 1 जुलाई को बिना किसी पूर्व सूचना के उन्हें काम पर आने से मना कर दिया गया।

ठेका कंपनी के ऑफिस से उन्हें उसी दिन फोन किया गया और पूछा गया कि क्या उन्हें जॉइनिंग लेटर मिला था।

उन्हें कहा गया कि जिन्हें जॉइनिंग लेटर नहीं मिला है, उन्हें काम से निकाला जाता है।

काम से निकालने के बोगस बहाने

अनिमेष ने बताया कि नए टेंडर की खबर उड़ते ही 18 और 30 जून को गार्डों ने फ्लैश स्ट्राइक किया था।

तब मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट डॉ एस वी आर्या ने उन्हें बताया कि 55 साल से ज्यादा के वर्करों को निकाला जाएगा।

साथ ही अन्य पात्रता के तहत कम से कम 10वीं पास होना और लंबाई 5 फुट 5 इंच से ज्यादा होना जरूरी बताया गया।

लेकिन सरकारी नौकरियों में भी रिटायरमेंट कि उम्र कम से कम 58-60 साल है। जबकि कानून के तहत कॉन्ट्रैक्ट नौकरियों में रिटायरमेंट के लिए कोई अधिकतम उम्र निर्धारित नहीं की गई है।

गार्डों को काम से निकालने के लिए बहाने के रूप में मनमर्जी पात्रता निर्धारित की गई है।

लेकिन ठेका कंपनियां उसका भी पालन नहीं कर रहीं।

उन्होंने बताया कि कई गार्ड 5 फुट 8 इंच के हैं और कॉलेज ग्रैजुएट हैं, इसके बावजूद उन्हें निकाल दिया गया है।

उन्होंने कहा कि यह टेंडर नई भर्तियों के लिए मिलने वाली रिश्वत और अन्य धांधली के लिए रास्ते खोलता है।

ठेकाकर्मियों की चौतरफा बदहाली

बहरहाल, हर तरफ कॉन्ट्रैक्ट वर्करों कि यही हालत बनी हुई है। पिछले कई महीनों से RML अस्पताल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एवं कलावती सरन अस्पताल के कॉन्ट्रैक्ट सफाई मजदूर धरने पर बैठे हैं।

आलम यह है कि कोर्ट का भी ठेका कंपनियों और मैनेजमेंट पर कोई जोर नहीं है।

हाई कोर्ट और लेबर कोर्ट से बहाली के आदेश मिलने के बावजूद ठेका कंपनी उन्हें वापस लेने को तैयार नहीं है।

दो दिन पहले ही RML अस्पताल के छटनी किये गए एक वर्कर की हार्ट अटैक से मौत हो गई। उनकी डेढ़ साल की एक बेटी है।

ज्ञात हो कि दिल्ली के बीचों बीच यह सारे अस्पताल केंद्र सरकार के स्वास्थ मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं और खासकर सफदरजंग अस्पताल केन्द्रीय स्वास्थ मंत्रालय का सबसे बड़ा अस्पताल है।

ऐसे कयास लगाए जाते हैं कि ठेका कंपनी मालिक की स्वास्थ मंत्रालय और PMO तक पहुँच है, इसी लिए उस पर किसी तरह का एक्शन नहीं लिया जाता है।

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