भांगर आंदोलन की प्रमुख नेताओं में से एक कॉ. शर्मिष्ठा का निधन, बंगाल चुनावों के दौरान हुई थीं बीमार

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पश्चिम बंगाल के 24 परगना ज़िले में चर्चित भांगर आंदोलन की अगुवा नेताओं में से एक और ट्रेड यूनियन सेन्टर ऑफ़ इंडिया (टीयूसीआई) की केन्द्रीय कार्यकारिणी सदस्य कॉमरेड शर्मिष्ठा का रविवार को कोलकाता में निधन हो गया।

उनकी उम्र महज 45 साल थी और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के समय भांगर सीट पर चुनाव प्रचार में भाग लेते हुए बीमार पड़ी थीं।

वो थीं और भाकपा(माले) रेड स्टार की पोलित ब्यूरो सदस्य और अखिल भारत क्रान्तिकारी महिला संगठन की महासचिव भी थीं।  उन्हें पेट की गंभीर गंभीर बीमारी के कारण शनिवार को अस्पताल में भर्ती किया गया था। वे पिछले कुछ महीनों से इस बीमारी से पीड़ित थीं।

कामरेड शर्मिष्ठा अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत से मज़दूर वर्ग के आन्दोलन में भी सक्रिय थीं। उनके नेतृत्व में हुए बन्द जूट मिल के मज़दूरों के एक संघर्ष में उनका तृणमूल कांग्रेस सरकार के साथ टकराव हुआ था।

पॉवरग्रिड सब-स्टेशन निर्माण के लिए दक्षिण 24 परगना जिलों में भांगर जन आन्दोलन शुरू करने तथा इसके लिए ‘जमीन, आजीविका, पर्यावरण एवं परिवेश रक्षा कमेटी’’ का गठन करने में उन्होंने कामरेड अलिक, जो उनके जीवनसाथी भी हैं, के साथ मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

उन्हें इस आन्दोलन के दौरान गिरफ्तार किया गया था और यूएपीए की धाराएं लगाकर जेल में बन्द रखा गया था। छह महीने जेल में रहने के बाद बाहर आने पर, वह फिर से आन्दोलन में सक्रिय हो गईं और पोलेरहाट पंचायत चुनाव में पांच सीटों पर तृणमूल कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा।

कॉ. शर्मिष्ठा प्रेसिडेन्सी कॉलेज और कोलकाता कॉलेज की स्टूडेंट थीं जहां से पोस्ट-ग्रेजुएशन किया था और फिर पत्रकारिता का कोर्स किया था। उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत कोलकाता से निकलने वाले प्रतिष्ठित अंग्रेज़ी अख़बार ‘टेलीग्राफ़’ में पत्रकार के रूप में की थी।

वो कॉलेज के दिनों से ही विद्यार्थी आंदोलनों से जुड़ गई थीं। उन्होंने 2002 में पत्रकारिता की नौकरी छोड़ दी और सीसीआरआई (भारत के कम्युनिस्ट क्रान्तिकारीयों का केन्द्र, Centre for Communist Revolutionaries of India) का पूर्णकालीक कार्यकर्ता बन गईं।

वर्ष 2009 में सीसीआरआई का भाकपा(माले) रेड स्टार के साथ विलय हो गया। उन्होंने तब से, विगत 12 वर्षों के दौरान पूर्णकालिक राजनीतिक कार्यकर्ता का जीवन बिताया।

भाकपा(माले) रेड स्टार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि, “कामरेड शर्मिष्ठा एक जिन्दादिल और जुझारू जन नेता थी, एक शक्तिशाली वक्ता थीं । कामरेड अलिक एवं अन्य कामरेडों के साथ कम्युन में रहते हुए, उन्होंने अपना जीवन कम्युनिस्ट निष्ठा और दृढ़ता के साथ महिलाओं और समस्त शोषित-उत्पीड़ित जनता की मुक्ति के लिए समर्पित कर दिया था । कामरेड शर्मिष्ठा एक सच्ची क्रान्तिकारी जन नेता थी जिन्होंने पार्टी के नेतृत्व में क्रान्तिकारी जन दिशा के विकास में बहुत योगदान दिया है।”

उल्लेखनीय है कि पार्टी के एक और नेता कामरेड शिवराम का बीती 28 मई को देहांत हो गया था।

अपने जीवनसाथी को अलिक की श्रद्धांजलि

यह कम्युनिस्ट क्रांतिकारी आन्दोलन के लिए भारी क्षति है। यह मजदूर वर्ग के आन्दोलन के लिए भारी क्षति है। यह महिला मुक्ति आन्दोलन के लिए भारी क्षति है। उनकी मां के लिए, उनके परिजनों के लिए, उनके मित्रों के लिए, उनके कामरेडों के लिए और मेरे लिए एक बहुत बड़ी क्षति है।

हालांकि यह मेरे व्यक्तिगत जीवन में असहनीय, ह्रदय को तार-तार कर देने वाली घटना है, किन्तु सामाजिक बदलाव के लिए, शोषण से मुक्त समाज के निर्माण के लिए, मजदूर वर्ग और महिलाओं की मुक्ति के लिए, मुझे इस्पात जैसा दृढ़ होना होगा।

कामरेड और मेरी मित्र, शर्मिष्ठा! मैं अपनी पूरी जिंदगी तुम्हारी यादों को संजोकर रखूंगा। मैं उन लक्ष्यों के लिए लड़ने में अपनी सारी ताकत लगा दूंगा जो हम दोनों का साझा लक्ष्य था। इसलिए मैं टूटा नहीं हूं। मैं सभी साथियों से दुःख और पीड़ा को समाज के सभी श्रापित बुराइयों के खिलाफ लड़ने के लिए दृढ़ संकल्प में बदल देने का अनुरोध करता हूं।

हम जानते हैं कि चिकित्सा विज्ञान का विकास इतना कम हुआ है कि यह अधिकांश मामलों में नाजुक मरीजों का उपचार नहीं कर सकता है। सभी साथियों, हमारे डाक्टरों, सभी स्वास्थ्य कर्मियों का आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने कामरेड शर्मिष्ठा के इलाज में अपनी सेवाएं दी।

कामरेड शर्मिष्ठा, तुम मेरे साथ और सभी साथियों के साथ हमेशा रहोगी। मेरी प्रिय कामरेड अमर रहे। कामरेड शर्मिष्ठा को लाल सलाम!

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