जंतर मंतर पर देशभर से आए MNREGA मज़दूरों का 3 दिवसीय धरना आज से शुरू

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MNREGA (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) का बजट कम किए जाने और भुगतान बढ़ाने समेत कई मांगों को लेकर जंतर मंतर पर आज से देश भर से आए मज़दूरों का तीन दिवसीय धरना शुरू हो गया है।

नरेगा संगर्ष मोर्चा के बैनर तले MNREGA मज़दूर लंबित वेतन, विलंबित भुगतान, अपर्याप्त बजटीय आवंटन सहित अन्य मुद्दों का विरोध कर रहे हैं।

नरेगा संगर्ष मोर्चा के सदस्यों का कहना है कि ” जहां गरीबी और बेरोजगारी में वृद्धि के कारण MNREGA की मांग बढ़ी है, वहीं केंद्र सरकार द्वारा बजटीय आवंटन को कम कर दिया गया है।”

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“इस वर्ष, सरकार ने बजटीय आवंटन को 15,000 करोड़ रुपए (पहले 97,034 करोड़ रुपये था अब 72,034 करोड़ रुपये हो गया है) कम कर दिए हैं। वहीं, मई 2021 से 2022 के बीच मनरेगा में काम की मांग 11 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई।”

 

मोर्चा का कहना है कि लाखों मज़दूरों को लंबित मजदूरी का सामना करना पड़ रहा है। मोदी सरकार द्वारा अपर्याप्त आवंटन के कारण MNREGA मज़दूरों को कहीं और कम भुगतान वाले काम की तलाश करने के लिए मजबूर कर दिया है।

MNREGA मज़दूर लंबे समय से मजदूरी और कार्य दिवसों की संख्या में वृद्धि की मांग कर रहे हैं। पिछले साल नरेगा संघर्ष मोर्चा ने अपनी मांगों को लेकर पीएम को पत्र लिखा था।

दिसंबर में, स्वराज अभियान ने MNREGA के कार्यान्वयन के लिए पर्याप्त धन सुनिश्चित करने, अगले 30 दिनों के भीतर सभी लंबित मजदूरी का भुगतान करने, प्रति परिवार 50 दिनों के काम का अतिरिक्त अधिकार प्रदान करने आदि के मामले में हस्तक्षेप करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

MNREGA एक कार्य का अधिकार एक ऐसी स्कीम है जो प्रत्येक ग्रामीण परिवार को साल भर में 100 दिनों के सुनिश्चित रोजगार की कारंटी करती है।

यह अधिनियम 2005 में एक लंबे संघर्ष के बाद पारित किया गया था, और इसे “दुनिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक निर्माण कार्यक्रम” और सबसे बड़ी गरीबी उन्मूलन योजना कहा जाता है।

समीक्षकों का आंकलन है कि COVID-महामारी के दौरान जब शहरों में मज़दूरों की नौकरियां चली गईं, MNREGA ने लाखों लोगों को भुखमरी से बचने में मदद की।

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