पांच साल बाद जेल से छूटे 111 आदिवासियों से मिलने से सोनी सोरी को रोका, क्या है मामला

By हिमांशु कुमार

बुरकापाल गांव जिला सुकमा छत्तीसगढ़ के एक सौ ग्यारह आदिवासियों को पिछले महीने अदालत ने रिहा किया है।

इन्हें फर्जी मामले में फंसा कर जेल में रखा गया इनकी जिंदगी के 5 साल बर्बाद कर दिए गए।

यह आदिवासी जेल से लौटकर गांव आए तो इन्होंने देखा कि इनके घर गिर चुके हैं खेत बर्बाद हो चुके हैं जिंदगी तबाह हो चुकी है।

एक अनाथ बच्चे को सोनी सोरी अपने साथ ले आई थी उसके पिता की हत्या पुलिस ने करके उसे जमीन में गाड़ दिया था मां पहले ही मर चुकी थी।

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जेल से रिहा होने के बाद गांव के आदिवासियों ने सोनी सोरी को अपने गांव में बुलाया ताकि वह अपनी तकलीफें उन्हें सुना सके और जिंदगी दोबारा शुरू करने के लिए चर्चा कर सकें।

सोनी सोरी उस बच्चे को अपने परिवार से मिलवाने के लिए लेकर उस गांव की तरफ चली।

लेकिन सोनी सोरी को रास्ते में ही पुलिस ने रोक लिया।

पुलिस ने सड़क के बीच में कांटेदार तार डाल दिये और सोनी सोरी को आगे नहीं जाने दिया।

देश के भीतर नागरिक कहीं भी आ जा सकता है लोगों से मिल सकता है।

पुलिस की कार्यवाही न सिर्फ एक नागरिक के बुनियादी अधिकारों का हनन है बल्कि आदिवासियों का नुकसान करने वाली है।

जब तक समाजसेवी वहां तक नहीं पहुंचेंगे आदिवासियों के लिए कोई भी मदद नहीं पहुंच पाएगी।

उनकी हालत बाहर तक कौन निकाल कर लाएगा?

प्रशासन वहां जा नहीं रहा है राजनीतिक नेता अभी तक पहुंचे नहीं है।

इन लोगों की जिंदगी सरकार ने तबाह की है।

सरकार ने अभी तक इनकी कोई सुध नहीं ली है।

आखिर यह आदिवासी क्या खाएंगे कैसे जिएंगे ?

सोनी सोरी ने थोड़ी देर पहले मुझसे फोन पर बात की है और कहा है कि “मैं बस्तर के युवाओं व महिलाओं को साथ लेकर दोबारा इस गांव की तरफ पैदल जाऊंगी।”

सोनी ने कहा है कि मैं इस बार देश के विभिन्न हिस्सों से मानवतावादी लोगों से अपील करती हूं कि वह भी हमारे साथ आएं और हमारे साथ पैदल इस गांव तक चलें।

ताकि पुलिस का दमन का सामना किया जा सके और इस गांव के लोगों के साथ एकजुटता वास्तविक रुप से दिखाई जा सके तथा इनकी मदद की जा सके।

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