22 जुलाई से किसान मॉनसून सत्र की समाप्ति तक संसद के बाहर करेंगे विरोध प्रदर्शन, विपक्ष को भी चेतावनी

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सिंघू बार्डर पर रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद किसान आंदोलन के नेताओं ने आने वाले दिनों में अपने संघर्ष को तेज करने के लिए कई फैसलों की घोषणा की।

19 जुलाई 2021 से मानसून सत्र शुरू होगा। एसकेएम जुलाई 17 तारीख को देश के सभी विपक्षी दलों को एक चेतावनी पत्र भेजेगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सत्र का उपयोग किसानों के संघर्ष का समर्थन करने के लिए किया जाता है, और किसानों की मांगों को सरकार पूरा करे।

इसके अलावा, 22 जुलाई से, प्रति संगठन पांच सदस्य और प्रति दिन कम से कम दो सौ प्रदर्शनकारी संसद के बाहर हर दिन मानसून सत्र की समाप्ति तक विरोध प्रदर्शन करेंगे।

किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, ”हम विपक्षी सांसदों से भी सदन के अंदर हर दिन इस मुद्दे को उठाने के लिए कहेंगे, जबकि हम विरोध में बाहर बैठेंगे। हम उनसे कहेंगे कि संसद का बर्हिगमन कर केंद्र को लाभ न पहुंचाएं। जब तक सरकार इस मुद्दे का समाधान नहीं करती तब तक सत्र को नहीं चलने दें।”

संसद का मॉनसून सत्र 19 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। राजेवाल ने कहा, ”जब तक वे हमारी मांगें नहीं सुनेंगे, हम संसद के बाहर लगातार विरोध प्रदर्शन करेंगे। प्रत्येक किसान संगठन के 5 लोगों को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए ले जाया जाएगा।”

संयुक्त किसान मोर्चा ने पेट्रोल, डीजल और एलपीजी सिलेंडर की बढ़ती कीमतों के खिलाफ 8 जुलाई को देशव्यापी विरोध का भी आह्वान किया। मोर्चा ने लोगों से राज्य के और राष्ट्रीय राजमार्गों पर सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक बाहर आने और अपनी गाड़ियों को वहां लगाने को कहा।

उन्होंने कहा, ”आपके पास जो भी वाहन हैं, ट्रैक्टर, ट्रॉली, कार, स्कूटर, बस उसे निकटतम राज्य या राष्ट्रीय राजमार्ग पर लाएं और वहां पार्क करें। लेकिन ट्रैफिक जाम न लगाएं।” उन्होंने विरोध में एलपीजी सिलेंडर लाने को भी कहा।

किसान नेता ने लोगों से रात 12 बजे आठ मिनट के लिए ”अपने वाहनों का हॉर्न बजाने” की भी अपील की। उन्होंने विरोध में एलपीजी सिलेंडर लाने को भी कहा। किसान नेता ने कहा, ”मैं सभी महिलाओं से अपने गैस सिलेंडर को सड़कों पर लाने और विरोध का हिस्सा बनने का आह्वान करता हूं।”

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के हालिया बयान के बारे में एक सवाल के जवाब में राजेवाल ने कहा कि किसान ”शर्तों के साथ बात नहीं करेंगे।” कृषि मंत्री ने कहा था कि सरकार किसानों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है।

राजेवाल ने कहा, ”नेता शर्तों के साथ कृषि कानूनों के बारे में बात करना चाहते हैं, हम उनसे बात करने के लिए तैयार हैं लेकिन तभी जब वे कानूनों को निरस्त करने के लिए सहमत हों।”

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