किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए मोदी सरकार के इंतज़ाम देख दंग रह जाएंगे

देश की खेती को कारपोरेट घरानों और जमाखोरों के हवाले करने के ख़िलाफ़ दिल्ली चलो का नारा देने वाले किसानों को रोकने के लिए केंद्र की मोदी सरकार और बीजेपी शासित राज्यों की सरकारें ऐसे हथकंडे अपना रही हैं जिसे आजतक देखा सुना नहीं गया।

कहीं सड़क पर कंक्रीट के बड़े बड़े स्लैब लाकर रख दिए गए हैं, कहीं बस और ट्रक के साथ साथ क्रेन को लाकर आड़ा तिरछा खड़ा कर दिया गया है।

Farmers protest police drop buldoz

कहीं सड़क पर बड़े बड़े पत्थर रख दिए गए हैं कि सामान्य दस बीस लोगों से हटाए न हटें। सोनीपत के पास हडलाना में तो सड़क को खोद कर वहां गड्ढा बना दिया गया है।

Farmers protest road dig out by police

इस पर भी पुलिस प्रशासन निश्चिंत नहीं हुआ तो उसने खुदी हुई सड़क के दोनों ओर कंक्रीट के बड़े बड़े स्लैब रख कर वहां तारबंदी कर दी है।

जिन आम लोगों की परेशानी को ढाल बनाकर सरकारें और उनका गोदी मीडिया हड़तालों और जनता के संघर्षों को बदनाम करता है, अब वो सरकार की ही इन करतूतों पर चुप्पी लगाए बैठा है।

Farmers protest jind barricade

ऐसा लग रहा है कि पंजाब से दिल्ली के बीच हर ज़िले की सीमा भारत पाकिस्तान की सीमा की तरह हो गई है। फिर किसान अपनी एकता के बूते इन बड़े बड़े अवरोधों और बैरिकेड को पार कर दिल्ली की ओर बढ़े चले आ रहे हैं।

Farmers protest at highway

जब किसानों के दिल्ली कूच अभियान शुरू हुआ उसी रात हरियाणा के लगभग हर ज़िले में किसान नेताओं को गिरफ़्तार कर लिया गया। किसी को आधीरात सोते हुए गिरफ़्तार किया गया, किसी को मार्च करते हुए रास्ते में पकड़ लिया गया।

Farmers protest police barricade

इन्हीं में से दो शख़्सियत योगेंद्र यादव और मेधा पाटकर को हरियाणा और यूपी में हिरासत में ले लिया गया।

Farmers Protest water cannon deployed

ये किसान जमाखोरी को इजाज़त देने वाले क़ानून, निजी मंडी को बढ़ावा देने वाले क़ानून और ठेके पर खेती करने की इजाज़त देने वाले तीन कृषि क़ानूनों को तत्काल वापिस लेने की मांग कर रहे हैं।

drone camera deployed for vigilance

याद होगा कि अभी बहुत दिन नहीं हुए जब मोदी ने खुद अपने मुंह से किसानों की आय दोगुनी करने का लोकलुभावन वादा किया था। लेकिन एक साल के भीतर ही कोरोना की आड़ में ऐसे क़ानून बना दिए जिससे किसानों के बिकने की नौबत आ जानी है।

जो काम मनमोहन सिंह की सरकार भारी जनदबाव के चलते नहीं कर पाई, उसे मोदी ने अपने उद्योगपति मित्रों को थाली में सज़ा कर दे दिया है और अब उस मलाई की रक्षा में अपने पूरे सरकारी अमले और ताक़त को झोंक देने पर अमादा हैं।

farmers protest Haryana police checking

ड्रोन कैमरों से हवाई निगरानी की जा रही है। बसों में चेकिंग की जा रही है कि हरियाणा और पंजाब से आने वाले वाहनों में कोई किसान तो नहीं छुप कर बैठा है।

सड़कों पर ऐसे सीमेंटेड भारी भारी स्लैब रख दिए गए हैं कि किसान उन्हें न उठा पाएं। इसके भी अलावा इन पत्थरों के हुक में लोहे की मोटी चेन बांध दी गई है। लेकिन क्या जन शक्ति के आगे ये सब टिक पाएंगे? दो दिन के मार्च में ऐसा दिखता नहीं है।

Farmers protest barricade with chains

निहत्थे किसानों के सामने बुलडोज़र खड़ा कर दिया गया है। पुलिस, आरएएफ़, पीएसी, सीआरपीएफ़ लगा दिया गया है। दिल्ली को इस तरह सील कर दिया गया है कि काम के लिए ही सही दिल्ली की सीमा से बाहर जाने वाले को वापस लौटने में पसीने छूट जा रहे हैं।

concrete barricade with wire

मेट्रो के परिचालन को दिल्ली की सीमा के बाहर रोक दिया गया है ताकि मेट्रो से किसान दिल्ली न पहुंच जाएं। सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि किसानों के पराली का धुआं पंजाब से दिल्ली आ जाता है और सरकार उसे रोक नहीं पाती लेकिन किसानों को दिल्ली में आने के लिए घुसपैठियों की तरह जुगत भिड़ानी पड़ रही है।

farmers protest Delhi

दिल्ली में अभी किसान पहुंचे नहीं हैं। 27 नवंबर को दिल्ली घेरने का ऐलान हुआ है लेकिन एक दिन पहले से ही दिल्ली की सीमा सील है। चप्पे चप्पे पर भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं। वाहनों की चेकिंग की जा रही है।

मोदी सरकार अपनी करतूतों से मुंह चुराते हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन की इजाज़त क्यों नहीं दे रही है। याद रहे कि 26 नवंबर को संविधान दिवस भी था और इसी दिन ट्रेड यूनियनों ने आम हड़ताल की घोषणा की थी। सारे सरकारी दफ़्तर बंद रहे। लेकिन इसी दिन पूरे देश में संविधान की धज्जियां उड़ाई गईं, जिसका सिलसिला अगले कुछ एक दिन और चलने वाला है।

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