डीटीसी के कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी स्थाई नौकरी और OPS की मांग को लेकर आंदोलन पर उतरे

दिल्ली  परिवहन  निगम  यानि डीटीसी के कॉन्ट्रैक्ट  कर्मचारी लंबे  समय  से स्थाई  नौकरी और  पुरानी पेंशन योजना  को लागू करने की मांग  कर रहे हैं।

इस मांग को लेकर बीते 5 नवंबर से  उन्होंने  आंदोलन को तेज कर दिया है।

यह आंदोलन 15  नवंबर तक चलेगा  और  यदि उनकी मांगे नहीं मानी गई तो  वे डीटीसी मुख्यालय पर और मुख्यमंत्री  कार्यालय के बाहर भी प्रदर्शन करेंगे।

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पुरानी पेंशन की मांग में  स्थाई कर्मचारी भी शामिल हैं।

डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर के महासचिव राजेश  ने  एक विज्ञप्ति जारी कर कहा  है कि , पिछले 5 नवम्बर से लगातार जारी हमारे अभियान में  बीबीएम, सुभाष प्लेस, वजीरपुर, नारायणा, शादीपुर, जीटीके, रोहिणी 1, रोहिणी 2, रोहिणी 3, रोहिणी 4, नरेला इत्यादि डिपो में पोस्टर लगाए जा चुके हैं।  साथ ही  कई डिपो में गेट मीटिंग व विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं।

उन्होंने   दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए  कहा है कि  दिल्ली सरकार व डीटीसी प्रबंधन – कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को पक्का करने की मांग को लेकर तनिक भी गंभीर नहीं हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अन्य राज्यों में तो कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को पक्का करने के वादे कर रहे हैं, पर दिल्ली के कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के बारे में कुछ भी नहीं कह रहे।

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उन्होंने  कहा कि, डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर (ऐक्टू), डीटीसी के समस्त कर्मचारियों से अपील करती है कि 5 नवंबर से लेकर 15 नवंबर तक चलने वाले हमारे कार्यक्रम में हिस्सा ज़रूर लें।

उन्होंने  कहा – “याद रखिए , यदि ओडिशा व अन्य राज्यों में कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी पक्के हो रहे हैं तो सिर्फ इसलिए कि वहाँ कर्मचारियों ने धर्म-जाति-भाषा के भेदभाव से ऊपर उठकर अपनी मांगों की लड़ाई को तेज़ किया और सत्ताधारी दलों के झूठे नेताओं से दूरी बनाये रखी।”

राजेश ने  वर्कर्स यूनिटी से बात करते हुए कहा कि,  जब भारत के पांच राज्यों में पुरानी पेंशन लागू हो सकती है तो , फिर राजधानी दिल्ली में क्यों नहीं?  इन्होंने पंजाब में भी इसे लागू किया है तो दिल्ली में करने में क्या दिक्कत है?

वर्तमान में डीटीसी में  75 फीसदी कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट पर कार्यरत हैं, डीटीसी वर्कर्स यूनिटी  का आरोप है कि अरविंद केजरीवाल जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तब  उन्होंने कहा था कि दिल्ली में कोई भी कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी नहीं होगा। लेकिन स्थिति उनके  उस वादे के उलट है।डीटीसी में  इस वक्त करीब 15 हजार से अधिक  कॉन्ट्रैक्ट  कर्मचारी हैं।

गौरतलब है कि केजरीवाल और उनके सभी मंत्री हर जगह दिल्ली मॉडल की बात करते हैं , वहीं केजरीवाल सरकार काम से अधिक अपने प्रचार के लिए विज्ञापनों  पर  करोड़ों रुपए खर्च करते हैं।

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