बांग्लादेश के चाय बागान वर्कर क्यों कर रहे हैं प्रोटेस्ट?

बढ़ती महंगाई के चलते दिहाड़ी मजदूरी बढ़ाने की मांग को लेकर बांग्लादेश में चाय मजदूर करीब दो हफ्ते से हड़ताल पर हैं।

चाय दिहाड़ी मज़दूरों का आरोप है कि इस महंगाई के दौर में हमारा दैनिक वेतन मात्रा 120 रुपए है जिसके कारण परिवार का पालनपोषण करना काफी मुश्किल है।

दो सप्ताह पहले ईंधन की कीमतों में 50 फीसदी से अधिक की बढ़ोत्तरी के बाद हजारों मज़दूर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

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बांग्लादेश टी वर्कर्स यूनियन से साथ अपनी मांगों को पूरा करने के लिए हड़ताल कर रहे हैं। रविवार को प्रदर्शनकारियों ने सिलहट-ढाका हाईवे को जाम कर हड़ताल को आगे बढ़ा दिया।

मज़दूरों की मांग

हड़ताल कर रहे मज़दूरों कि मांग है कि उनकी दिहाड़ी मज़दूरों में बढ़ोत्तरी होनी चाहिए। उनका कहना है कि सभी चाय मज़दूरों को 300 रुपए दिहाड़ी मज़दूरी मिलनी चाहिए।

हड़तालकारियों का आरोप है कि चाय बागान के कामगार देश में सबसे कम वेतन पाने वालों में से हैं।

13 अगस्त को बांग्लादेश टी वर्कर्स यूनियन के एक समिति सदस्य सीताराम बिन ने कहा, “आज लगभग 150,000 चाय कर्मचारी हड़ताल में शामिल हो गए हैं।”

यूनियन का कहना है कि जब तक अधिकारी हमारी मांगों पर ध्यान नहीं देंगे, तब तक कोई भी चाय कर्मचारी चाय की पत्ती नहीं तोड़ेगा और न ही पत्ती प्रसंस्करण संयंत्रों में काम करेगा।”

मज़दूर यूनियन ने बागान मालिकों द्वारा सभी मज़दूरों की मज़दूरी में 14 रुपए की बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव मानने से इंकार कर दिया है।

क्या कहते हैं बागान मालिक?

बागान मालिक की माने तो, पिछले साल की मज़दूरों के वेतन में 18 रुपए की बढ़ोत्तरी की गयी थे। इस बार सभी मज़दूरों की मज़दूरी में 14 रुपए की बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव रखा गया है।

अल जज़ीरा से मिली जानकारी के मुताबिक उनका कहना है कि हाल के वर्षों में मुनाफे में गिरावट के कारण सभी बागान मालिक कठिन दौर से गुजर रहे हैं।

बागान मालिकों ने मज़दूरों के आरोप को झूठा बताया है। उनका कहना है कि हम अपने सभी मज़दूरों को चिकित्सा निधि, सेवानिवृत्ति लाभ, साप्ताहिक राशन और बच्चों की प्राथमिक शिक्षा तक पहुंच प्रदान करते हैं।

बांग्लादेश में चाय बागान

लगभग 150,000 लोग 200 से अधिक बांग्लादेशी चाय बागानों में काम करते हैं, जिनमें से ज्यादातर उत्तरी बांग्लादेश के सिलहट क्षेत्र में हैं।

बांग्लादेश दुनिया का सबसे बड़ा चाय उत्पादक है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस सहित 20 से अधिक देशों को चाय निर्यात करता है।

अधिकांश चाय मजदूर निम्न जाति के हिंदू हैं, जो 19वीं शताब्दी में औपनिवेशिक काल के ब्रिटिश बागान मालिकों द्वारा बागानों में लाए गए मजदूरों के वंशज हैं।

मजदूरों का शोषण

शोधकर्ताओं का कहना है कि देश के कुछ सबसे दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले चाय मज़दूरों का दशकों से उनके उद्योग द्वारा व्यवस्थित रूप से शोषण किया जाता रहा है।

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि वे बुनियादी सुविधाओं और शिक्षा तक सीमित पहुंच के साथ देश के सबसे हाशिए पर पड़े समूहों में से एक हैं।

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