अब तो मोदी ने भी दे दी इजाज़त, क्या बिहार सरकार अपने मज़दूरों की सुध लेगी?

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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को एक सर्कुलर जारी कर बाहर फंसे हुए मज़दूरों को अपने गृह राज्यों को जाने की सशर्त इजाज़त दे दी है।

सर्कुलर में कहा गया है कि लॉकडाउन के कारण अन्य जगहों पर फंसे हुए प्रवासी मज़दूरों, तीर्थयात्रियों, टूरिस्टों, छात्रों और अन्य लोगों को अपने घर वापस लौटने की इजाज़त होगी।

इस आदेश में गृहमंत्रालय ने कहा है कि इस तरह से लोगों को वापस भेजने से पहले सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोडल अधिकारी नियुक्त करने होंगे और नियमों का पालन करना होगा।

ये नोडल अधिकारी अपने राज्यों में बाहर से आए लोगों का रजिस्ट्रेशन भी करेंगे।

आदेश में कहा गया है कि अगर लोगों का कोई समूह एक राज्य से दूसरे राज्य में जाना चाहता है तो दोनों राज्यों के बीच सड़क मार्ग से यात्रा करने देने पर सहमत होना ज़रूरी होगा।

जो लोग जा रहे हैं उनकी जांच करना ज़रूरी है और जिन्हें कोई दिक्कत नहीं है उन्हें जाने दिया जाएगा।

MHA circular

चूंकि ट्रेनें नहीं चल रही हैं इसलिए मज़दूरों को बसों से लाया जाएगा लेकिन बसों को पूरी तरह सैनेटाइज़ करना होगा और एक दूसरे से दूरी बनाने के नियम का पालन करना होगा।

आदेश में ये भी कहा गया है कि रास्ते में पड़ने वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इन बसों को जाने देंगे।

लोगों के पहुंचने पर स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा उनकी जांच की जाएगी और जबतक ज़रूरी न हो उन्हें घर पर ही क्वारंटाइन करना  होगा। ऐसे लोगों की नियमित जांच भी स्थानीय स्वास्थ्य विभाग को करना होगा।

गौरतलब है कि दूसरे दौर के लॉकडाउ के कारण प्रवासी मज़दूरों में बेसब्री बढ़ गई है और मज़दूर तीन मई के बाद अब दूसरे प्रदेशों में रुकने को राज़ी नहीं हैं।

इसे लेकर गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में मज़दूरों ने उग्र प्रदर्शन किया और यहां तक कि अपने गृह राज्य के प्रशासन पर वापस लाने का इंतज़ाम करने की मांग भी कर रहे हैं।

इन्हीं दबावों के चलते उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राजस्थान के कोटा से हज़ारों छात्रों को वापस बुलाने के लिए बसें भेजीं।

इससे पहले बनारस और हरिद्वार से दक्षिण भारत और गुजरात के तीर्थ यात्रियों के लिए बसों की व्यवस्था की गई थी।

अभी हाल ही में ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार ने राज्य से बाहर रह रहे 7.5 लाख लोगों को वापस लाने की घोषणा की थी।

ऐसी ही घोषणा यूपी, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सरकारें कर चुकी हैं।

मंगलवार को राज्यों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में इसपर चर्चा हुई लेकिन गृह मंत्री अमित शाह ने लॉकडाउ का और कड़ाई से पालन करने को कहा था।

इसी तरह मोदी के एक और मंत्री नितिन गडकरी ने इसे ग़लत परम्परा करार दिया था।

इसके बावजूद राज्य अपने यहां के मज़दूरों को वापस लाने की मुहिम आगे बढ़ा रहे हैं।

मंगलवार को ही आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार ने गुजरात के गिर सोमनाथ ज़िले में फंसे आंध्र के 4000 मछुआरों को लाने के लिए 50 बसें भेजीं।

यूपी ने भी अपने राज्य के मज़दूरों को हरियाणा से बुलाने के लिए बसें भेजी हैं।

लगता है कि बढ़ते दबाव के आगे मोदी और शाह को आखिर लॉकडाउन के नियमों में ढील देनी पड़ी है।

ट्रेड यूनियनों ने मांग की है कि प्रवासी मज़दूरों को वापस लाने के लिए केंद्र सरकार को स्पेशन ट्रेनें और बसें चलानी चाहिए।

उधर मज़दूरों की बेसब्री का आलम ये है कि अगर तीन मई के बाद भी उन्हें घर नहीं लौटने दिया गया तो वो पैदल ही चल पड़ने की चेतावनी देने लगे हैं।

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