कोरोना की दूसरी लहर से GDP में आई 7.3% की गिरावट, 4 दशकों का सबसे बड़ा झटका

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कोरोना की दूसरी लहर ने भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचाया है। वित्तीय वर्ष 2021 में भारत की विकास दर -7.3% रही। जबकि 2019-20 में 4 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। यह पिछले करीब 4 दशकों का सबसे खराब प्रदर्शन है।

हालांकि, जनवरी-मार्च 2021 के दौरान वृद्धि दर इससे पिछली तिमाही अक्तूबर-दिसंबर 2020 के 0.5 फीसदी वृद्धि के मुकाबले बेहतर थी।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2019-20 में जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तीन फीसदी की वृद्धि हुई थी।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने इस साल जनवरी में जारी अपने पहले अग्रिम अनुमानों के आधार पर कहा था कि 2020-21 के दौरान जीडीपी में 7.7% गिरावट रहेगी।

राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 9.3% रहा। यह वित्त मंत्रालय के संशोधित अनुमान 9.5% से कम है।

महालेखा नियंत्रक (सीजीए) ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए केंद्र सरकार के राजस्व-व्यय का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए कहा, ”पिछले वित्त वर्ष में राजस्व घाटा 7.42% था। निरपेक्ष रूप से राजकोषीय घाटा 18,21,461 करोड़ रुपए बैठता है जो प्रतिशत में जीडीपी का 9.3% है।”

सरकार ने फरवरी 2020 में पेश बजट में 2020-21 के लिए शुरू में राजकोषीय घाटा 7.96 लाख करोड़ रुपए या जीडीपी का 3.5% रहने का अनुमान जताया था।

वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में पिछले वित्त वर्ष के लिये राजकोषीय घाटा अनुमान को संशोधित कर 9.5% यानी 18,48,655 करोड़ रुपए कर दिया गया।

कोविड-19 महामारी और राजस्व प्राप्ति में कमी को देखते हुए राजकोषीय घाटे के अनुमान को बढ़ाया गया। वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा बढ़कर जीडीपी का 4.6% रहा था। मुख्य रूप से राजस्व कम होने से राजकोषीय घाटा बढ़ा है।

वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थ‍िक सलाहकार के सुब्रह्मण्यम ने कहा, “वित्तीय साल 2020-21 की फर्स्ट क्वार्टर में गिरावट 24.4% थी। अब 2020-21 में इकनोमिक कंट्रक्शन -7.3 % रहा जो फरवरी में अनुमानित -8% में मार्जिनल इम्प्रूवमेंट है।”

सोमवार को ही वाणिज्य मंत्रालय ने अप्रैल महीने के लिए 8 कोर इंडस्ट्रीज के प्रोडक्शन के आंकड़े सार्वजानिक किये जो दर्शाते हैं कि अर्थव्यवस्था का संकट नए वित्तीय साल में फिर गहराता जा रहा है।

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