उत्तराखंड: हाईकोर्ट के सामने बैकफुट पर सरकार, रोडवेज कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए बेचेगी संपत्ति!

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उत्तराखंड हाईकोर्ट को मुख्य सचिव ने बताया है कि रोडवेज कर्मचारियों की सैलरी मामले में अभी बैठक नहीं हो सकी है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में प्रस्तावित बैठक में सैलरी के मुद्दे पर निर्णय लिया जाएगा।

इस मामले में हाईकोर्ट ने 16 जुलाई को संभावित बैठक कर विचार करने के निर्देश दिए हैं। चीफ जस्टिस कोर्ट ने सरकार को परिवहन निगम का 23 करोड़ की धनराशि अवमुक्त करने को भी कहा है।

कोर्ट ने कहा, ”रोडवेज कर्मचारी महामारी से नुकसान का जिम्मेदार नहीं है। काम के बदले तनख्वा उसका मूलभूत अधिकार है और सरकार ये अधिकार नहीं छीन सकती है।”

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एमडी परिवहन से जानकारी सैलरी को लेकर मांगी तो एमडी ने कहा कि गांधी रोड पर तीन संपत्तियां बेचने का प्रस्ताव सरकार को भेजा है।

एमडी परिवहन ने सरकार के निर्णय लेने के बाद उस धनराशि से सैलरी व अन्य देनदारी पूरी करने की बात कही है। हालांकि कोर्ट इस बात से संतुष्ट नहीं रही।

कोर्ट ने सरकार को पूरा प्लान तैयार कर 19 जुलाई तक बताने के निर्देश दिए हैं।

गौरतलब है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रोडवेज कर्मचारियों को पांच माह से वेतन न दिए जाने के मामले में सरकार की ओर से स्पष्ट उत्तर नहीं मिलने पर सख्त नाराजगी दिखाई है।

अदालत ने टिप्पणी की कि सरकार का व्यवहार “आपराधिक लापरवाही ” है। कोर्ट ने इस मामले पर एक विशेष बैठक निर्धारित की थी।

बता दें कि रोडवेज कर्मचारियों को करीब पांच महीनों से सैलरी नहीं मिलने के मामले में रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने याचिका दाखिल की है जिस पर कोर्ट सुनवाई कर रही है।

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता द्वारा कोर्ट को बताया गया, ”इस मामले का नेचर सर्विस से जुड़ा है। यह कर्मचारियों के वेतन का मामला है। इसमें सर्विस की रिट दायर होनी थी। याचिकर्ता ने जनहित याचिका दायर कर दी इसलिए यह पोषणीय नहीं है।”

इस पर कोर्ट ने बताया, ”निगम के कर्मचारियों को पांच माह से वेतन नहीं दिया गया। कोर्ट इस मामले को सुमोटो भी ले सकती है। यह कोर्ट की पावर है क्योंकि यहां कर्मचारियों के अधिकारों का हनन हो रहा है।”

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