आधार से लिंक न होने पर 3 करोड़ राशन कार्ड रद्द, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मोदी सरकार को फटकार

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आधार कार्ड से लिंक न होने के कारण क़रीब तीन करोड़ राशन कार्ड रद्द किये जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए इसे बहुत गंभीर मामला बताया है। इस पर केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब मांगा गया है।

सुप्रीम कोर्टे के वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्विस ने याचिकाकर्ता की ओर से कहा कि ‘आधार कार्ड से लिंक न होने के कारण उनका राशन कार्ड स्थानीय प्राधिकारियों ने रद्द कर दिया था, जिसकी वजह से मार्च 2017 में उनके परिवार को राशन मिलना बंद हो गया था और पूरे परिवार को भूखे रहने पर मजबूर होना पड़ा था।’

याचिकाकर्ता  का कहना है कि ‘उनकी बेटी संतोषी की भोजना ना मिल पाने की वजह से मौत हो गई थी।’ झारखण्ड से आने वाली 11 वर्षीय संतोषी की भूख के कारण 28 सितंबर 2018 को मौत हुई थी। संतोषी की बहन गुड़िया देवी इस मामले में संयुक्त याचिकाकर्ता हैं।

याचिका में यह भी कहा गया कि ‘संतोषी की मौत के दिन भी उनकी माँ चाय के साथ उसे केवल नमक दे सकी थीं, क्योंकि रसोई में सिर्फ़ वही मौजूद था। इसके बाद उसी रात संतोषी की मौत हो गई।’

सुनवाई की शुरुआत में ही वकील कोलिन गोंजाल्विस ने कहा कि ‘ये याचिका एक बड़े मामले को उठाती है।’ उन्होंने कहा, “यह मामला महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि केंद्र सरकार ने इसी तरह क़रीब तीन करोड़ राशन कार्ड रद्द कर दिये हैं।”

हालांकि, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने कहा कि ‘कोलिन गोंजाल्विस का यह दावा ग़लत है कि केंद्र सरकार ने राशन कार्ड रद्द कर दिये हैं।’

पीठ ने कहा कि ‘हम आपसे (केंद्र से) आधार कार्ड मामले के कारण जवाब माँग रहे हैं। यह विरोधात्मक मुक़दमा नहीं है। हम अंतत: इस पर सुनवाई करेंगे। नोटिस जारी किए जायें, जिनपर चार सप्ताह में जवाब दिया जाए, क्योंकि यह बहुत गंभीर मामला है।’

शीर्ष अदालत ने 9 दिसंबर, 2019 को वैध आधार कार्ड नहीं होने पर राशन आपूर्तियों से वंचित किये जाने के कारण लोगों की मौत होने के आरोप को लेकर सभी राज्यों से जवाब माँगा था।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार पीठ ने कहा था, ‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की धारा-14, 15 और 16 में शामिल शिक़ायतों के निवारण तंत्र के कार्यान्वयन के लिए उन्होंने जो क़दम उठाये हैं, उन पर प्रतिक्रिया देने वाले राज्यों को चार सप्ताह में जवाब देने योग्य नोटिस जारी करें। राज्य के स्थायी वकील को नोटिस दिया जा सकता है।’

इससे पहले केंद्र ने कहा था कि रिपोर्ट से पता चलता है कि मौतें भूख से नहीं हुई थीं। केंद्र ने कहा था कि ‘वैध आधार कार्ड की कमी के कारण किसी को भी भोजन से वंचित नहीं किया गया था।’

हालांकि इस रिपोर्ट पर काफ़ी हंगामा हुआ था और सरकार की नाकामियों को छिपाने के लिए तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश किए जाने के आरोप लगे थे।

(बीबीसी हिंदी से साभार।)

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