मज़दूरों को किसान संघर्ष के साथ एकजुटता क़ायम करने की अपील

workers Farmers Protest

दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने किसान संगठनों के अनिश्चितकालीन और आर पार के संघर्ष में अपनी एकजुटता क़ायम करने का पहले ही वादा किया गया था।

अब स्वतंत्र ट्रेड यूनियनें भी किसां संघर्ष को अपना समर्थन दे रहे हैं। मारुति की कंपोनेंट मेकर कंपनी बेलसोनिका की यूनियन ने किसानों के संघर्ष को अपना समर्थन दिया है।

बेलसोनिका यूनियन ने एक बयान जारी कर कहा है कि किसानों की मांग को सरकार तत्काल माने वरना इस्तीफा दे।

इफ़्टू ने भी किसानों के इस संघर्ष के प्रति अपनी एकजुटता प्रदर्शित की है। एक्टू से संबद्ध कपूरथला रेल कोच फ़ैक्ट्री में आईईआरएफ़ के अध्यक्ष सर्वजीत सिंह समेत कई मज़दूर नेता मंगलवार को रसद लेकर सिंघु बॉर्डर पर पहुंचे।

मज़दूर यूनियनें जहां तहां किसानों के संघर्ष में सक्रिय भागीदारी कर रही हैं।

बेलसोनिका यूनियन के अध्यक्ष अतुल कुमार ने कहा कि ‘मोदी सरकार द्वारा पारित किए गए तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में देश के किसान सड़कों पर हैं। देशभर के किसान अपनी आवाज को बुलंद करने के लिए दिल्ली कूच कर चुके हैं। पूरे देश के लिए रोटी पैदा करने वाले किसानों के ही खिलाफ आज सत्ता की बंदूकें तनी हुई हैं।’

‘भारत के नेता भारत को दुनिया का सबसे बड़ा जनतंत्र बताते हैं जनतंत्र का मतलब जनता होता है जहां जनता को अपनी आवाज उठाने और विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार होता है और सत्ता को उनकी बातें सुननी होती है।’

बयान में कहा गया है कि ‘शासक वर्ग शोषण करने में कतई अंग्रेजों से पीछे नहीं है व लाठियों बंदूकों के दम पर मेहनत करने वाले किसानों की आवाज को कुचलने पर उतारू है। ऐसा दृश्य देखकर भगत सिंह की बात सच साबित होती लगती है कि अगर सत्ता पर मजदूर किसानों का राज स्थापित नहीं हुआ तो आजादी के बाद गोरे अंग्रेजों की जगह काले अंग्रेज सत्ता में बैठकर मजदूर किसानों का शोषण करेंगे।’

किसानों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करते हुए उनकी मांगों का समर्थन करते हुए यूनियन के महासचिव जसवीर सिंह ने खेती से संबंधित काले कानूनों को रद्द करने किसानों पर लगाए झूठे मुकदमों को वापस लेने, गिरफ्तार किए गए किसानों को रिहा करने और जनता से विश्वासघात के लिए सरकार से तत्काल इस्तीफे की मांग की है।

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