जाम रहा देश का चक्का,गुजरात में किसान नेता गिरफ्तार:भारत बंद

26 अप्रैल को किसान आंदोलन के 4 महीने पूरे होने पर मोदी सरकार के लाये तीन कृषि कानूनों के खिलाफ और एमएसपी की गारंटी का कानून बनाने की मांग को संयुक्त किसान मोर्चा ने भारत बंद का आह्वान किया था।

‘संयुक्त किसान मोर्चा और सेंट्रल ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाए गये  भारत बंद का देशभर में व्यापक असर देखा गया। किसान मोर्चा ने सभी किसानों-मजदूरों व आम जनता को आज के भारत बंद की सफलता की बधाई दी है।

किसान मोर्चा  ने अपने बयान में कहा कि “आज देश के अनेक भागों में भारत बंद का व्यापक प्रभाव रहा। बिहार में 20 से ज्यादा जिलों में लोगों ने बंद कराया, पंजाब में 200 से ज्यादा स्थानों पर और हरियाणा में भी बड़े पैमाने पर लोगों ने बंद को सफल बनाया। कर्नाटक व आन्ध्रप्रदेश में भी व्यापक स्तर पर बंद का प्रभाव रहा।”

वहीं गुजरात के किसानों के साथ संघर्ष में पहुंचे किसान नेता युद्धवीर सिंह को गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान नेता युद्धवीर सिंह की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करते हुए अपना विरोध व्यक्त किया है।

गुजरात पुलिस ने युद्धवीर सिंह को उस समय गिरफ्तार किया जब वो भावनगर में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। युद्धवीर सिंह के साथ जेके पटेल, गजेंद्र सिंह, रंजीत सिंह व गुजरात के कई नेताओं को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

किसान मोर्चा ने कहा कि तीन कृषि कानूनो के खिलाफ व MSP की कानूनी गारंटी के लिए दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के चल रहे धरनों को आज 4 महीने पूरे हो रहे है। इतना लंबा आन्दोलन चलना न सिर्फ किसानों के हौसले की जीत है, बल्कि यह सरकार के लिए शर्म की भी बात है। हर मौसम की मार सहते हुए भी किसान दिल्ली के मोर्चो पर डटे हुए है।

किसान और मज़दूर संगठनों द्वारा बुलाये गये इस बंद का देश भर में व्यापक असर देखा गया।

बिहार में बड़े पैमाने पर भारत बंद का असर देखा गया। पटना सहित भोजपुर, रोहतास, बक्सर, गया, नवादा, शेखपुरा, नालंदा, पूर्णिया, बेगूसराय, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सीवान, वैशाली समस्तीपुर, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, जमुई, पश्चिमी चम्पारण, आदि जिलों में बंद का व्यापक असर रहा।

उत्तरप्रदेश में अलीगढ़, मोरादाबाद, इटावा, संभल समेत कई जगहों पर सड़कें व बाजार बंद रखे गए।

आंध्रप्रदेश में सरकार समेत लगभग सभी राजनीतिक दलों ने इस बंद का समर्थन किया था। कुरनूल व विजयवाड़ा में किसान संगठनों ने बंद को सफल बनाया। वारंगल, हनमाकोंडा व महबूबाबाद समेत दर्जनों जगह तेलंगाना में भारत बंद का असर देखा गया।

कर्नाटक के बैंगलोर समेत मैसूर, गुलबर्गा, मांड्या में किसानों ने सांकेतिक धरने दिए। मैसूर में तीन कृषि कानूनो की प्रतियां भी जलाई गईं।

ओडिशा के केंद्रपाड़ा व भद्रक व अन्य जगहों पर किसानों ने भारत बंद में अपना सहयोग दिया। उतराखण्ड में उधम सिंह नगर में बड़ी संख्या में किसानों ने इस बंद को सफल बनाया।

झारखंड में रांची समेत अन्य जिलों में किसानों ने सडक़े जाम की। महाराष्ट्र में भी किसानों ने भारत बंद से भूमिका निभाई व पालघर और जलगांव में किसानों ने सडक़े बंद रखी।

पंजाब विश्वविद्यालय व पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में छात्र सक्रिय रूप से इस आन्दोलन में सेवा कर रहे है।

सयुंक्त किसान मोर्चे के भारत बंद की कॉल पर छात्रों ने एक मार्च निकाला। वहीँ पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ, छात्र संगठनों व स्टाफ ने आज के भारत बंद को समर्थन दिया।

राजस्थान के बीकानेर, श्रीगंगानगर, केसरीसिंहपुर, पदमपुर, अनूपगढ़, NH 62 व अन्य स्थानों पर किसानों ने सड़के जाम की।

हरियाणा में लगभग हर जिले से भारत बंद के सफल आयोजन की खबरें है। कुरुक्षेत्र, करनाल, सोनीपत, यमुनानगर, अम्बाला आदि शहरों से संचालन बंद रहा। पंजाब में मानसा, अमृतसर, मोगा, फिरोजपुर, जलंधर समेत 200 से ज़्यादा जगहों पर भारत बंद के कार्यक्रम हुए।

भारत बंद कार्यक्रम के दौरान, कर्नाटक और गुजरात जैसे भाजपा शासित राज्यों में कई संयुक्त किसान मोर्चा  नेताओं और कैडर को पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया।

किसान मोर्चा ने नेताओं और कैडर की गिरफ्तारी को गैर संवैधानिक बताया और कहा कि  “यह शांतिपूर्ण ढंग से विरोध कर रहे नागरिकों के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है, जिसे भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने वर्तमान किसानों के विरोध प्रदर्शनों के संदर्भ में भी कहा है।”

कर्नाटक में कविता कुरुगूंटी, कोडिहल्ली चंद्रशेखर, बेयारेड्डी, ट्रेड यूनियन नेताओं और अन्य प्रदर्शनकारियों को बैंगलोर में पुलिस द्वारा उठाया गया।

कर्नाटक पुलिस ने गुलबर्गा में भी कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया। एसकेएम ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ इस व्यवहार की कड़ी निंदा और विरोध किया।

किसान मोर्चा  ने बेंगलुरु के टाउन हॉल में सिविल कपड़ों में महिला पुलिस की तैनाती की निंदा की। भाजपा शासित सरकारें किसान आंदोलन को दबाने के लिए अपनी बौखलाहट में बुनियादी मानदंडों और नियमों का उल्लंघन कर रही हैं।

दिल्ली के आसपास के धरनास्थलों पर मौजूद किसानों ने आसपास की सड़के व रेलमार्ग जाम किये। दिल्ली के मजदूर संगठनों का अन्य जनवादी संगठनों ने दिल्ली के अंदर भी विरोध प्रदर्शन किया। मायापुरी, कालकाजी समेत अन्य जगहों पर जागरूक नागरिको ने सांकेतिक हड़ताल की।

अनेक राजनीतिक दलों, बार संघ, ट्रेड यूनियनों, छात्र संगठनों, जनवादी संगठनों, आढ़ती एसोसिएशन, छोटे व्यापारियों, सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत संगठन, सामाजिक व धार्मिक संगठनों व जागरूक नागरिको ने इस बंद का समर्थन किया और इसके लिए हरसंभव प्रयास किये। सयुंक्त किसान मोर्चा  इन सब प्रयासों की प्रशंसा करता है।

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