उत्तर प्रदेश: स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल देख नरम पड़ी सरकार, नई ट्रांसफर नीति पर विचार का आश्वासन

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स्वास्थ्य विभाग में नई ट्रांसफर नीति को लेकर विरोध चरम पर है। इसे लेकर चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ व शासन के बीच सप्ताह भर से  उठापटक चल रही है।

अधिकारियों से बातचीत का कोई हल न निकलता देख कर्मचारियों ने शुक्रवार-शनिवार सुबह इमरजेंसी सेवा छोड़कर हर जगह 2 घंटे के लिए काम ठप कर दिया था।

ऐसे में यूपी की राजधानी लखनऊ के बलरामपुर, डफरिन, आरएलबी समेत अन्य जिला, महिला अस्पताल, सीएचसी में ओपीडी में सुबह पहुंचे मरीजों को इलाज नहीं मिला।

हालांकि अधिकारियों द्वारा सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के आश्वासन के बाद बहिष्कार को रोक दिया गया है।

इससे पहले, राज्य सरकार द्वारा घोषित नई स्थानांतरण नीति के विरोध में 1,000 से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा बहिष्कार के कारण 12 जिला अस्पतालों और 52 शहरी और ग्रामीण समुदाय / प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में आपातकाल को छोड़कर सभी चिकित्सा सेवाएं सुबह 8 बजे से 10 बजे तक प्रभावित रहीं।

दो घंटे तक ओपीडी के टिकट काउंटर बंद रहने से मरीजों को सुबह काफी परेशानी हुई। पैथोलॉजी और डायग्नोस्टिक टेस्ट के लिए आए कई मरीजों को वापस लौटना पड़ा जबकि अन्य को घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ा।

आठ स्वास्थ्य संघों के महासंघ चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ ने सोमवार को स्वास्थ्य निदेशालय के प्रस्तावित बहिष्कार और घेराव को स्थगित करने की घोषणा की।

इस बारे में महासंघ के महासचिव अशोक कुमार ने कहा, ”हम अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह अवनीश अवस्थी से मिले। उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि हमारी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा। हमें स्वास्थ्य मंत्री से मिलने का भी समय दिया गया है।”

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