मज़दूर कार्यकर्ता शिव कुमार को टॉर्चर करने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग

मज़दूर अधिकार कार्यकर्ता शिव कुमार का उत्पीड़न करने वाले सोनीपत पुलिस के अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग उठ रही है। हाल  ही में एक न्यायिक जांच रिपोर्ट में ये पाया गया कि शिव कुमार की हिरासत ग़ैरक़ानूनी थी और उनको हिरासत के दौरान टॉर्चर किया गया।

बीते मंगलवार, 17 जनवरी को सोनीपत में “नागरिक अधिकार मंच” के बैनर तले मजदूर आंदोलन पर पुलिसिया दमन और चार लेबर कोड को लेकर एक कन्वेंशन में वक्ताओं ने दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की।

कनेक्शन में मुख्य वक्ता के तौर पर एडवोकेट राजिंदर (रेवाडी) और एडवोकेट एहतमाम (दिल्ली) शामिल हुए। उन्होने बात रखते हुए कहा कि जिस तरह से मजदूरों के ऊपर लगातार दमन बढ़ रहा है,यह लोकतांत्रिक नहीं, बल्कि कंपनी मालिकों, पुलिस वालों, गुंडा गिरोहों और सरकार के गठजोड़ से कुछ अमीरों के मुनाफे को ध्यान में रखते हुए मजदूरों पर वो हमला है, जिसका जवाब आंदोलनों से ही दिया जा सकता है।

आंदोलनों  की ज़रूरत

“जितने भी आला अधिकारी हैं, वो मुनाफाखोरों के साथ मिले हुए हैं और मजदूरों के खिलाफ खड़े हुए हैं, जो भी मजदूरों के हक अधिकारों के लिए अवाज उठाता है, उसको पुलिस के दमन का सामना करना पड़ता है। जैसा की सोनीपत ने मज़दूरों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वाले दलित मज़दूर अधिकार कार्यकर्ता व अगुवा नेता शिव कुमार के साथ हुआ।”  ऐसा कहना है एडवोकेट एहतमाम का।

एडवोकेट एहतमाम ने शिव कुमार के न्यायिक जांच रिपोर्ट पर बात करते हुए यह बताया कि सोनीपत एसपी द्वारा गठित जांच कमेटी जिसकी अध्यक्ष निकिता खट्टर थी, उन्होंने कुंडली पुलिस थाने के पुलिसकर्मियों की बात दोहराने के सिवा कोई तथ्य नहीं पेश किए, ना ही उन्होंने मजदूर अधिकार संगठन के कार्यकर्ताओं के बयानों पर जोर दिया।

उन्होंने बताया निकिता खट्टर का कथित जांच पूरी तरीके से पुलिस पक्ष की बयानबाजी है। लेबर कोर्ट पर चर्चा करते हुए उन्होंने बोला कि यह पूरी तरीके से मजदूर विरोधी है। एडवोकेट राजेंद्र ने विस्तार से लेबर कोर्ट कोड पर बात रखी और उसके असली मजदूर विरोधी चरित्र को सम्मेलन में उपस्थित लोगों के सामने रखा।

शिव कुमार की हाल ही में आई जांच रिपोर्ट में यह साबित हो चुका है कि जितने भी आला अधिकारी हैं, वो मुनाफाखोरों के साथ मिले हुए हैं और मजदूरों के खिलाफ खड़े हुए हैं, जो भी मजदूरों के हक अधिकारों के लिए अवाज उठाता है, उसको पुलिस के दमन का सामना करना पड़ता है।

क्या था मामला

ज्ञात हो कि क़रीब दो साल पहले जनवरी 2021 में सोनीपत के कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में मज़दूरों के बीच काम करने वाले मज़दूर अधिकार संगठन (एमएएस) के कार्यकर्ता लॉकडाउन का बकाया दिलाने के लिए फ़ैक्ट्री गेट पर पिकेटिंग कर रहे थे।

कुछ मज़दूरों के साथ एमएएस की नेता नौदीप कौर और अन्य लोग मजदूरी के भुगतान को लेकर फैक्ट्री परिसर के बाहर इकट्ठे हुए। आरोप है कि मैनेजमेंट के गुंडों ने हमला कर दिया था और मज़दूरों और गुंडों के बीच झड़प भी हुई।

जिसमें कि MAS की सदस्य नवदीप कौर को घटना स्थल से ही गिरफ्तार किया गया था। जबकि शिव कुमार को घटना के कुछ दिनों बाद सोनीपत स्थित राई में KFC की दुकान के सामने मूवेबल टॉयलेट्स के पास से अवैध हिरासत में लिया गया था।

अवैध हिरासत के दौरान शिव कुमार के साथ हरियाणा पुलिस ने उनको सात दिन तक अवैध हिरासत में रखा गया था। उसके बाद अगले और 10 दिनों के लिए रिमांड में भेज दिया गया। जहां उनके साथ शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से प्रताड़ित किया। इस बात की पुष्टि जिला और सत्र न्यायाधीश दीपक गुप्ता ने अपनी रिपोर्ट में भी किया है।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा गठित जांच समिति ने दलित मज़दूर अधिकार कार्यकर्ता शिव कुमार पर पिछले साल ग़ैरक़ानूनी तरीके से हिरासत में लेने और उस दौरान बुरी तरह टॉर्चर करने के आरोपों की पुष्टि की है l

कार्रवाई की उठी मांग

वहीं कन्वेंशन का हिस्सा बनी MAS की सदस्य नवदीप कौर ने कहा कि कार्यकर्ता शिव कुमार को शरीरिक और मानसिक रूप से मारपीट करने वालों के ऊपर कार्रवाई होनी चाहिए, अगर ऐसा नहीं होता, तो हम आने वाले समय में बढ़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे l

अध्यक्ष श्रद्धांनंद सोलंकी ने कहा कि जब तक ऐसे ही दमन होता रहेगा, हम लड़ते रहेंगे और यह लड़ाई जारी रहेगी। नागरिक अधिकार मंच हमेशा से संघर्ष करता है और आगे भी करता रहेगा। शिव कुमार को न्याय दिलाने के लिए और कल फिर मजदूरों की अवाज इस तरह ना दबाई जा सके इसके लिए हम सबको एकजुट होना होगा।

कल आयोजित हुए कन्वेंशन ने मनीषा, अभिषेक, शिलकराम दहिया और एडवोकेट कपिल ने भी अपनी बात रखी।

इस कार्यक्रम में सोनीपत और गुड़गांव में सक्रिय कई अलग अलग मज़दूरों संगठनों ने हिस्सा लिया। इसके अलावा कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले प्रवासी मजदूर व मजदूर महिलाएँ, छात्र भी शामिल हुए।

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