मुंबई महानगर बस सेवा से 14 परमानेंट वर्कर बर्ख़ास्त, 300 ठेकाकर्मियों को निकालने की तैयारी

मुबंई की जान कही जाने वाली लोकट ट्रेन, के बाद बेस्ट (बृहनमुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट- BEST) बसों का नंबर आता है। लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने वाले 14 कर्मचारियों को बेस्ट ने काम से निकाल दिया है।

बेस्ट ने दावा किया है कि निकाले गए 14 कर्मचारी तीन महीने से लगातार नोटिस भेजने पर भी काम पर नहीं आ रहे थे।

इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक, “ठेका पर काम करने वाले 2,000 मज़दूरों में से 14 मज़दूरों को नोटिस जारी किया और कोई प्रतिक्रिया न मिलने के बाद इन्हें काम से बेदखल करने का फैसला लिया।”

रिपोर्ट के अनुसार, निकाले गए 14 कर्मचारियों में कुछ बस चालक हैं, तो कुछ कंडक्टर हैं। इनको नोटिस तब भेजा गया जब, लॉकडाउन में मिली ढील के बाद पर्याप्त मात्रा में बसें चलाने में बेस्ट नाकाम हो गई।

ख़बर के अनुसार, बेस्ट ने निकालने की प्रक्रिया सोमवार से शुरू की। 22 जून को 11 लोगों को निकाला गया, 23 जून को दो को और एक कर्मचारी को 24 जून को निकाला गया। ये सभी मज़दूर अलग-अलग डिपो में काम करते थे।

300 सौ मज़दूरों को निकालने की प्रक्रिया जोरो पर

एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “ठेका पर काम कर रहे 300 और कर्मचारियों को निकालने की प्रक्रिया चल रही है।”

लॉकडाउन के समय बेस्ट की बसें रोजाना तीन लाख यात्रियों को ढोने का काम कर रही थीं। फैक्ट्रियां खुल जाने के बाद यात्रियों की संख्या दस लाख हो गई। कर्मचारियों की कमी होने के नाते बेस्ट केवल 2,400 बसे चलाने में कामयाब रही।

लॉकडाउन के कारण अपने गृहराज्य में फंसे मज़दूर काम पर लौटने में असमर्थ हो रहे हैं। इसी तरह कई बड़ी फैक्ट्रियां मज़दूरों को काम से निकाल रही हैं और साथ ही उनका वेतन भी हड़प रही हैं।

5 मई को, इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, निजी क्षेत्र के एक प्रमुख थिंक टैंक का कहना है कि लॉकडाउन के चलते भारत में अप्रैल में 12 करोड़ 20 लाख लोग बेरोजगार हो गए हैं।

लॉकडाउन के कारण 130 करोड़ आबादी वाले देश में कई उद्दम बंद हो गए हैं।

इसके चलते 3 मई को समाप्त हुए सप्ताह में देश में बेरोजगारी दर 27.1% पर पहुंच गई। इस बात का खुलासा सेंटर फॉर मॉनिटारिंग इंडियन इकोनॉमी के सर्वे में हुआ है।

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