सिंघु बॉर्डर पर सम्मेलन में ट्रेड यूनियनें भी हुईं शामिल, 26 के भारत बंद को ऐतिहासिक बनाने का संकल्प

कृषि कानूनों को निरस्त कराने की मांग करते हुए दिल्ली के सीमा पर बैठे किसानों को 100 दिनों से ज्यादा का वक्त हो चुका है।

26 मार्च को किसान आंदोलन के चार महीने पूरे होने पर किसानों ने भारत बंद का ऐलान पहले ही कर दिया है।

किसान आंदोलन की आगे की रणनीति व 26 के भारत बंद को सफल बनाने के लिए सिंघू बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित एक बैठक में कई अलग-अलग प्रगतिशील संगठनों ने भाग लिया।

किसान मोर्चा द्वारा बुलाई गई इस बैठक में विभिन्न संगठित और असंगठित क्षेत्रों के ट्रेड यूनियनों, व्यापारियों और आड़तिया संघों, श्रमिक यूनियनों सहित कृषि यूनियनों, ट्रांसपोर्टर संघों, शिक्षक संघों, युवाओं और छात्र संघों और अन्य लोगों ने हिस्सा लिया।

किसान मोर्चा ने सभी संगठनों से इस आंदोलन को तेज करने में लोगों को जोड़ने और दिल्ली के आसपास के धरना स्थलों में शामिल होने में हरसंभव सहयोग की अपील की है।

किसान मोर्चा ने आनेवाले दिनों में अपने कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए बताया कि 18 से 23 मार्च तक शहीद भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु को याद करते हुए किसान-मज़दूर पदयात्रा का आयोजन किया जायेगा। हरियाणा,पंजाब और यूपी में इस पदयात्रा की तैयारी जोरों पर हैं।

किसान नेताओं ने बताया कि इस दौरान हरियाणा,पंजाब और यूपी के कई जगहों से होते हुए ये पदयात्रा टिकरी बॉर्डर,सिंघु बॉर्डर और पलवल बॉर्डर पर पहुंचेगी।

सयुंक्त किसान मोर्चा ने धरना स्थलों के आसपास दिल्ली पुलिस द्वारा बढ़ाई जा रही बैरिकेडिंग की आलोचना करते हुए कहा कि पुलिस का ये फैसला पूरी तरह से तर्कहीन है।

एसकेएम कहा कि पुलिस आंतरिक सड़कों सहित ऐसे बैरिकेडिंग को हटाए ताकि स्थानीय लोगों के जीवन को आसान रखा जा सके और उनकी आजीविका की रक्षा की जा सके।

वही कर्नाटक में 400 किलोमीटर की पदयात्रा तय कर रहे किसान 23 मार्च को बेलारी पहुंचेंगे। जिसके बाद  6 अप्रैल को कर्नाटक के गांवों की इकट्ठा की जा रही मिट्टी को सिंघु बोर्डर पर लाया जाएगा,जिससे यहां आंदोलन के शहीदों के लिए स्मारक बनाने की योजना बनाई जा रही है।

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