लंबे समय से कंपनी प्रबंधन के श्रमिक विरोधी कार्यशैली के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे इंटरार्क मजदूर संगठन की आवाज को दबाने के लिए अब पुलिस भी जुट गई है।
मंगलवार देर शाम किच्छा कोतवाल दलबल के साथ धरना स्थल पर पहुंचे और मजदूरों को आंदोलन खत्म न करने पर कार्रवाई की चेतावनी दे डाली। इतना ही नहीं कोतवाल ने धरना स्थल से लाउडस्पीकर भी हटा दिया।
इंटरार्क यूनियन का आरोप है कि पुलिस ने कंपनी मालिक के इशारों पर मजदूरों की आवाज को दबाने का षड़यंत्र रचा है।
इंटरार्क मजदूर संगठन उधमसिंह नगर के अध्यक्ष दलजीत सिंह ने कहा कि तानाशाहपूर्ण कार्रवाई के दौरान किच्छा कोतवाल लगातार एएलसी और डीएलसी का नोटिस और आदेश दिखाने की बात पर अड़े रहे जबकि श्रम विभाग के उच्चाधिकारी कई बार कंपनी प्रबंधन को नोटिस दे चुके हैं।
उन्होंने कहा कि कंपनी को भारत के ठेका श्रम अधिनियम 1970 का उल्लंघन करने का दोषी ठहराते हुए सिविल कोर्ट में मुकदमा भी दर्ज कर चुके हैं।
कल एएलसी में फिर से उक्त गैरकानूनी कृत्य के उल्लंघन पर सुनवाई होनी है, लेकिन किच्छा कोतवाल मजदूरों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई पर अड़े रहे।
वर्करों ने कहा कि भारत के कंपनी एक्ट में साफ साफ लिखा है कि मजदूरों को किसी भी दिन 10 घंटे से अधिक काम नहीं कराया जा सकता है।
हफ्ते में 12 घंटे और तीन माह में 50 घंटे से ज्यादा ओवर टाइम नहीं कराया जा सकता है तो फिर कंपनी में किस कानून के तहत मजदूरों को हर दिन 16 घंटे और 12 घंटे की शिफ्ट में रोककर भारत के कंपनी एक्ट का चीरहरण किया जा रहा है।
और कोतवाल महोदय भारत के कानूनों के इस चीरहरण पर रोक लगाकर देश व संविधान के प्रति अपने कर्तव्य का पालन करने के बजाय कंपनी मालिक के साथ खड़े हैं।
गुस्साए मजदूरों ने पुलिस की तानाशाही के खिलाफ उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। मामले में कोतवाल से पक्ष लेना चाहा लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
(साभार अमृत विचार)
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