सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट: कोरोना संक्रमण के बीच एक टेंट में रह रहे 8-10 मजूदर, सरकार का दावा- ”कोरोना नियमों का हो रहा पालन”

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आज पूरी दुनिया की नजर भारत पर टिकी हुई है। कोरोना की दूसरी लहर से मुकाबला कर रहे भारत के सहयोग के लिए विभिन्न देश सामने आ रहे हैं। कोरोना संक्रमण की रफ्तार पर लगाम लगाने के लिए देश के कई राज्यों में लॉकडाउन लगाया गया है। लोग फिर एक बार धड़ल्ले से बेरोजगार हो रहे हैं। मजदूर अपने घरों की तरफ वापस हो रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच देश की राजधानी दिल्ली में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट जोर-शोर से चल रहा है। कुछ दिनों पूर्व यहां की काफी तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए जिसके बाद से यहां पर मोदी सरकार ने फोटो और वीडियो बनाने पर रोक लगा दी है। जो पत्रकार हालात जानने के लिए वहां पहुंच रहे हैं उन्हें रिपोर्टिंग से रोका जा रहा है। हाल में इस प्रोजेक्ट पर रोक लगाने को लेकर एक याचिका भी दायर की गई। जिसके बाद मोदी सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा, ”कंस्ट्रक्शन साइट पर तमाम कोरोना नियमों का पालन किया जा रहा है।” लेकिन क्विंट की एक खबर के मुताबिक सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरों की जिंदगी को जोखिम में डाला जा रहा है।

खबर के मुताबिक, ”राजपथ पर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की कंस्ट्रक्शन साइट पर एक टेंट में 8 से 10 मजदूर ठहरे हुए हैं। वह भी ऐसे वक्त में जब दिल्ली में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। कंस्ट्रक्शन साइट पर काम कर रहे एक मजदूर ने बताया कि उनका घर पास में ही है इसलिए वो रोज घर से यहां काम करने आते हैं लेकिन कुछ मजदूर कंस्ट्रक्शन साइट पर टेंट में ही रहते हैं।”  मोदी सरकार का कहना है कि सेंट्रल विस्टा के निर्माण की अनुमति केवल इसलिए है क्योंकि दिल्ली के लॉकडाउन के नियम के मुताबिक सभी मजदूर साइट पर रह रहे हैं।

गौरतलब है कि सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट मोदी सरकार का 20 हजार करोड़ का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। इस प्रोजेक्ट के तहत त्रिकोण के आकार वाले नए संसद भवन का निर्माण हो रहा है। जिसमें 900 से 1200 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी। इसके एक हिस्से के तौर पर नया प्रधानमंत्री आवास भी बनना है। सरकार ने इस रीडेवलपमेंट प्रोजक्ट की समय सीमा 30 नवंबर 2021 निर्धारित की है।

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