इंटरार्क मजदूरों की बड़ी जीत, मैनेजमेंट झुका, तालाबंदी खत्म

इंटरार्क कंपनी द्वारा किए गए अवैध तालाबंदी के खिलाफ आखिरकार मजदूरों की जीत हुई और कोर्ट के आदेश के एक महीने से ज्यादा होने के बाद कंपनी लॉकआउट खत्म करते हुए बुधवार से मजदूरों को काम पर बुला लिया है।

कंपनी मैनेजमेंट ने मजदूरों को पत्र जारी करते हुए कहा कि 16 मार्च से शुरू हुई तालाबंदी को 6 जुलाई को खत्म कर सुबह 8 बजे से कंपनी को सुचारु रूप से चलाने का निर्णय लिया गया है।

हाई कोर्ट ने 30 मई को सिडकुल पंतनगर और किच्छा में इंटरार्क कंपनी प्रबंधन द्वारा की गई तालाबंदी को गैरकानूनी घोषित कर दिया था। साथ ही कंपनी को यह आदेश दिया था कि वह इंटरार्क के सभी मज़दूरों को सैलरी व अन्य लाभ का भुगतान करे।

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इंटरार्क के करीब 500 वर्कर 300 दिनों से भी ज्यादा से पुनर्नियुक्ति की मांग करते हुए धरने पर बैठे हैं।

बताते चलें कि इस साल 18 फ़रवरी में मैनेजमेंट ने एक महीने में कंपनी बंद करने का ऐलान कर दिया था।

कंपनी मालिक गैरकानूनी तरीके से कच्चे माल व मशीनों को दो नम्बरी तरीके से कंपनी से बाहर भेजकर कंपनी को बंद कर वहां कार्यरत करीब 1000 मजदूरों को नौकरी से निकालने की साजिश रच रहे थे।

रात के अंधेरे में करीब चार दर्जन मशीनों से भरे ट्रकों को कंपनी गेट से बाहर भेजने की खबर मिलने के बाद वर्करों ने गाड़ी को गेट पर ही पकड़ लिया था और वहीं दिन-रात धरना शुरू कर दिया था।

वर्करों की मांग थी कि 1 अप्रैल 2022 के कोर्ट द्वारा जारी किए गए आदेश का पालन कर पंतनगर प्लांट की तालाबन्दी समाप्त की जाये। साथ ही मजदूरों की सवैतनिक कार्यबहाली की जाये और मज़दूरों के बकाया वेतन का भी भुगतान किया जाये।

यूनियन से जुड़े 40 मजदूरों को झूठे आरोप लगाकर निलंबित कर दिया गया था, उनकी तत्काल बहाली की जाए।

बीते 4 साल से मजदूरों के वेतन वृद्धि नहीं की गई है। लेबर कोर्ट के तमाम आदेश के बावजूद कंपनी प्रबंधन ने वेतन समझौते के लिए कोई बैठक नहीं बुलाई थी। इसलिए कंपनी तत्काल वेतन समझौते की पहलकदमी करे।

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