वर्कर्स यूनिटी के लिए आर्थिक संसाधन जुटाने की मुहिम, सभी से जुड़ने की अपील

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कठिन परिस्थियों और तमाम चुनौतियों से जूझते हुए वर्कर्स यूनिटी नामक इस मीडिया अभियान को 3 साल पूरे हो गए हैं। इस अवधि में महामारी और लॉकडाउन से उपजी कठिन परिस्थियों के डेढ़ साल भी शामिल हैं।

मजदूर वर्गीय नज़रिए वाले किसी मीडिया प्लेटफ़ार्म के वैक्यूम को भरने में इन तीन सालों में वर्कर्स यूनिटी ने अपने सीमित संसाधनों और स्रोतों की मदद से कुछ कोशिशें की हैं, जिसकी सराहना होती रही है।

इन सालों में वर्कर्स यूनिटी ने उन संभावनाओं को सिद्ध किया है जिसके आधार पर मज़दूरों का अपना एक सशक्त मीडिया खड़ा करने की एक ठोस ज़मीन की उम्मीद बंधी है।

इस दरम्यान इसके समर्थकों, प्यार करने वालों, शुभचिंतकों और उम्मीद रखने वालों का एक दायरा पूरे देश में बना है। उत्तर से लेकर दक्षिण तक, पूरब से लेकर पश्चिम तक ऐसे लोग मिल जाएंगे जो इस छोटे से भ्रूण रूप में ही सही ऐसे धारदार और जुझारू मीडिया संस्थान को निमयित और मजबूत देखना चाहते हैं ।

चूंकि इसमें, आंदोलन, मजदूर वर्ग के प्रतिरोधों, हड़ताल, उनकी समस्याओं, उनकी सफलताओं आदि पर केंद्रित रिपोर्टिंग होती है इसलिए यह स्वाभाविक है कि मज़दूर वर्ग में, ट्रेड यूनियनों में, जन संगठनों में, सांस्कृतिक अभियानों में संलग्न लोग मुख्यतया इसके प्रतिबद्ध शुभचिंतक और समर्थक हैं।

लेकिन अन्य नागरिक आंदोलनों मसलन, सीएए एनआरसी और किसान आंदोलन, की एक्सक्लूसिव और एक्सटेंसिव कवरेज के बाद से नागरिक संगठन, नागरिक समुदाय, प्रगतिशील संगठन, प्रगतिशील राजनीति में भरोसा रखने वालों और बौद्धिक जगत में भी शुभचिंतकों का एक दायरा बना है।

बहुत कम समय में वैकल्पिक मीडिया में ही सही एक सामान्य-उम्मीद बनकर उभरने के बाद इसके प्रसार की संभावनाएं बढ़ी हैं। जिस तरह से वर्कर्स यूनिटी के प्रति अपेक्षाएं बढ़ी हैं, अब हम इस मीडिया अभियान को अगले पड़ाव तक ले जाने का दबाव और ज़िम्मेदारी दोनों महसूस कर रहे हैं।

क्यों करनी पड़ रही अपील

वर्कर्स यूनिटी की ज़मीनी कवरेज ने विश्वसनीयता हासिल करने के साथ उम्मीद बढ़ाई है और देश के अन्य हिस्से से हमारे पास लगातार कवरेज करने की डिमांड आती रहती है।

लेकिन मानव संसाधन और टेक्निकल सपोर्ट की अपर्याप्तता के चलते हम चाहकर भी कई बार उन जगहों पर नहीं जा पाते जहां से बुलावा आता है।

इसीलिए अब वर्कर्स यूनिटी को एक नियमित और पेशेवराना मीडिया संस्थान की ओर ले जाए बिना, उस मकसद को पूरा नहीं किया जा सकता, जिस सोच के साथ इसकी शुरुआत हुई थी।

ये कहने की ज़रूरत नहीं कि बीते तीन सालों में बिना किसी संस्थागत फंड के, एक टीम के सीमित स्तर पर संयुक्त प्रयास और मज़दूर वर्ग की मदद से इस अभियान को अंजाम दिया जाता रहा और इस दरम्यान गंभीर संकटों और चुनौतियों का भी सामना हुआ।

अब हम वर्कर्स यूनिटी की ओर से आर्थिक संसाधन जुटाने की एक मुहिम की शुरुआत करने जा रहे हैं। इस मुहिम में उन शुभचिंतकों, समर्थकों और इसके प्रति सकारात्मक और रचनात्मक सोच रखने वालों से अपील है कि वे आगे आएं और न्यूनतम आर्थिक मदद की प्रतिबद्धता दर्शाएं।

अभियान से जुड़ने के लिए

आर्थिक संसाधन जुटाने के इस अभियान में जुड़ने के लिए आप सब्स्क्रिप्शन (नियमित योगदान) ले सकते हैं। सब्सक्रिप्शन में महीने और साल का विकल्प है।

इसके अलावा अगर आप एक बार चंदा देना चाहें तो उसका भी विकल्प मौजूद है। इसके लिए वर्कर्स यूनिटी के डोनेशन पेज पर जाएं। यहां आपको ये सारे विकल्प मौजूद मिलेंगे।

ध्यान देने की बात है कि एक बार चंदा देने के लिए आप यूपीआई (पेटीएम और भीम यूपीआई),  क्यूआर कोड या एटीएम कार्ड का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा नेटबैंकिंग का भी सहारा ले सकते हैं। जबकि सब्सक्रिप्शन के लिए एटीएम कार्ड या यूपीआई का सहारा ले सकते हैं।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें। मोबाइल पर सीधे और आसानी से पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें।)  

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