छत्तीसगढ़: ”पुलिस फायरिंग में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे 3 आदिवासियों की मौत”, सिलगर मुठभेड़ पर उठे सवाल

https://www.workersunity.com/wp-content/uploads/2021/05/Silger.jpg

बीजापुर-सुकमा सीमा पर हुए सिलगर मुठभेड़ पर सवाल उठने तेज हो गए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि बीजापुर सीमा पर स्थित सिलगर गांव में पुलिस कैम्प के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्श कर रहे ग्रामीणों पर पुलिस की तरफ से फायरिंग की गई जिसमें 3 आदिवासी मारे गए, 18 घायल हो गए और 6 लोग लापता हैं।

ग्रामीणों का साफ कहना है कि वे नक्सली नहीं थे। उन्होंने इसे मानवाधिकार का उल्लंघन बताया है।

उन्होंने कहा कि सिलगर कैंप के पास शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे जिसे समाप्त करने के लिए पुलिस ने गोलियां चलाईं। फ्री प्रेस जर्नल की खबर के अनुसार ग्रामीणों का ऐसा दावा भी है कि इस घटना में 9 ग्रामीणों की मौत हुई है।

जबकि बस्तर आईजी पी. सुंदरराज का कहना है कि ग्रामीणों की आड़ में नक्सलियों ने हमला किया जिसकी जवाबी फायरिंग में 3 लोगों की मौत हुई है।

उनके अनुसार, ”प्रारंभिक जांच में पता चला है कि मृतक प्रतिबंधित भाकपा (माओवाद) के मुखौटा संगठनों से कथित रूप से जुड़े हुए थे और पुलिस इस पहलू की विस्तृत जांच के प्रयास कर रही है।”

घटना के बारे में बात करते हुए ग्रामीण माडवी हुंगा ने बताया कि हम पुलिस कैंप नहीं चाहते थे इसलिए हम प्रदर्शन कर रहे थे। हमारे प्रदर्शन को खत्म करने के लिए पुलिस ने हम पर फायरिंग कर दी। इसमें 18 ग्रामीण घायल हो गए और 6 अब भी लापता हैं।

इस घटना को शुरू से कवर कर रहे क्षेत्रीय पत्रकार शंकर का कहना है, ”ग्रामीण 12 मई से लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि पिछले तीन दिनों से माहौल थोड़ा गंभीर हो गया। लोग चाहते थे कि सुरक्षा बल किसी भी कीमत पर उस जगह को छोड़ कर चले जाएं। इस दौरान पुलिस ने ग्रामीणों को हटाने के लिए तीन बार से अधिक बार लाठीचार्ज किया, आंसू गैस के गोले दागे लेकिन स्थिति नियंत्रण में नहीं आई।”

प्रदर्शन में शामिल हुए ग्रामीणों ने इस बात से साफ इनकार कर दिया है कि किसी नक्सली द्वारा सुरक्षा बलों पर गोलीबारी की गई थी।

दरअसल, 12 मई को बीजापुर सीमा पर स्थित सिलगेर गांव में सुरक्षा बलों का कैंप लगाया गया है। गांव वालों का आरोप है कि सुरक्षाबलों ने उनके जल, जंगल, जमीन पर कब्जा किया है। वे उनको प्रताड़ित करते हैं। इसे लेकर गांव में आक्रोश है और वे इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।

बस्तर क्षेत्र में कार्य कर रहे कई संगठनों ने इस घटना की निंदा की है और इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की है।

वहीं, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने भी घटना की निंदा की है। संगठन ने बयान जारी कर हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में कमिटी गठित कर तत्काल, समयबद्ध जांच की मांग की है।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.