काम के दौरान सुरक्षा पर अंतरराष्ट्रीय कानून मानने का भारत पर दबाव बढ़ा

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औद्योगिक दुर्घटनाओं में मज़दूरों की मौत में मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इस संदर्भ में हमें जून 2022 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा मौलिक और मूल श्रम अधिकारों के हिस्से के रूप में “एक सुरक्षित और स्वस्थ कार्य वातावरण” को ध्यान में रख कर एक रिपोर्ट जारी की।

आप को बता दें कि बीते साढ़े तीन वर्षों में भिलाई स्टील प्लांट में हुए 22 हादसे और इनसभी हादसों 15 मजदूरों की मौत हुई है जबकि कई अन्य मज़दूर घायल हुए हैं।

मई 2020 में आंध्र प्रदेश के विजाग में रासायनिक और अन्य कारखानों में गैस रिसाव के कारण भी कई मज़दूरों की हालत गंभीर होने के मामले लगातार सामने आते रहते हैं।

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2 अगस्त, 2022 को अनाकापल्ली जिले में और सितंबर 2021 में विजाग में फेरोलॉयल प्लांट में भी मज़दूरों की हॉट हुए है।

साथ ही नई दिल्ली मुंडका अग्नि कांड को कौन भूल सकता है जहां एक साथ 28 मज़दूरों ने अपनी जान गवां दी थी। इन सभी दुर्घटनाओं के पीछे मुख्य कारण यही है कि मज़दूरों के लिए उनके कार्यस्थलों पर सुरक्षा के फुख्ता इंतज़ाम नहीं हैं।

ILO का अनुमान है कि दुनिया भर में लगभग 2.3 मिलियन मज़दूर हर साल काम से संबंधित दुर्घटनाओं या बीमारियों के कारण अपना जीवन गवां रहे हैं। इसका मतलब है कि हर दिन 6,000 से अधिक मौतें होती हैं।

दुनिया भर में, 340 मिलियन व्यावसायिक दुर्घटनाएं और 160 मिलियन श्रमिक सालाना काम से संबंधित बीमारियों से पीड़ित होते हैं। देशों में कोविड-19 महामारी के अनुभव ने सभी प्रकार के खतरों की विशालता पर चिंता को तेज कर दिया है।

मज़दूरों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना ज़रूरी

Deccan Herald से मिली जानकारी के मुताबिक ILO मानकों के अनुसार, आर्थिक गतिविधि की सभी शाखाओं में OSH को नियंत्रित करने और सुनिश्चित करने के लिए नियम होना चाहिए और उन्हें अनौपचारिक अर्थव्यवस्था और MSMEs सहित सभी श्रमिकों को कवर करना चाहिए।

एक पर्याप्त रूप से सुसज्जित, अच्छी तरह से सशक्त (आईएलओ के श्रम निरीक्षण सम्मेलन के अनुसार) प्रवर्तन प्रणाली मौजूद होनी चाहिए।

सरकार को व्यावसायिक दुर्घटनाओं और बीमारियों पर वार्षिक आंकड़ों की एक प्रणाली बनाए रखनी चाहिए और आंकड़ों और पूर्व से उत्पन्न होने वाली अत्यावश्यकताओं से निपटने के उपायों दोनों को प्रचारित करना चाहिए।

यह इनके खिलाफ है कि हमें भारत में OSH के संबंध में संस्थागत ढांचे का मूल्यांकन करना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों भारत में औद्योगिक दुर्घटनाएं बेतहाशा बढ़ी हैं और उनमें हज़ारों मजदूर मारे गए हैं। मोदी सरकार ने जबसे 44 श्रम कानूनों को खत्म कर उन्हें चार लेबर कोड में समेटा है, और उसे लागू करने को प्रोत्साहित कर रही है, तबसे फैक्ट्री में कार्यस्थल पर सुरक्षा के मानकों में भारी लापरवाही बरती जा रही है। इन लेबर कोड का ट्रेड यूनियनें शुरू से ही विरोध कर रही हैं।

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