संयुक्त राष्ट्र में पहली बार बोले किसान नेता दर्शन पाल, कृषि क़ानूनों को बताया अधिकारों का उल्लंघन

darshan pal farmers leader

सोमवार को ही संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार परिषद के 46वें सत्र के संबोधन संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक डॉ. दर्शन पाल किसान प्रदर्शन पर अपनी बात रखी।

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि किसान जिन तीन केंद्रीय कानूनों का विरोध कर रहे हैं, वे कानून संयुक्त राष्ट्र के “किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों के अन्य कामगारों के अधिकारों की घोषणा” का उल्लंघन करते हैं। भारत इस अंतर्राष्ट्रीय घोषणा पत्र का एक हस्ताक्षरकर्ता है।

सोमवार से शुरू हुई हड़तालों की सिलसिला किसान और कर्मचारी यूनियनों की एकजुट पहल का गवाह बनता जा रहा है। एक तरफ़ सरकारी बैंक कर्मियों की यूनियनों ने सोमवार को जहां निजीकरण के विरोध में दो दिनी हड़ताल की शुरुआत की वहीं किसान मोर्चे ने देश भर में कारपोरेट व निजीकरण विरोधी दिवस मनाया।

संयुक्त किसान मोर्चे ने एक बयान जारी कर कहा है कि पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस में बढ़ रही कीमतों के खिलाफ अनेक ट्रेड यूनियन, छात्र संगठन, किसान संगठन व अन्य जन अधिकार संगठनों ने रेलवे स्टेशनों पर हड़ताल की अपने मांग पत्र सौपें। इस संबंध में प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन पत्र दिए गए।

मोर्चे ने प्रधानमंत्री के नाम एक पत्र जारी किया जिसमें कहा गया है कि ‘संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर, हम भारत के लोग, डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों के खिलाफ, 3 किसान विरोधी केंद्रीय कानूनों को रद्द करने व सभी किसानों के लिए पारिश्रमिक एमएसपी की गारंटी के लिए एक कानून बनाने की मांग को लेकर अपने जिला और उप-मंडल मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।’

चिट्ठी में कहा है कि ‘हम मांग करते हैं कि जो नीतियां, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का निजीकरण करेगी और भारतीय कृषि को कॉरपोरेट हाथो में देगी , उन नीतियों को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। साथ ही डीजल / पेट्रोल / रसोई गैस की कीमतों को तुरंत कम किया जाना चाहिए।’

anti Corporate and privatization day protest at Delhi railway station

सोमवार को ही हरियाणा के मेवात के सूनेहड़ा-जुरेहड़ा बॉर्डर पर शहीद हसन खान मेवाती के शहादत दिवस पर किसान महापंचायत आयोजित की गई। शाहजहांपुर बॉर्डर पर मेवात के लोगों का शुरू से ही सहयोग रहा है।

बयान में कहा गया है कि मेवात के राजा हसन खान मेवाती बाबर की सेना से लड़ते हुए 15 मार्च 1527 के दिन शहीद हुए थे। यह लड़ाई इस क्षेत्र की कुर्बानी बयान करती है। राजा के साथ मेवात के हज़ारों लोग भी इस लड़ाई में शहीद हुए थे। मेवाती महिलाओं की भारी भागीदारी निश्चित तौर पर यह बताती है कि किसान आन्दोलन अब जनांदोलन बन चुका है।

मोर्चे ने कहा कि 19 मार्च 2021 को, पंजाब में बटाईदार किसानों के ऐतिहासिक संघर्ष की याद करते हुए मुजारा लहर शहादत दिवस को, संयुक्त किसान मोर्चा, FCI द्वारा खरीद व गुणवत्ता मानकों में बदलाव के प्रति विरोध के रूप में मनाएगा।

मोर्चे का कहना है कि यह बदलाव खरीफ विपणन सीजन 2021 के लिए FCI द्वारा निर्धारित किये जा रहे हैं। SKM समझता है कि ये सुनियोजित खरीद तंत्र को खत्म करने और पंजाब के किसानों को दंडित करने के लिए भारत सरकार की नई रणनीति हैं।

उत्तराखंड से चली किसान मजदूर जागृति यात्रा पलिया होते हुए संघाई पहुंची। यात्रा ने भारी जनसहयोग मिल रहा है। कर्नाटक के बसवाकल्याण से बेलारी तक किसानों द्वारा पैदल मार्च किया जा रहा है। छोटी बैठकों व गांव की कमेटियों के माध्यम से आन्दोलन पूरे राज्य में फैल रहा है। हरियाणा के जाखल में एक महापंचायत में पुरुष और महिला किसानों की बड़ी भागीदारी देखी गयी।

वर्कर्स यूनिटी के समर्थकों से एक अपील, मज़दूरों की अपनी मीडिया खड़ी करने में सहयोग करें

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.