महंगाई के ख़िलाफ़ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन, किसान, ट्रेड यूनियने, संगठन सड़क पर उतरे

पूरे देश में बढ़ती महंगाई की मार से जनता त्रस्त है। ईंधन के दामों से लेकर सरसों के तेल, दाल समेत तमाम खाद्य पदार्थों के दामों में जो उछाल आया है उससे एक आम भारतीय का बजट बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।

पूरे देश में इसके खिलाफ गुस्सा जाहिर करते हुए  8 जुलाई को विरोध प्रदर्शन किया गया। इन विरोध प्रदर्शन में किसान, ट्रेड यूनियन समेत तमाम संगठन सड़कों पर उतरे।

संयुक्त किसान मोर्चा ने भी इस महंगाई को अन्यायपूर्ण और असहनीय वृद्धि करार देते हुए विरोध प्रदर्शन का आह्रान किया।

मोर्चे के अनुसार पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, ओडिशा, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तमिलनाडु में भी विरोध प्रदर्शन हुए।

संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार, आज पेट्रोल और डीजल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर के करीब पहुंच गई हैं और यह कीमत विमानन ईंधन की प्रति लीटर कीमत से भी ज्यादा है । 2014 में, डीजल और पेट्रोल पर उत्पाद कर 3.56 रुपये से लेकर 9.48 रुपये प्रति लीटर तक था।

2021 में, यह डीजल के लिए 31.80 प्रति लीटर और पेट्रोल के लिए 32.90 हो गया है। रसोई गैस के अफोर्डेबल दामों का भी यही हाल है। हाल ही सिलेन्डर के दामो में 25/प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी की गई है। सिर्फ 2021 में ईंधन की कीमतों में 62 बार बढ़ोतरी हुई है ।

कुछ स्थानों पर किसानों और अन्य लोगों ने हॉर्न बजाकर विरोध किया। कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने अपने वाहन खड़े कर दिए और अपने खाली गैस सिलेंडर रखकर ,तख्तियां और बैनर पकड़कर अपना विरोध दर्ज किया । कुछ स्थानों पर किसानों ने ट्रैक्टर जैसे वाहनों को रस्सी से खींचकर अपना विरोध प्रकट किया ।

पंजाब में, किसानों ने नंगे-छाती विरोध करना चुना। बड़ी संख्या में महिलाएं और युवा विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। ये विरोध टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और सिंघू बॉर्डर पर भी हुए ।

किसानों ने पुरजोर मांग की कि सरकार बिना विलंब के तुरंत कीमतों को आधा कर दे।

मोर्चा के कार्यक्रम संयोजक ललित उप्रेति ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि केन्द्र तथा राज्य सरकारों ने पेट्रोल डीजल ने भारी टैक्स लगाकर जनता की जेबें खाली कर दी हैं।

उन्होंने कहा, ‘देश में 1 लीटर डीज़ल पर केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर 50 रूपये तथा पेट्रोल पर 60 रूपये प्रति लीटर से भी अधिक का टैक्स वसूल रही है। वहीं दूसरी तरफ हवाई जहाज का ईंधन ए टी एफ पर सरकार लगभग 10 रूपये लीटर ही टैक्स लेती है। ऊंची उत्पादन लागत के बावजूद ए टी एफ 68 रूपये प्रति लीटर बेचा जा रहा है और 30 रुपये प्रति लीटर से भी कम की लागत वाला डीजल पेट्रोल 90 से 100 रूपये लीटर बेच कर जनता की जेब पर डाका डाला जा रहा है।’

महिला एकता मंच की संयोजक ललिता रावत ने इस बारे में बताया कि बढ़ती महंगाई के खिलाफ जनता से एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि खाने पीने की जरूरी वस्तुओं के दाम आज आसमान छू रहे हैं। पिछले एक वर्ष में सरसों के तेल के दाम दुगने से भी अधिक हो चुके हैं अब जनता के पास संघर्ष के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा है।

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