नए लेबर कोड से छिन जाएंगे मजदूरों के सारे अधिकार : मासा

मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) ने लेबर कोड के खिलाफ दिल्ली में आज एक दिवसीय कन्वेंशन का आयोजन किया है। यह आयोजन दिल्ली के आइटीओ स्थित राजेन्द्र भवन में हुआ।

इसमें फैसला हुआ कि आगामी 13 नवंबर को दिल्ली में एक विशाल रैली की जाएगी। ये रैली दिल्ली के रामलीला मैदान में होगी। यहाँ से राष्ट्रपति भवन तक रैली निकाली जाएगी।

आज के कार्यक्रम को मुख्य रूप से लेबर कोड के विरोध में आयोजित किया गया था। मासा के सदस्यों की मांग है कि मज़दूर-विरोधी चार लेबर कोड तत्काल रद्द किया जाये, सार्वजनिक उद्योगों-संपत्तियों के निजीकरण को बंद किया जाये।

मज़दूरों को सम्बोधित करते हुए इंडियन फेडरेशन ऑफ़ ट्रेड यूनियंस (IFTU) के सदस्य एस वी राव का कहना है कि एक ज़माने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे, आज वही रेलवे की संपत्ति को बेच रहे है। rail का निजीकरण किया जा रहा है।

उनका कहना है कि नए लेबर कोड के लागू होने से मज़दूरों के सारे अधिकार छीन जायेंगे। उन्होंने कार्यक्रम में आये मज़दूरों और यूनियनों के सदस्यों को पुराने संघर्षों की याद दिलाय। साथ ही लेबर कोड को रद्द करने के लिए मज़दूरों को संघर्षों को तेज़ करने की बात कही।

 

राव ने कहा कि अब मोदी सरकार नए लेबर कोड को कभी भी लागू कर सकती है। इसीलिए अब बड़े बड़े सम्मेलनों का आयोजन किया जा रहा है। बीते 25-26 अगस्त को आंध्र प्रदेश के तिरुपति में नए लेबर कोड को लागू करने की कवायत के तहत दो दिवसीय राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन का आयोजन करके मोदी सरकार ने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं।

उन्होंने कहा कि आगामी 13 नवंबर की महारैली में सभी मज़दूरों को अपनी ताकत दिखाने की जरूरत है।

मासा कन्वेंशन में उपस्थित कर्नाटक श्रम शक्ति की सदस्य सुषमा का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा लाया जा रहा नया लेबर कोड पूरी तरह से मज़दूरों के अधिकारों को ख़त्म करने का कोड है। यदि इसको लागू होने से रोकना है, तो सभी को एकजुट होकर आवाज बुलंद करनी होगी।

मज़दूरों वर्ग की एक समस्या यह भी है कि हम ज्यादा दिनों तक अपने काम को रोक कर धरना नहीं दे सकते हैं। जिस तरह किसानों ने महीनों तक प्रदर्शन कर अपनी मांगों को मनवाया। उसकी तरह मज़दूरों को भी सड़कों पर उतर कर संघर्ष करने की ज़रूरत है। उन्होंने कन्वेंशन में मौजूद मज़दूरों और यूनियनों के सदस्यों से 13 नवंबर को भारी संख्या में मौजूद रहने की अपील की।

ठेकेदारी प्रथा का किया विरोध

मज़दूरों को सम्बोधित करते हुए SWC बंगाल के सदस्य अमिताबा ने कहा कि जहां एक तरफ पीएम मोदी का कहना है कि आज़ादी के बाद भी देश आज़ाद नहीं हुआ था। अब आठ वर्षों में देश में गुलामी पूरी तरह से बंद हो गई है, तो वह शायद यह भूल गए हैं कि आज भी देश गुलामी का शिकार है।

वर्तमान में पूरा देश अंबानी अडानी जैसे उद्योगपतियों की गुलामी करने को मज़बूर है और ये गुलामी देश में बीते आठ सालों में तेजी से बढ़ी है। देशभर के मज़दूरों को ठेकेदारी प्रथा का शिकार होना पड़ रहा है। क्या ये असल मायने में आज़ादी है?

कन्वेंशन में मासा के सदस्यों ने कहा कि मज़दूर विरोधी श्रम संहिताओं को रद्द करके मज़दूर-पक्षीय श्रम कानून बनाने, निजीकरण के जरिये देश बेचने की प्रक्रिया को रद्द करके सभी बुनियादी उद्योगों का राष्ट्रीयकरण करने, संगठित-असंगठित क्षेत्र के सभी मज़दूरों के सम्मानजनक स्थायी रोजगार और जायज अधिकारों के लिए संघर्ष को एक निरंतर, जुझारू और निर्णायक दिशा देना आज बेहद जरूरी बन गया है, जिसको असल में इस शोषण पर टिकी दमनकारी व्यवस्था को ही बदलने के संघर्ष में तब्दील करना पड़ेगा।

आज से कन्वेक्शन में तिरुपति सम्मलेन में नरेंद्र मोदी की भूमिका की तीखी आलोचना की गई है

केंद्रीय मांगें

  1. मज़दूर विरोधी चार श्रम संहिताएं तत्काल रद्द करो! श्रम कानूनों में मज़दूर-पक्षीय सुधार करो!
  2. बैंक, बीमा, कोयला, गैस-तेल, परिवहन, रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि समस्त सार्वजनिक क्षेत्र-उद्योगों-संपत्तियों का किसी भी तरह का निजीकरण बंद करो!
  3. बिना शर्त सभी श्रमिकों को यूनियन गठन व हड़ताल-प्रदर्शन का मौलिक व जनवादी अधिकार दो! छटनी-बंदी-ले ऑफ गैरकानूनी घोषित करो!
  4. ठेका प्रथा ख़त्म करो, फिक्स्ड टर्म-नीम ट्रेनी आदि संविदा आधारित रोजगार बंद करो – सभी मज़दूरों के लिए 60 साल तक स्थायी नौकरी, पेंशन-मातृत्व अवकाश सहित सभी सामाजिक सुरक्षा और कार्यस्थल पर सुरक्षा की गारंटी दो! गिग-प्लेटफ़ॉर्म वर्कर, आशा-आंगनवाड़ी-मिड डे मिल आदि स्कीम वर्कर, आई टी, घरेलू कामगार आदि को ‘कर्मकार’ का दर्जा व समस्त अधिकार दो!
  5. देश के सभी मज़दूरों के लिए दैनिक न्यूनतम मजदूरी ₹1000 (मासिक ₹26000) और बेरोजगारी भत्ता महीने में ₹15000 लागू करो!
  6. समस्त ग्रामीण मज़दूरों को पूरे साल कार्य की उपलब्धता की गारंटी दो! प्रवासी व ग्रामीण मज़दूर सहित सभी मज़दूरों के लिए कार्य स्थल से नजदीक पक्का आवास-पानी-शिक्षा-स्वास्थ्य-क्रेच की सुविधा और सार्वजनिक राशन सुविधा सुनिश्चित करो

(स्टोरी संपादित शशिकला सिंह)

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