मुंह अंधेरे बस्ती में बुलोज़र लेकर पहुंचना अवैध, दिल्ली हाईकोर्ट ने DDA को फटकारा

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दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA को निर्देश दिया है कि वह आगे से कभी किसी भी झुग्गी बस्ती में तोड़फोड़ करने से पहले दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) से सलाह ले। कोर्ट ने कहा कि DDA का किसी व्यक्ति को रातोरात आवास स्थान से हटाना मंजूर नहीं किया जा सकता।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया से मिली जानकारी के मुताबिक जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसादने शकरपुर स्लम यूनियन की याचिका पर यह आदेश जारी किया।

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संघ ने आरोप लगाया था कि पिछले साल जून को DDA ने बिना नोटिस दिए उनके इलाके में मौजूद 300 झुग्गियों को तोड़ दिया था। इनमें तमाम ऐसे लोग थे जिनकी झुग्गियां तोड़ने से पहले उन्हें अपना जरूरी सामान और ऐसे दस्तावेजों तक को समेटने का मौका नहीं दिया गया, जो उनके उस जगह के निवासी होने के दावे को सत्यापित करने में मदद करते।

पुनर्वास के साथ की मुआवज़े की मांग

संघ ने कोर्ट से DDA को यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि वह तोड़फोड़ से जुड़ी अपनी आगे की कार्यवाही को स्थगित कर दे और जब तक DUSIB की नीति के तहत इलाके सर्वे और यहां रहने वाले लोगों पुनर्वासित नहीं कर दिया जाता, तब तक इलाके की यथास्थिति बरकरार रखे।

DUSIB को यह निर्देश देने की मांग भी उठाई की वह ‘दिल्ली जे जे स्लम रीहैबिलिटेशन एंड रीलोकेशन पॉलिसी 2015’ के तहत उनका पुनर्वास करे। इसके अलावा प्रभावित लोगों को 1-1 लाख रुपये का मुआवजे दिया जाए।

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अजय माकन हो या सुदामा सिंह मामला, उन्हें डील करते हुए इस अदालत ने कभी किसी व्यक्ति को सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने का कोई लाइसेंस नहीं दिया।

हालांकि, यह अदालत मानव समस्या और आश्रय पाने के हक से डील कर रही है, जिसे अधिकार के तौर पर संरक्षित रखना अदालत का कर्तव्य है।

खासतौर पर उनके अधिकार को जिनके पास अपने परिवार और सामान के साथ जाने के लिए कोई जगह नहीं होती, यदि उन्हें आधी रात तोड़फोड़ के अभियान के बाद बेघर कर दिया गया हो तो।

कोर्ट ने कहा कि अजय माकन मामले में फैसले की व्याख्या इस तरह नहीं की जा सकती कि DUSIB से अधिसूचित न होने पर भी किसी झुग्गी बस्ती को पुनर्वास का हक होगा।

कोर्ट ने हालांकि यह भी कहा कि वह उन फैसलों में की गई टिप्पणियों को नजरअंदाज नहीं कर सकती। डीडीए को तोड़फोड़ से जुड़ी कार्रवाई करने से पहले DUSIB से सलाह लेनी चाहिए।

किसी व्यक्ति के दरवाजे पर देर शाम या तड़के बुलडोजर खड़ा करके उसे वहां से हटाया नहीं जा सकता, वह भी बिना नोटिस।

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