मानेसर के किसानों का धरने का 77वां दिन, 18 को महापंचायत का ऐलान

हरियाणा के आईएमटी मानेसर में जमीन बचाओ किसान बचाओ संघर्ष कमेटी के सदस्यों और किसानों का अनिश्चितकालीन धरना कल 77वें दिन भी जारी रहा।

अपनी 1810 एकड़ जमीन अधिग्रहण से मुक्त करने या उन्हें उचित मुआवजा दिए जाने की मांग कर रहे हैं।

संघर्ष कमेटी के सदस्यों ने आगामी 18 सितम्बर को फिर एक महा पंचायत का ऐलान किया है।

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प्रदर्शन की अध्यक्षता जमीन बचाओ किसान बचाओ संघर्ष कमेटी के सदस्य धर्म सिंह द्वारा की गई। उनका कहना कि यदि सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती है तो इसका परिणाम उनको आगामी चुनावों में देखने को मिलेगा।

अब हरियाणा के किसान सरकार को वोट की चोट देने की तैयारियां कर रहे हैं।

क्या है मामला

हरियाणा स्थित 25 गांव की 1810 एकड़ जमीन पर सरकार द्वारा कम मुआवजा दिया जा रह है। जिसके विरोध में मानेसर ने कई बार प्रदर्शन और महापंचायतों का आयोजन किया जा चुका है।

किसानों का आरोप है “वर्तमान में सरकार किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से 55 लाख रुपए देना चाहती है। जबकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार यहां की जमीन की कीमत 20-21 करोड़ रुपए प्रति एकड़ है।”

2011 में अधिगृहीत की गयी थी ज़मीन

किसानों ने बताया कि यह जमीन लगभग 25 गांव के लोगों की है । सरकार ने अधिग्रहण की धारा 4 के तहत 2011 में उसका अधिग्रहण किया था।

लगभग 78 सौ एकड़ जमीन इस इलाके की सरकार विकास के नाम पर ले चुकी है और औद्योगिकीकरण के बदले ऊंचे भावों पर उसे बेच रही है।

ऐसे में किसानों के पास जमीन नहीं बची है और जो बची है सरकार उसे 11 साल पुराने भाव पर लेना चाहती है जो गलत है।

गौरतलब है कि बीते हफ्ते किसानों ने 1810 एकड़ जमीन अधिग्रहण से मुक्त करने या उन्हें आज के भाव से मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर गुरुग्राम के उपायुक्त की सूचना पर किसान चंडीगढ़ गए थे , उनकी सरकार के अधिकारियों के साथ बात भी हुए थी लेकिन इसके कोई सफलता नहीं मिली थी।

जिसके बाद निराश किसानों ने राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपती मुरमुर को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी थी।

(स्टोरी संपादितः शशिकला सिंह।)

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