सोनीपत की कंपनी के बने सिरप से 70 बच्चे मरे, फिर भी चलती रही कंपनी

हरियाणा के सोनीपत में स्थित  भारतीय दवा कंपनी  मेडन फ़ार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित  कफ सीरप से अफ्रीकी देश गांबिया में  करीब  70 बच्चों की मौत  के बाद  विश्व स्वास्थ्य  संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा  इस मामले को  गंभीरता से लेते हुए  बुधवार को एक बयान जारी  कर  भारतीय कंपनियों द्वारा निर्मित खांसी की दवाओं के बारे में चेतावनी जारी किया है।

उधर, इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार भारत सरकार ने इस मामले पर जांच बिठा कर  फैक्ट्री में उत्पादन बंद करने का आदेश जारी किया है।

जबकि सोनीपत के कुंडली इलाके में काम करने वाला मजदूर अधिकार संगठन (MAS) की नौदीप कौर ने बुधवार को आरोप लगाया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर हंगामा मचने के बाद भी उस फैक्ट्री को बंद नहीं किया गया और दो दिन पहले तक फैक्ट्री में उत्पादन जारी रहा।

उन्होंने कहा कि मजदूर अधिकार संगठन इसके लेकर अभियान चला रहा है और फैक्ट्री बंद किए जाने की मांग पहले से कर रहा है।

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गुड़गांव में भूख हड़ताल पर बैठे मारुति के टर्मिनेट मजदूरों को समर्थन देने आईं, नौदीप कौर ने  कहा कि ‘उस कंपनी का सिरप पी कर जिन बच्चों की मौत हुई है, उनके परिजनों को मुआवज़ा देना चाहिए और कंपनी को उसकी काली करतूतों की सज़ा मिलनी चाहिए।’

किसान आंदोलन के दौरान गिरफ़्तार होने और पुलिसिया उत्पीड़न झेलने के बाद नौदीप सुर्खियों में आई थीं। उनकी रिहाई के लिए अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी ने ट्वीट किया था, जिसके बाद मोदी सरकार पर दबाव बना।

गांबिया के राष्ट्रपति एडामा बेरो ने कहा है कि वह इस मामले की तह तक जाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने खाद्य एवं दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय लैब बनाने का एलान किया है।

वहीं  गांबिया सरकार द्वारा  बच्चों की मौत की जांच शुरू किये जाने  के  बाद भारत सरकार ने  इस मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है और हरियाणा सरकार ने  सिरप के उत्पादन में फ़िलहाल रोक लगा दी है।  हालांकि  मौत की पहली घटना के बाद ही भारत  सरकार को  इस कंपनी की जांच करते हुए  उसे तत्काल बंद कर देना चाहिए था।

मजदूर अधिकार संगठन इस मामले  को  लेकर अभियान चला रहा है और फैक्ट्री बंद किए जाने की मांग कर रहा है।  संगठन की नेता नौदीप कौर कहती हैं कि इस तरह शिशुओं की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा।

गौरतलब है कि,  इस घटना से भारतीय दवा कम्पनियों  की छवि को वैश्विक स्तर पर क्षति  पहुंची है और  विश्व स्वास्थ्य संगठन ने  मेडेन  कम्पनी की चार  दवाओं को घातक घोषित किया है , वे चार दवाएं हैं –  प्रोमेथजाइन ओरल सल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मेकआफ बेबी कफ सिरप और मैगरिप एंड कोल्ड सिरप।

इन दवाओं की शिकायत सितंबर से हो रही थी, लेकिन उस वक्त  भारत  सरकार  और हरियाणा सरकार ने  कम्पनी के हित में इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया।

मैडन फ़ार्मास्युटिकल्स का दावा है कि वह विश्व स्तरीय गुणवत्ता को ध्यान में रख कर दवाओं का निर्माण करता है , जबकि इसके विपरीत इस कम्पनी के कई उत्पाद घरेलु  गुणवत्ता जांच में फेल साबित हो चुके हैं ।

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