संगरूर में दिल्ली आंदोलन जैसा माहौल, सीएम आवास के सामने धरने पर बैठे सैकड़ों किसान

किसानी मांगों को पूरा करवाने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान के संगरूर आवास के सामने भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां द्वारा लगाया पक्का मोर्चा आज मंगलवार को भी जारी रहा।

सीएम आवास के समक्ष किसानों ने दिल्ली आंदोलन जैसे माहौल बन गया है। किसानों ने जहां ट्रैक्टर-ट्रालियों में पक्के आशियाने सड़कों किनारें व अन्य खाली जगहों पर लगा दिए हैं। वहीं लंगर इत्यादि का प्रबंध दिन रात लगातार जारी है।

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किसानों का कहना है कि पंजाब के किसान जानते हैं कि सरकार की मांगों को मान लेना ही काफी नहीं है, उन्हें लागू करने के लिए जोर लगाने की भी जरूरत होती है।

संगरूर-पटियाला मुख्य मार्ग पर पटियाला बाईपास से पटियाला रोड के फ्लाई ओवर तक करीब तीन किलोमीटर के रस्ते पर किस्मों का प्रदर्शन जारी है। सड़क के दोनों तरफ ट्रैक्टर-ट्रालियों लगाकर लंगर व किसानों के आराम करने के लिए प्रबंध कर लिया गया है। कूलर, पंखे लगाकर गर्मी से राहत पाने का प्रयास किया गया है, वहीं अस्थायी शौचालय स्थापित कर दिए हैं।

महिलाओं व पुरुष किसानों के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई है। लंगर की जिम्मेदारी भी महिलाओं व पुरुषों ने अपने स्तर पर अलग-अलग तौर पर रखी है। रविवार को पहले दिन जहां पक्के मोर्चे में चार हजार किसान शामिल हुए थे, वहीं सोमवार को यह गिनती सात हजार के करीब जा पहुंची।आज किसानों के पक्के मोर्चे की गिनती और अधिक बढ़ गयी है।

‘सरकार बदलने के बाद भी नहीं हुआ सुधार’

भारतीय किसान यूनियन के सोशल मीडिया पेज से मिली जानकारी के मुताबिक धरने पर बैठे भाकियू उगराहां के प्रांतीय प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि पंजाब में सरकार बदलने से किसानों की दशा में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। पहले किसानों को अपने हकों की प्राप्ति के लिए धरने लगाने पटियाला व चंडीगढ़ जाना पड़ता था व अब संगरूर में दिन रात सड़कों पर गुजारनी पड़ रही है, लेकिन किसान अपने हक प्राप्त करके ही रहेंगे।

सड़क पर उतने को मज़बूर किसान

महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां व बठिंडा की जिला महिला नेता हरप्रीत कौर जेठूके ने कहा कि सरकारें आज भी किसानों की बजाए कारपोरेट घरानों के हाथ की कठपुतली बनी हुई है, जिस कारण आज भी किसानों को अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए सरकारों के खिलाफ सड़कों पर उतरना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार की नीतियां किसान व मजदूर विरोधी है, जिसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

किसानों की मुख्य मांगें

पंजाब के किसान काफी लम्बे समय से खराब हुई फसलों का मुआवजा मांग रहे हैं। किसानों की मांग है कि जल्द से जल्द फसलों के नुकसान की भरपाई मुआवजे के तौर पर की जाये। भूजल व दरिया के पानी कारपोरेट घरानों को सौंपने की जल नीति रद करने, भारत माला प्रोजेक्ट के तहत किसानों को मार्केट रेट अनुसार मुआवजा व तीस फीसदी उजाड़ा भत्ता देने, बड़ी कंपनियों का दूषित पानी धरने में जाने से रोकने व पानी डालने वालों पर सख्त कार्रवाई करने, जमीन को समतल करने का हक छीनने वाला कानून रद करने, पराली की संभाल के लिए दो सौ रुपये प्रति क्विंटल बोनस दिया जाये, पराली को आग लगाने वाले किसानों पर सख्ती से बंद किया जाये, धान की बिजाई पूरी तरह से बंद करने के लिए अन्य फसलों पर एमएसपी दी जाये, किसान मजदूरोंं पर दर्ज किए गए केस रद्द किये जाये।

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उल्लेखनीय है कि बीते सात अक्टूबर को किसान संगठनों की सरकार के साथ बैठक हुए थी। जिसमें मान सरकार ने किसानों को सभी मांगों को मान लिए था। लेकिन अभी तक किसानों की मांगों को लेकर कोई चर्चा नहीं की गयी है। जिसके बाद किसानों ने सीएम आवास के सामने पक्का मोर्चा जारी कर धरना देना शुरू कर दिया है।

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