गुड़गांव: आखिर श्रम विभाग क्यों नहीं देना चाहता ठेका मज़दूरों को यूनियन की सदस्यता का अधिकार ?

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ठेका मजदूरों को यूनियन की सदस्यता देने की बहस को शुरू करते हुए हरियाणा के आईएमटी मानेसर स्थित मारुति सुज़ुकी की कंपोनेंट मेकर बेलसोनिका प्रा. लि. कंपनी की मज़दूर यूनियन ने हरियाणा श्रम विभाग में अपनी मांगों का एक पत्र गया था।

जिसके बाद श्रम आयुक्त-सह-रजिस्ट्रार ने यूनियन के ठेका मज़दूरों को यूनियन के सदस्य बनाने वाले पत्र पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह यूनियन के संविधान के नियम 5 के खिलाफ है। साथ ही कहा गया है कि कोई जवाब नहीं मिलने की स्थिति में यूनियन के खिलाफ ट्रेड यूनियन एक्ट, 1926 के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जा सकती है।

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यूनियन ने लगभग एक साल पहले बेलसोनिका प्लांट में काम करने वाले एक ठेका मज़दूर (केशव राजपूत) को अपनी यूनियन का सदस्य बनाया था। जिसके बाद 5 सितम्बर को श्रम विभाग ने यूनियन से स्पष्टिकरण मांगा था और 20 दिनों में जवाब देने को कहा गया है।

श्रम विभाग ने सदस्यता को कहा अवैद्य

इतना ही नहीं एक पत्र के माध्यम से श्रम विभाग ने ठेका मज़दूरों को यूनियन का सदस्य होने की बात को अवैद्य करार दिया है। साथ ही कहा गया है कि कोई जवाब नहीं मिलने की स्थिति में यूनियन के खिलाफ ट्रेड यूनियन एक्ट, 1926 के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

बेलसोनिका यूनियन के महा सचिव अजीत सिंह का कहना है कि फैक्ट्री में काम करने वाले हर मज़दूरों को यूनियन का सदस्य होने का संवैधानिक अधिकार है। अब चाहे वह परमानेंट मज़दूर हो या ठेका मज़दूर।

यूनियन का कहना

उन्होंने बताया बेलसोनिका यूनियन ने ठेका मज़दूर को यूनियन का सदस्य बनाने की घोषणा 16 अक्टूबर 2020 को एक बैठक के माध्यम से की थी। जिसके लगभग एक साल बाद अगस्त 2021 में एक ठेका मज़दूर केशव राजपूत को यूनियन के सदस्य के रूप में जोड़ लिया।

उनका कहना है कि ठेका मज़दूर को यूनियन का सदस्य बनाने के बाद प्रबंधन ने इस साल, 23 ​​अगस्त को एक पत्र में बेलसोनिका यूनियन के पंजीकरण को कैंसिल करने की बात कही है। प्रबंधन चाहता है कि बेलसोनिका यूनियन तत्काल ठेका मज़दूर की सदस्यता को रद्द कर दे।

बेलसोनिका यूनियन ने अपने जवाब में कहा है कि ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 के अनुसार फैक्ट्री में काम करने वाले हर मज़दूर को यूनियन का सदस्य होने का पूरा अधिकार है। उनका कहना है कि ठेका मज़दूर को यूनियन का सदस्य बना कर यूनियन ने किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया है।

उनका आरोप है कि प्रबंधन केवल बेलसोनिका यूनियन का डी-रजिस्टर करने का प्रयास कर रही। जिसका यूनियन और मज़दूर डट कर सामना करेंगे।

क़ानूनी पक्ष

श्रम कानून के वकील मोनू कोहाड़ ने कहा कि बेलसोनिका यूनियन ठेका श्रमिकों को सदस्यता देने वाली बात क़ानूनी रूप से ठीक हैं। उनका कहना है कि आज़ादी से पहले आये ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 के अनुसार, फैक्ट्री में काम करने वाला हर तरह के वर्कर को ट्रेड यूनियन का सदस्य होने का अधिकार है। यहां तक कि नौकरी छोड़ने या हटाए गए मज़दूरों को ट्रेड यूनियन के साथ जुड़े रहने का पूरा अधिकार है।

उनका कहना है कि राजनैतिक कारणों के चलते कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को यूनियन की सदस्यता से दूर रखा जाता है। जबकि ट्रेड यूनियन एक्ट में इस चीज़ का जिक्र कहीं भी नहीं है।

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गौरतलब है कि ठेका मज़दूरों को यूनियन कि सदस्यता देने का मामला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि गुरुग्राम-मानेसर-बावल ऑटोमोटिव बेल्ट में लगभग सभी यूनियनों में केवल नियमित मज़दूर ही यूनियन के सदस्य हैं।

आप को बात दें कि बेलसोनिका प्लांट में मज़दूरों और प्रबंधन के बीच पिछले दो सालों के लगातार तनाव बना हुआ है। प्रबंधन अपने हर प्रयास से मज़दूरों को परेशान करने की कोशिश कर रहा है। मज़दूरों की अंधाधुन्द छंटनियाँ के प्रयास जारी हैं। मज़दूरों को यूनियन के खिलाफ भड़काया जा रहा है। झूठे आरोप लगा कर मज़दूरों को निलंबित किया जा रहा है।

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