भारतीयों को गुलाम बनाने वाले नेपोलियन की पत्नी की मूर्ति तोड़ी, हज़ारों प्रदर्शनकारियों में भारतीय भी

france resurrection

अमेरिका-यूरोप में भड़की जनता के निशाने पर गुलामी के सभी प्रतीक आ गए हैं।

जिन उपनिवेशवादियों ने कभी देशों को गुलाम बनाया और स्थानीय लोगों को गुलाम बनाकर जहां-तहां जानवरों से भी बदतर जिंदगी दी, उनका नामोनिशान मिटाने को लोग सड़कों पर हैं।

ताज़ा ख़बर भी फ़्रांस से ही आ रही है जहां हज़ारों की संख्या में इकट्ठे हुए प्रदर्शनकारियों ने फ्रांसीसी क्रांति के महज आठ साल बाद ही फिर से गुलामी प्रथा को लागू करने वाले बर्बर तानाशाह नेपोलियन की पहली पत्नी जोसेफ़ाइन की मूर्ति को ढहा दिया है।

मज़दूरों और ग़रीबों के वोट से जीते फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों अभी भी मूर्तियों को हटाने की मांग ठुकराते रहे हैं जिनका इतिहास मानव सभ्यता के लिए दागदार रहा है।

हालांकि कुछ ही सालों में लोकप्रिय मैक्रों सरकार अब जनता की आंखों की किरकिरी बन गई है। कहा जा रहा है कि 1789 में हुई फ़्रांसीसी क्रांति के बाद आजकल वहां सबसे बड़े प्रदर्शन हो रहे हैं, बल्कि उससे भी बड़े पैमाने वाले।

इस द्वीप पर भारत समेत पूरी दुनिया के लोग ग़ुलाम थे

फ्रांस में पहले से जारी पूंजीवादी विरोधी प्रदर्शनों की आंच उसके कब्जे वाले द्वीप मार्टीनिक तक पहुंच गई, जहां ये मूर्ति लगी थी।

सामरिक और व्यापारिक नजरिए से कभी फ्रांस और ब्रिटेन के बीच झगड़े तक का सबब रह चुका मार्टीनिक 1665 में पूरी तक फ्रांस के कब्ज़े में आ गया था।

यहां तक कि बाद में एक प्राइवेट कंपनी ने मय गुलामों के इसे खरीद लिया।

यहां कैरेबियाई, अफ्रीका और अरब से ही नहीं, भारत के तमिल क्षेत्र भी तमाम लोगों को गुलाम बनाकर रखा गया।

उस दौर में भी यहां विद्रोह पनपे, लेकिन कभी पूरी तरह सफल नहीं हो पाए।

फ्रांस के शासक नेपोलियन बोनापार्ट की पत्नी जोसेफ़ाइन की भी इस द्वीप को उपनिवेश बनाने में भूमिका रही। कुछ जगह बताया जाता है कि वह यहां पैदा भी हुई थीं।

 

अलबत्ता, अब इन तथाकथित महान शख्सियतों के प्रति जनता में कोई सम्मान नहीं बचा है। इसी सप्ताह ऐसे सभी उपनिवेशवादियों के प्रतीकों पर हमले हुए और कई प्रतिमाओं को जमींदोज कर दिया गया।

बोनापार्ट की पत्नी जोसेफ़ाइन की मूर्ति का सिर धड़ से अलग कर दिया गया।

आधुनिक इतिहास की दिशा बदल देने वाली फ़्रांसीसी क्रांति से ही सत्ता के पायदान पर पहुंचा नेपोलियन बहुत बर्बर तरीक़े से गुलामी प्रथा को दोबारा लेकर आया, जिसे क्रांति के दौरान समाप्त कर दिया गया था।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)