गुडग़ांव के दर्जनों सिक्योरिटी गार्ड के सामने आई भिखारी बनने या भूख से मरने की नौबत

 

”तीन महीने से सेलरी नहीं मिली। लगभग 60 सिक्योरिटी गार्ड हैं, जिनको सेक्टर 37 बी में क्यू टेरियर सिक्योरिटी एजेंसी ने रखा था। मास्क तो हैं नहीं, रुमाल से काम चला ले रहे थे। अब इतने पैसे भी नहीं बचे कि साबुन लेकर रुमाल धो लें। कई का सामान मकान मालिकों ने सड़क पर फेंक दिया। सरकारी राशन मिलने की उम्मीद पर घर से बाहर निकले तो पुलिस ने पीटा। मां बीमार है, दवा भी नहीं है, वो चल फिर भी नहीं सकतीं। दो मेरे बच्चे हैं और बेवा बहन भी तीन बच्चों के साथ मेरे सहारे है। अकेले कमाने वाला हूं, लेकिन क्या करें, भीख मांगें या भूखे मरें।”

देश के श्रमिकों की आवाज बन चुके ‘वर्कर्स यूनिटीÓ को फोन करके गुडग़ांव से सिक्योरिटी गार्ड रहे प्रदीप कुमार ने रुंधे गले से इन शब्दों में अपना दर्द साझा किया।

कहीं शिकायत की है या नहीं? इस सवाल पर प्रदीप कुमार ने कहा कि हमारे सेक्टर के हेड रहे निजाम अली ने लेबर कोर्ट में शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, अब शायद कोर्ट में मुकदमा दायर किया जाए।

उन्होंने कहा, कैसे क्या करें, इसकी ज्यादा कानूनी जानकारी नहीं है, इसलिए अफसरों तक बात नहीं पहुंचा सके। अफसरों तक पहुंचना भी कहां आसान है, जब राशन लेने को निकलने पर ही पुलिस पीट रही है।

वे बोले, इस हालत से तो अच्छा था कि अपने घर बुलंदशहर ही चले जाते। क्या वहां अपना मकान या जमीन है? नहीं, वहां भी किराए पर रहते थे, लेकिन आसपास कुछ लोगों से कुछ सहारा मिलने की उम्मीद है, इसलिए जाना चाहते हैं, लेकिन जाएं कैसे। ये कहते हुए प्रदीप फफक पड़े।

कहा, बाकी लोगों का भी यही हाल है, ज्यादातर उत्तरप्रदेश और बिहार के ही रहने वाले हैं। मेरी एक 13 साल की बेटी और दस साल का बेटा है। यहां अब बच्चों के लिए भूख ही नहीं, परिवार की अस्मत तक खतरे में महसूस होती है।

‘वर्कर्स यूनिटीÓ ने ‘क्यू टेरियर सिक्योरिटीÓ के अधिकारी राजीव कुमार को कई बार फोन करके उनका पक्ष जानने की कोशिश की, मैसेज भी भेजा, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला।

बहरहाल, कमोबेश इन्हीं हालात से प्रवासी मजदूर सभी जगह जूझ रहे हैं। लॉकडाउन के समय उनको वेतन नहीं मिल रहा और काम से निकाला भी जा रहा है।

पिछले दिनों गुडग़ांव में ही अमेरिकी कंपनी फेयर पोर्टल ने 800 लोगों को काम से निकाल दिया। कंपनियां काम से निकालने को काम से बैठाने की भाषा का प्रयोग कर रही हैं।

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