रेलवे की जमीनों को एक रुपए में बेचेगी मोदी सरकार, कैबिनेट में पास

मोदी सरकार ने भारतीय रेलवे की जमीनों को एक रुपए में बेचने की नई भूमि पट्टा नीति को मंजूरी दे दी है। पूरे देश में भारतीय रेलवे के पास में लगभग 4.84 लाख हेक्टेयर जमीन है, जिसमें से 0.62 लाख हेक्टेयर खाली पड़ी है। इसमें वह भूमि शामिल है जो पटरियों के समानांतर है।

केंद्र के एक फैसले के अनुसार, रेलवे की जमीन का इस्तेमाल अब 35 साल के लिए 1 रुपये प्रति वर्ग मीटर प्रति वर्ष की दर से सोलर प्लांट, सीवेज और वाटर ट्रीटमेंट सुविधाएं स्थापित करने के लिए किया जा सकता है।

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इसके अलावा, पीपीपी के माध्यम से इन जमीनों का इस्तेमाल अस्पतालों और केंद्रीय विद्यालय संगठन के साथ स्कूलों को 1 रुपये प्रति वर्ग मीटर प्रति वर्ष में 60 वर्ष तक के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

सरकार ने विभिन्न संस्थाओं के लिए लंबी अवधि के पट्टे पर रेलवे की जमीन पर इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना आसान और सस्ता बना दिया है।

इनमें कार्गो से संबंधित उद्यम, पब्लिक यूटिलिटी की चीजें, नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं और यहां तक कि स्कूल भी शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रेलवे की नई भूमि पट्टा नीति को मंजूरी दी है। नीति में संशोधन का जोर पूरे रेलवे नेटवर्क में कार्गो टर्मिनल स्थापित करने में मदद करना है।

सरकार रसद लागत को कम करने और अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए रेलवे में माल ढुलाई के एक सामान्य बदलाव को प्रोत्साहित करना चाहती है।

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रेलवे की जमीन पर कार्गो टर्मिनलों और कार्गो से संबंधित गतिविधियों की स्थापना पर दर जमीन के मौजूदा बाजार मूल्य के 1.5 फीसदी सालाना की दर से लगेगी और 35 साल तक मुद्रास्फीति के लिए 6 फीसदी की वार्षिक वृद्धि होगी।

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने रेलवे की तमाम सेवाएं निजी हाथों मे देने, ठेका कर्मियों को नियुक्त करने के काम को भी रफ़्तार दे दी है। 2023 तक भारी संख्या में ट्रेनों को प्राइवेट हाथों में सौंप दिया जायेगा।

मोदी सरकार देश में निजीकरण के माध्यम से मज़दूरों को आधुनिक गुलाम बनाना चाहती है। सभी क्षेत्रों में निजीकरण होने के बाद कुछ ही व्यक्तियों के पास पूरी तरह से पूंजी का केन्द्रीयकरण हो जायेगा।

साफ तौर नजर आ रहा है कि मोदी सरकार लगातार बड़े उद्योगपतियों की जेब भरती जा रही हैं। देश की जनता से GST की दरों में बेतहाशा वृद्धि कर पैसे ऐंठे जा रहे हैं।

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