“पंजाब स्टेट मिनिस्ट्रियल सर्विसेज यूनियन की हड़ताल: 15 दिसंबर तक बढ़ाई गई, सरकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं”

ministrial staff strike

पंजाब स्टेट मिनिस्ट्रियल सर्विसेज यूनियन (पीएसएमएसयू) को उनकी मांगों पर सरकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने के बाद, पीएसएमएसयू ने सोमवार की अपनी हड़ताल को 15 दिसंबर तक बढ़ाने का फैसला किया है.

मालूम हो की लगभग 52 सरकारी विभागों के 50,000 से अधिक कर्मचारियों वाली यूनियन 8 नवंबर से हड़ताल पर है, जिससे सार्वजनिक सेवा बुरी तरह प्रभावित हुई है.

पीएसएमएसयू के अध्यक्ष अमरीक सिंह संधू ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि “सोमवार शाम को पीएसएमएसयू की एक राज्य इकाई की बैठक में 12 और 13 दिसंबर को पेन-डाउन और कंप्यूटर शटडाउन हड़ताल करने का निर्णय लिया गया”.

उन्होंने आगे बताया कि ‘पीएसएमएसयू के सभी सदस्य 14 और 15 दिसंबर को सामूहिक अवकाश पर रहेंगे. 16 दिसंबर को हमारे राज्य निकाय आगे की कार्रवाई तय करने के लिए फिर से बैठक करेगा.’

अमरीक सिंह संधू कि माने तो “हमने 8 नवंबर को हड़ताल शुरू की, लेकिन मुख्यमंत्री को हमारी मांगों और प्रस्तावित आंदोलन के बारे में 3-4 लिखित पत्र भेजने के बाद भी हमें कोई जवाब नहीं मिला. भगवंत सरकार पूरी तरह से संवेदनहीन सरकार है.’

आगे बताते हैं ‘ जिस दिन हम हड़ताल पर गए थे, उस दिन से मंत्रियों के एक पैनल के साथ 4 दिसंबर को हमारी एक बैठक हुई थी . चूंकि सरकारी पैनल के साथ बातचीत सार्थक नहीं रही, इसलिए हमारे पास अपना आंदोलन जारी रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.’

कर्मचारी आप सरकार द्वारा 22 अक्टूबर, 2022 को घोषित और 18 नवंबर, 2022 को अधिसूचित पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लागू करने की मांग कर रहे हैं.

वे महंगाई भत्ते (डीए) की लंबित किश्तों को जारी करने और इसे केंद्र सरकार के बराबर बनाने की भी मांग कर रहे हैं.

पीएसएमएसयू के महासचिव पीपल सिंह ने बताते हैं “केंद्र सरकार का डीए 46% है, जबकि राज्य सरकार का डीए सिर्फ 34% है. इसके अलावा कर्मचारी अन्य मांगों के अलावा विभिन्न विभागों में लंबित पदोन्नति की भी मांग कर रहे हैं.”

उपायुक्त कार्यालय, लोक निर्माण विभाग, सिंचाई, कृषि, बिजली बोर्ड, जल एवं सीवरेज बोर्ड, शिक्षा और कई अन्य विभागों के लिपिक कर्मचारी 8 नवंबर से हड़ताल पर हैं.

राजस्व विभाग में आने वाली आम जनता को असुविधा हो रही है. हालाँकि कई सेवाएँ सेवा केंद्रों के माध्यम से प्रदान की जा रही हैं.

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