जानिए किस तरह का खानपान घटा सकता है आपका शुगर लेवल?

अगर आप भी प्री-डायबिटिक हैं, तो खानपान में थोड़ा-सा बदलाव करके आप अपने शुगर लेवल को मेंटेन रख सकते हैं ।

इसके लिए आपको खाने की थाली में बस सफेद चावल और रिफाइंड गेहूं यानि रोटियों का सेवन कम करना है।

साथ ही प्रोटीन का सेवन बढ़ाने पर जोर देना होगा और खाने की थाली में दाल एवं मांसाहार की डोज को बढ़ाना होगा। इससे उन लोगों का रोग दूर हो सकता है, जो नए-नए डायबिटीज की चपेट में आए हैं।

वर्कर्स यूनिटी को सपोर्ट करने के लिए सब्स्क्रिप्शन ज़रूर लें- यहां क्लिक करें

दवाओं की नहीं होगी जरूरत

खास बात यह है कि खानपान बदलने के बाद दवाओं के सेवन की जरूरत भी नहीं होगी। यह नतीजा देशभर में हुई एक रिसर्च में सामने आई है।

इंडियन एक्सप्रेस से मिली जानकारी के मुताबिक इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने इसमें सहयोग किया था। यह रिपोर्ट आईसीएमआर-इंडिया डायबिटीज स्टडी डायबिटीज केयर (ICMR-INDIAB) में प्रकाशित हुई थी।

रिसर्च के तहत कुल 18 हजार 90 वयस्कों की खाने-पीने की आदतों पर शोध किया गया। एक डायट चार्ट बनाया गया, जिसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को 54 फीसदी तक घटा दिया गया।

इसी तरह प्रोटीन को 20 फीसदी बढ़ाया गया। जबकि, फैट यानी वसा को 20 प्रतिशत पर रखा गया।

इस डायट चार्ट का मकसद था कि जिन लोगों में हाल में डायबिटीज की बीमारी उजागर हुई है या फिर जो लोग बीमारी की चपेट में आने के कगार पर हैं, उनमें शुगर के खतरे को दूर करना।

रिचर्स में सामने आई बातें 

डायट चार्ट के जरिए डॉक्टर और शोधकर्ता एचबीए1सी (HbA1c) को तीन महीने तक साढ़े 6 फीसदी के नीचे रखने में सफल रहे। सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसा परिणाम बिना दवा के हासिल किया।

बता दें कि HbA1c खून में ग्लूकोज लेवल मापने का तरीका है और इसी से डायबिटीज का पता लगाया जाता है तथा मरीज में शुगर लेवल पर नजर रखी जाती है।

प्री-डायबिटीज यानी जिनमें डायबिटीज का खतरा बेहद ज्यादा है, उनमें HbA1c का स्तर 5.6 प्रतिशत से नीचे होना चाहिए। तभी कहा जा सकता है कि बीमारी में सुधार हुआ है।

खाने में कार्बोहाइड्रेट कम करना कितना जरूरी?

रिसर्च में हिस्सा लेने वाले लोगों में से 1,594 में हाल में डायबिटीज का पता चला था। वहीं, 7,336 लोग प्री-डायबिटीज वाले थे। बाकी लोग सामान्य ग्लूकोज स्तर के थे।

कलासलिंगम अकैडमी ऑफ रिसर्च के वैज्ञानिकों ने ऐसा गणितीय मॉडल तैयार किया, जिससे इन लोगों के खानपान में मैक्रोन्यूट्रिएंट को लेकर एक चार्ट बनाने में मदद मिली।

खाने में मैक्रोन्यूट्रिएंट की मात्रा के माध्यम से शुगर स्तर नियंत्रित किया गया, जो डायबिटीज के नए रोगी थे, उनमें सुधार हुआ और जिन लोगों पर खतरा मंडरा रहा था, वे सामान्य होने की ओर बढ़े।

इस गणितीय मॉडल के हिसाब से डायबिटिक लोगों को 49 से 54 फीसदी कार्बोहाइड्रेट, 19 से 20 प्रतिशत प्रोटीन और 21 से 26 फीसदी फैट लेने को कहा गया था।

इसी तरह से प्री-डायबिटिक लोगों को रोज के आहार में 50 से 56 फीसदी कार्बोहाइड्रेट, 18 से 20 प्रतिशत प्रोटीन और 21 से 27 प्रतिशत फैट लेने की सलाह दी गई।

एक्सपर्ट की राय

एक आदर्श खाने के प्लेट के संबंध में रिसर्च से जुड़े डॉक्टर मोहन कहते हैं कि आलू जैसी स्टार्च वाली सब्जियां नहीं होनी चाहिए। इसकी जगह कोई भी हरी पत्तेदार सब्जियां, बीन्स, पत्तागोभी, फूलगोभी खाने की प्लेट में हो सकता हैं।

इन्हें हर दिन बदला जा सकता है। थाली के एक चौथाई हिस्से में प्रोटीन होना चाहिए। जैसे मछली, चिकन या सोया। इसके साथ ही थोड़ी मात्रा में चावल या एक या अधिकतम दो चपातियां होनी चाहिए।

वी मोहन कहते हैं कि इतने बड़े पैमाने पर रिसर्च करने से खानपान और सांस्कृतिक विविधता को शामिल करने में मदद मिली है। ऐसे में इस रिसर्च के सीख को पूरे देश पर आजमाया जा सकता है।

बता दें कि भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। एक अनुमान के मुताबिक 7 करोड़ 40 लाख लोग इस बीमारी की चपेट में हैं। जबकि 8 करोड़ लोग प्री-डायबिटिक हैं।

(वर्कर्स यूनिटी स्वतंत्र निष्पक्ष मीडिया के उसूलों को मानता है। आप इसके फ़ेसबुकट्विटर और यूट्यूब को फॉलो कर इसे और मजबूत बना सकते हैं। वर्कर्स यूनिटी के टेलीग्राम चैनल को सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.