योगी को पीयूसीएल की चिट्ठी- आंकड़े छुपाओ नहीं, इलाज़ की व्यवस्था करो

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मानवाधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबरटीज (पीयूसीएल) ने यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार को चिट्ठी लिख कर आम जनता के इलाज़ की तुरंत और मुकम्मल इलाज की व्यवस्था करने को कहा है।

इस बारे में योगी सरकार को एक लंबी चिट्ठी लिख कर पीयूसीएल ने कहा है कि कोरोना महामारी के समय सरकार का काम जनता की सेवा करना है न कि आंकड़े छिपाना।

पढ़े पूरी चिट्ठी-

इस पत्र के माध्यम से हम उत्तर प्रदेश सरकार का ध्यान लोगों के जीवन और स्वास्थ्य के संवैधानिक अधिकारों की ओर दिलाना चाहते हैं, जिसकी इन दिनों घोर उपेक्षा की जा रही है। यह उपेक्षा सिर्फ इलाज की कमी के तौर पर नहीं, बल्कि जीवन और स्वास्थ्य से जुड़े कई पहलुओं में हो रही है, जो कि किसी भी लोकतांत्रिक समाज के लिए चिंताजनक है।

पिछले एक साल से कोरोना महामारी ने पूरे देश को अपनी जकड़ में लिया हुआ है। इस साल जबकि यह दूसरी लहर के रूप में आईं, सरकार द्वारा आयोजित हरिद्वार के कुंभ मेले और प्रदेश के पंचायत चुनावों में होने वाले जमावड़ों ने इस बीमारी को और तेजी से फैलाने का काम किया है।

एक ओर तो सरकार लोगों के व्यक्तिगत कार्यक्रमों पर रोक लगा रही है, दूसरी ओर खुद लाखों लोगों के जमावड़े वाले कुंभ मेलेे जैसे आयोजनों को खुद आयोजित किया। बेशक उसे बाद में समाप्त कर दिया गया, लेकिन इसका असर कोरोना के तेज फैलाव के रूप में सामने आ रहा है।

इसके साथ ही चिंता की बात यह है कि पूरे प्रदेश में कोरोना के इलाज की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। मरीज और उनके परिजन अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन सिलिंडर और वेंटिलेटर के लिए सिर्फ एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल नहीं, बल्कि एक जिले से दूसरे जिले में भाग दौड़ कर रहे हैं।

यह बेहद दुखद और शर्मनाक है कि इस स्थिति में लोगों को अपने ऑक्सीजन की व्यवस्था खुद करनी पड़ रही है। कोरोना नहीं,बल्कि ऑक्सीजन की कमी के कारण मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता ही का रहा है। अस्पतालों के बाहर ऑटो में, वैन में और सड़क के किनारों पर सांस के लिए जूझते मरीजों और बेड, ऑक्सीजन के लिए परेशान परिजनों की जो हृदय विदारक तस्वीरें सामने आ रही हैं, वो किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए शर्मनाक है, यह चिंताजनक है। यह दृश्य प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था के पूरी तरक ध्वस्त हो जाने की पहचान है।

सिर्फ अस्पताल के बेड ऑक्सीजन और वेंटिलेटर ही नहीं, इस समय प्रदेश की जनता कोरोना के लिए कारगर मानी जाने वाले इंजेक्शन रेमडेसिविर और बुखार, खांसी की दवा, इम्यून सिस्टम बढ़ाने वाली विटामिन की गोलियों तक की कमी से जूझ रही है। इनकी न सिर्फ कमी है, बल्कि ये सारी दवाएं इस समय अपने मूल दाम से कई गुना अधिक कीमत पर बेची जा रही हैं।

जबकि आपदा के समय में सरकार की ओर से इन दवाइयों को मुफ्त या सब्सिडाइज्ड दाम पर से कम पैसे में उपलब्ध होना चाहिए। इन दवाओं और ऑक्सीजन की सीमित उपलब्धता के कारण ही इनकी कालाबाजारी भी शुरू हो गई है। जो कि किसी कानून से नहीं बल्कि उपलब्धता बढ़ाने से ही रोकी जा सकती है।

एक ओर तो कोरोना के मरीज इलाज और दवाइयों की कमी से जूझ रहे हैं “कोविड प्रोटोकॉल” के नाम पर इस समय अस्पतालों में किसी अन्य मर्ज के रोगियों का इलाज ही नहीं किया जा रहा है, अन्य सभी मरीजों की घोर उपेक्षा की जा रही है। ऐसे मरीजों की स्थिति नाजुक हो रही है, और वे भी तेजी से मौत की ओर बढ़ रहे हैं, क्योंकि कोई भी अस्पताल इन्हें भर्ती नहीं कर रहा है।

जो मरीज नहीं है, प्रशासन की बेरुखी के कारण लोगों की एक बड़ी आबादी को मरीज बनाने और मौत की ओर धकेला जा रहा है। इलाहाबाद, बनारस सहित कई जिलों में विश्वविद्यालय के छात्रावासों को खाली कराने का फरमान जारी कर दिया गया है। इस समय छात्रों को उनके कमरों से निकलकर घर भेजना उन्हें कॉविड वायरस के संपर्क में आने के लिए उपलब्ध कराने जैसा ही है। एक तरफ तो प्रदेश की सरकार मरीजों को अस्पतालों में जगह नहीं दिला पा रही है, दूसरी ओर स्वस्थ लोगों को मरीज बनाने की ओर धकेल रही है, यह ठीक नहीं है।

पी यू सी एल उत्तर प्रदेश सरकार को याद दिलाना चाहती है कि जीवन और स्वास्थ्य का अधिकार हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है, इन दिनों इनका भयंकर दमन हो रहा है। संविधान का अनुच्छेद 21 गरिमापूर्ण जीवन की गारंटी करता है, लेकिन जीवन के लिए इन दिनों प्रदेश में मची अफरातफरी इसकी अवहेलना है। इसके तहत हर नागरिक का स्वास्थ्य सरकार की ज़िम्मेदारी है, ताकि नागरिकों का सम्मानजनक जीवन सुरक्षित हो सके। यह सरकार का जनता के प्रति पहला कर्तव्य है।

अतः प्रदेश में इन स्थितियों के मद्देनजर पी यू सी एल उत्तर प्रदेश सरकार से निम्न मांग करता है –
1- महामारी को फैलने से रोकने के लिए सभी सरकारी और गैर सरकारी सामूहिक कार्यक्रमों पर रोक लगाई जाए।
2- कोरोना के मरीजों का समुचित इलाज सुनिश्चित किया जाय। उनके लिए ऑक्सीजन व ज़रूरी दवाओं की मुफ्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
3- जीवन रक्षक और इम्यून सिस्टम बढ़ाने वाली दवाओं की बढ़ती कीमतों पर तुरंत रोक लगाई जाए और इन्हें मुफ्त उपलब्ध कराया जाय।
4- बढ़ते मरीजों को देखते हुए, प्राइवेट अस्पतालों को सरकारी देखरेख में लिया जाय, और होटलों के कमरों, धर्मशालाओं, गेस्ट हाउस के कमरों को कोरोना वार्ड के तौर पर इस्तेमाल किया जाय।
5- कोरोना के अलावा दूसरे रोगों का भी सुरक्षित इलाज कर उनका जीवन भी सुरक्षित किया जाय।
6- कोरोना के नाम पर छात्रावासों को जबरन खाली न कराया जाय, बल्कि छात्रों को वहां सुरक्षित रखने के उपाय किए जाए।

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