अधिकांश राज्य तैयार, ट्रेड यूनियनों के विरोध के बावजूद लेबर कोड लागू करने पर अड़ी मोदी सरकार

केंद्र सरकार नए लेबर कोड (Labour Code) को लागू करने की तैयारी में है । हालांकि, इसे पूरी तरह से कब लागू किया जाएगा, इसपर अभी सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयाना नहीं लागू किया गया है।

अब मोदी सरकार दो कोडों, द कोड ऑन वेजेज (The Code on Wages) और द कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी(The Code on Social Security) के साथ नए लेबर कोड लाने की तैयार में है।

गौरतलब है नए लेबर कोड का मज़दूरों और मज़दूर यूनियनों द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा है इसके बावजूद मोदी सरकार नए लेबर कोड को आनन फानन में लागू करना चाहती है।

वही दूसरी तरफ औद्योगिक संबंध संहिता (The Industrial Relations Code) और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति संहिता (The Occupational Safety, Health and Working Conditions Code) को बाद में लागू करने का विचार बना रही है।

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आज तिरुपति में नए लेबर कोड को लागू करने के सम्बन्ध में दो दिवसीय राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इस सम्मलेन में सभी राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्र के श्रम मंत्रियों और सचिवों ने हिस्सा लिया।

द इंडियन एक्सप्रेस से मिली जानकारी के मुताबिक एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने संकेत दिया है कि लगभग सभी राज्यों के मंत्री नए लेबर कोड को लागू करने के लिए तैयार हैं। जिसमें से कुछ राज्यों ने नए लेबर कोड के अंदर आनेवाले द कोड ऑन वेजेजएक के नियमों को लागू भी कर दिया है।

वेतन को लेकर जताई चिंता

उनका कहना है कि “सभी हितधारकों के साथ कई चर्चाएं हुई हैं। वेतन प्रावधान को लेकर चिंता जताई गई कि क्या भत्ते 50 फीसदी से अधिक हो सकते हैं।

उन्हें सुलझा लिया गया है और हम अन्य मुद्दों पर आम सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं। अधिकांश राज्यों में वेतन संहिता के लिए मसौदा नियम पहले से ही लागू हैं, और बाकी के लिए भी वे इसे लागू करने की तैयारी में हैं।

राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में विभिन्न मुद्दों पर आम सहमति बन गई है, जैसे कि कुल वेतन के 50 फीसदी पर भत्तों का प्रावधान, जिसके लिए उद्योग ने पहले समीक्षा की मांग की थी। कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) सहित उद्योग के प्रतिनिधियों ने हाल ही में श्रम और रोजगार मंत्रालय के अधिकारियों के साथ अपनी बैठक में वेतन नियमों के लिए अपनी सहमति दी और ग्रेच्युटी की गणना के लिए प्रस्तुतीकरण दिया हैं।

CII ने मुख्य रूप से मजदूरी की गणना और वेतन के मुद्दे पर स्पष्टता की सिफारिश की। इसने यह भी मांग की है कि नए कानून के साथ ग्रेच्युटी की गणना संभावित होनी चाहिए।

राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में प्रधान मंत्री मुख्य रूप से प्रवासी मज़दूरों के डेटा और कार्यबल के लिए विजन -2047 पर चर्चा करेंगे। साथ ही श्रम संहिताओं के रोलआउट पर कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।

विशेषज्ञों ने कहा कि आचार संहिता को चरणबद्ध तरीके से लागू करने से केंद्र को आम चुनाव से पहले बढ़त मिलेगी।

आप को बता दें कि इकतीस राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) ने वेतन संहिता के लिए नियमों का मसौदा पूर्व-प्रकाशित किया है, जबकि 26 ने औद्योगिक संबंध संहिता के लिए किया है। 25 राज्यों ने सामाजिक सुरक्षा संहिता के लिए मसौदा नियम पूर्व-प्रकाशित किए हैं और 24 ने व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति संहिता के लिए किया है।

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