प्रवासी मज़दूरों के लिए रिमोट वोटिंग का यूनियनें क्यों कर रही हैं विरोध?

चुनाव आयोग आंतरिक रूप से विस्थापित करोड़ों घरेलू प्रवासी मज़दूरों को अपने काम की जगह से ही वोटिंग करने का अधिकार देने वाली नीति का एक ड्राफ़्ट पेश किया है। चुनाव आयोग ने इसको रिमोट वोटिंग का नाम दिया है।

इस नीति को लेकर जहां विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं और चुनावी धांधली का आशंका जता रहे हैं, वहीं एक्टू जैसी कुछ ट्रेड यूनियन फ़ेडरेशनों ने भी आपत्ति जताई है।

एक्टू ने चुनाव आयोग द्वारा आयोजित रिमोट वोटिंग पर परामर्श बैठक में इस कदम का विरोध किया है और इसे अस्पष्ट और त्रुटिपूर्ण तर्क पर आधारित बताया है।

बीते 16 जनवरी 2023 को कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित बैठक में, कई राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे पर पूर्व चर्चा के बिना रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (आरवीएम) प्रोटोटाइप का प्रदर्शन करने के चुनाव आयोग के कदम पर आपत्ति जताई।

भाकपा माले ने चुनाव आयोग के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वोटिंग के उद्देश्य और उद्देश्य के लिए घरेलू प्रवासी की कोई ठोस परिभाषा दिए बिना एक प्रोटोटाइप ईवीएम विकसित करने की दिशा में जल्दबाजी में पूरी तरह से अस्पष्ट प्रक्रिया और दृष्टिकोण पर गंभीर आपत्ति जताई।

चुनाव आयोग द्वारा जारी नोट के अनुसार, एक घरेलू प्रवासी को किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में संदर्भित किया जाता है जो ‘अब अपने पिछले निवास से अलग स्थान पर बस गया है’ और इसमें ऐसे लोगों की एक विस्तृत श्रेणी शामिल है जो शादी, परिवार, काम और जैसे कारणों से अपने मूल स्थान से दूर हो गए हैं।

वहीं संगठन का यह भी आरोप है कि चुनाव आयोग इस बात को स्वयं स्वीकार करता है कि प्रवासी मज़दूरों की श्रेणी के लिए कोई उचित डेटा उपलब्ध नहीं है। इस पर भरोसा करने के लिए कोई उचित रजिस्ट्री या डेटा नहीं है।

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लॉकडाउन में हज़ारों प्रवासी मज़दूरों ने सूरत में सड़कों पर निकलकर घर जाने की मांग की थी।

गुजरात में फ़ैक्ट्री मज़दूरों पर वोट डालने का दबाव

चुनाव आयोग ने गुजरात में 1,017 कॉर्पोरेट घरानों के साथ 233 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं, जो आगामी विधानसभा चुनाव में मतदान नहीं करने वालों के नामों को ट्रैक और प्रकाशित करेंगे।

रिपोर्ट में गुजरात के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) पी. भारती का हवाला दिया गया है जिन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि चुनाव आयोग पहली बार इन 1,017 फैक्ट्रियों के “मज़दूरों की चुनावी भागीदारी” की निगरानी करेगा।

भारती ने कहा कि चुनाव आयोग की इस निगरानी अभ्यास में और निकायों को शामिल करने की योजना है।

चुनाव आयोग ने अभी तक गुजरात विधानसभा के चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की है।

दरअसल , जून 2022 में एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि चुनाव आयोग ने केंद्र और राज्य सरकारों, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों और 500 से अधिक कर्मचारियों वाली फैक्ट्रियों से उन कर्मचारियों को ट्रैक करने के लिए कहा था जो मतदान के दिन छुट्टी का फायदा तो उठाते हैं लेकिन लेकिन वोट नहीं देते हैं।

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत मतदान के दिन पंजीकृत मतदाताओं वाले कर्मचारियों को सवैतनिक अवकाश प्रदान किया जाता है।

बहरहाल, चुनाव आयोग ने अभी तक गुजरात विधानसभा के चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की है।

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