मारुति: जेल में बंद साथी की रिहाई के लिए 18 जुलाई को रैली का ऐलान

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हरियाणा के आईएमटी मानेसर में स्थित मारुति सुजुकी प्लांट के गुडगांव यूनियन के सदस्यों व अन्य संगठनों ने जेल में बंद अपने एक साथी मज़दूर की रिहाई के लिए 18 जुलाई को रैली करने का ऐलान किया है।

गौरतलब है कि मारुति आंदोलन के दौरान 18 जुलाई 2012 को एक घटना हुई जिसके बाद हज़ारों मज़दूरों को नौकरी से निकाल दिया गया था और सैकड़ों को जेल में डाल दिया गया था।

इसमें कोर्ट ने 13 मज़दूर नेताओं को आजीवन कारावास की सज़ा हुई थी जिसमें एक मज़दूर नेता की ज़मानत अभी भी बाकी है।

बैठक में मारुति सुजुकी गुडगांव यूनियन, मारुति सुजुकी मानेसर यूनियन, पावरट्रेन मानेसर यूनियन, सुजुकी बाइक खेड़की दौला यूनियन, सनबीम यूनियन गुडगांव व बेलसोनिका यूनियन मानेसर ने भाग लिया।

बैठक में तय किया गया कि 18 जुलाई को रैली के माध्यम से सामूहिक ज्ञापन डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर को सौंपा जायेगा।

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बैठक में मुख्य रूप से संस्थानों के अंदर मज़दूरों को होने वाली समस्यों और 18 जुलाई 2012 को मारुति के 546 मज़दूरों को गैर क़ानूनी तौर पर नौकरी से निकाले गए मज़दूरों की कार्य बहाली  के मुद्दे पर चर्चा की गयी।

बैठक में यूनियन सदस्यों ने नए लेबर कोड को मज़दूर विरोधी बताया और इसे सरकार से तत्काल वापस लिए जाने की मांग की है।

वर्कर यूनिटी से बातचीत के दौरान बेलसोनिका मज़दूर यूनियन के सदस्य मोहिंदर ने कहा, “बेलसोनिका में पिछले कई सालों से हम सभी संगठन की बैठक का आयोजन करने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन हर बार संसथान के अधिकारी हमें बैठक करने की अनुमति नहीं देते थे।”

“आज भी बेलसोनिका मैनेजमेंट के सदस्यों ने प्लांट के अंदर बैठक का आयोजन करने से इंकार कर दिया। जिसके बाद सभी ने मारुति प्लांट के अंदर स्थित यूनियन ऑफिस में  बैठक का आयोजन किया।”

साथ ही उन्होंने बताया कि “मारुति के मानेसर प्लांट में 18 जुलाई, 2012 को हुई घटना के बाद 13 मज़दूरों पर झूठे आरोप लगा कर जेल में बंद कर दिया गया था और भारी संख्या में मज़दूरों को नौकरी से निकाल दिया गया था। आगामी 18 जुलाई को इस घटना को 10 साल पूरे हो जायेंगे। लेकिन आज भी जेल में बंद एक साथी मज़दूर को रिहा नहीं किया गया है।”

“जेल में बंद साथी मज़दूर की रिहाई और नौकरी से निकाले गए सभी मज़दूरों की कार्य बहाली के मुद्दों को ध्यान में रख कर एक महा रैली का आयोजन 18 जुलाई को किया जायेगा।”

 

 3000 कर्मचारी हुए थे बर्खास्त

मारुति के मानेसर प्लांट में 18 जुलाई, 2012 को हिंसा के बाद तकरीबन 3000 कर्मचारी बर्खास्त किए गए थे। इसमें 546 स्थाई कर्मचारी,  2500  ठेका मज़दूर थे।

उल्लेखनीय है कि मारुति सुजुकी, मानेसर के प्रबंधन द्वारा 18 जुलाई, 2012 को प्लांट में साजिशपूर्ण घटना के बाद से 13 मज़दूरों पर झूठे आरोप लगा कर जेल में बंद कर दिया गया था। जिसमें से एक मज़दूर को अभी तक रिहा नहीं किया गया है।

इसी संघर्ष और ग़ैरमुंसिफ़ाना सजा के दौरान दो साथियों- पवन दहिया व जिया लाल की बीते साल दुर्भाग्यपूर्ण दुखद मौत हो गई थी।

काफी मशक्कत से जमानत मिलने के बावजूद अन्यायपूर्ण उम्र क़ैद झेलते इन सभी साथियों की बेगुनाही के लिए क़ानूनी लड़ाई अभी जारी है।

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