मानेसरः किसानों ने सामूहिक आत्महत्या की दी अर्जी, हजार एकड़ ज़मीन के अधिग्रहण कीमत से हैं नाखुश

अपनी 1810 एकड़ जमीन अधिग्रहण से मुक्त करने या उन्हें आज के भाव से मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर पिछले दो -ढाई माह से धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों को चंडीगढ़ से लौटकर बड़ी निराशा हुई है और उन्होंने राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपती मुरमुर को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है।

कल गुरुग्राम के उपायुक्त की सूचना पर किसान चंडीगढ़ गए थे और उनकी सरकार के अधिकारियों के साथ वार्ता हुई थी जो असफल हो गई उसके बाद से किसान निराश हैं।

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जमीन बचाओ किसान बचाओ संघर्ष समिति कासन, मानेसर, कुकरोला के अध्यक्ष सरपंच सत्यदेव और रोहतास सरपंच ने आज पत्रकारों को बताया कि गुरुग्राम के उपायुक्त की सूचना पर वह किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल लेकर कल मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मिलने चंडीगढ़ गए।

अधिकारियों ने किसानों को धमकाया

लेकिन अधिकारियों ने उन्हें वहां उनकी बातें सुनने की बजाय धमकाने का काम किया है। वे पहले भी गुरुग्राम में मुख्यमंत्री से मिल चुके थे और मुख्यमंत्री ने उन्हें सकारात्मक जवाब दिया था।

वह स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री राव इंदरजीत सिंह से आश्वासन प्राप्त कर चुके थे कि उन्हें न्याय मिलेगा। उनकी मांग यह थी कि सरकार उनकी जमीन का मुआवजा दे तो आज के भाव दे या फिर जमीन अधिग्रहण मुक्त कर दे।

दरअसल सरकार उन्हें वही पुराना मुआवजा देना चाहती है। जबकि किसानों का कहना है कि सरकार आज अधिग्रहण का भाव दे या उनकी जमीन वापस कर दे।

2011 में अधिगृहीत की गयी थी ज़मीन

किसानों ने बताया कि यह जमीन लगभग 25 गांव के लोगों की है । सरकार ने अधिग्रहण की धारा 4 के तहत 2011 में उसका अधिग्रहण किया था।

लगभग 78 सौ एकड़ जमीन इस इलाके की सरकार विकास के नाम पर ले चुकी है और औद्योगिकीकरण के बदले ऊंचे भावों पर उसे बेच रही है।

ऐसे में किसानों के पास जमीन नहीं बची है और जो बची है सरकार उसे 11 साल पुराने भाव पर लेना चाहती है जो गलत है।

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