दिल्ली सरकार के खिलाफ मजदूर संगठनों ने किया विरोध प्रदर्शन: सभी को मुफ्त राशन,वैक्सीन, इलाज और न्यूनतम वेतन की मांग

trade unions

बुधवार को दिल्ली में सैकड़ों मजदूरों और मजदूर संगठनों ने मुफ्त राशन, वैक्सीन इलाज और न्यूनतम वेतन जैसी मांगों को लेकर आईटीओ से दिल्ली सचिवालय तक मार्च किया।

मजदूरों ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री सह श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया के कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन भी किया।

मूसलाधार बारिश और आंधी का सामना करते हुए तख्तियां लेकर “मुफ़्त वैक्सीन, मुफ़्त राशन, मुफ़्त इलाज़, लॉक डाउन की मजदूरी नियमित मज़दूरी को सख़्ती से लागू करो” आदि नारे लगाते हुए मज़दूरों ने दिल्ली सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।

मजदूरों का कहना है कि दिल्ली सरकार ने दो लॉकडाउन अवधि के दौरान करीब 25 लाख़ मज़दूरों और उनके परिवारों को कोई राहत नहीं दी।

उप मुख्यमंत्री सह श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया को ज्ञापन के जरिए निम्नलिखित मांग पत्र सौंपा गया:-

1. गैर राशनकार्ड धारियों को राशन नहीं मिल रहा है। लॉकडाउन और उसके बाद इन परिवारों की हालत काफी नाजुक है सरकारी सहायता अपर्याप्त है। जरूरतमंद परिवार इससे वंचित है।

2. दिल्ली में छोटे एवं मध्यम उद्योगों में काम करने वाले 95% मजदूरों को दिल्ली सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम मजदूरी नहीं मिलती है।

3. असंगठित मजदूर, रेहड़ी पटरी मजदूर, घरेलू कामगार, रिक्शा चालकों को कोरोना काल में कोई राहत नहीं मिली। निर्माण श्रमिकों, ऑटो एवं ई रिक्शा चालकों को ₹5000 की मदद मिली, इसमें भी 60% लोग वंचित रहे।

4. प्रवासी मजदूरों के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश को जल्द से जल्द लागू किया जाए। ट्रेड यूनियनों को पंजीकरण की प्रक्रिया में भागीदार बनाया जाए।

5. भवन निर्माण व बिल्डिंग कामगारों की पंजीकरण प्रक्रिया को ऑनलाइन करने से दलाली व आर्थिक खर्च बढ़ गया है। अतः ऑफलाइन पंजीकरण प्रक्रिया को फ़िर से शुरु किया जाए।

6. दिल्ली में औद्योगिक मौतों और दुर्घटनाओं में दुर्घटनाग्रस्त परिवारों के साथ न्याय नहीं होता है। लापरवाही बरतने वाले मालिकों और प्रबंधकों को कोई सजा नहीं होती और दुर्घटनाएं बढ़ती जाती है। दिल्ली सरकार मुआवजा देकर अपना पल्ला झाड़ लेती है। समस्याएं वही की वही बनी रहती हैं।

7. दिल्ली हाईकोर्ट के हालिया आदेशानुसार दिल्ली सरकार को सभी मेहनतकश लोगों के मकान किराए की व्यवस्था करनी चाहिए।

8. कोविड से बचाव के लिए वैक्सीन की भारी कमी है। लेकिन प्राइवेट अस्पतालों व केंद्रों में पैसे देकर वैक्सीन लगाने में कोई कमी नहीं है यह सरकार की दोहरी नीति है।

9. असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए काम का अभाव है और उन्हें लॉकडाउन अवधि का वेतन भी नहीं मिला है। उन्हें लॉकडाउन अवधी का क्षतिपूर्ति मुआवजा दिया जाए और उनके लिए रोज़गार की व्यवस्था की जाए।

(साभार-मेहनतकश)

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