नागालैंड में 14 मजदूरों की हत्या करने वाले 30 फौजियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर, घात लगा हत्या का आरोप

पिछले साल दिसंबर में नागालैंड के मोन जिले में 14 मज़दूरों की हत्या के मामले में एक मेजर समेत 30 फौजियों पर नामजद चार्जशीट दायर किया गया है।

घटना की जांच के लिए नागालैंड सरकार ने विशेष जांच दल गठित किया था जिसने अपने आरोप पत्र में इन सैनिकों को आरोपी बनाया है।

चार्जशीट में एक मेजर, 2 सूबेदार, 8 हवलदार, 4 नायक, 6 लांस नायक और 9 पैराट्रूपर सहित 21 पैरा स्पेशल फोर्स की ऑपरेशन टीम के 30 सदस्यों पर आरोप पेश किए गए।

नागालैंड पुलिस ने सोम जिले के ओटिंग तिरु इलाके में 4 दिसंबर 2021 को हुए एक सैन्य अभियान को लेकर एक मेजर सहित 21 पैरा स्पेशल फोर्स के 30 जवानों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है।

घटना के दिन बिना चेतावनी दिए अर्द्धसैनिक बलों के इन जवानों ने रात के अंधेरे में घर लौट रहे इन मज़दूरों पर फायरिंग कर दी थी। चार्जशीट में इन जवानों पर हत्या और गैर इरादतन हत्या की धाराएं लगाई गई हैं।

चार्जशीट में सैनिकों की टीम पर हत्या और गैर इरादतन हत्या का आरोप लगाया गया है।

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इस जघन्य घटना के बाद पब्लिक का गुस्सा भड़क गया और असम राइफल्स के जवानों ने भीड़ पर अंधाधुन गोली चला दी जिसमें सात नागरिक मारे गए।

आईपीसी के तहत मामला फिर से दर्ज

चार्जशीट से पहले की जांच में पाया गया कि स्पेशल फोर्स ऑपरेशन टीम ने मानक संचालन प्रक्रिया (SoP) और नियमों का पालन नहीं किया था और अंधाधुंध और अनुपातहीन गोलीबारी का सहारा लिया गया था, जिससे छह नागरिकों की तत्काल मौत हो गई और दो और गंभीर रूप से घायल हो गए।

शनिवार को चुमौकेदिमा पुलिस परिसर में एक प्रेस कांफ्रेंस में नागालैंड के पुलिस महानिदेशक (DGP) टी जॉन लोंगकुमर ने कहा कि “तिजित पुलिस स्टेशन का मामला ओटिंग घटना से संबंधित है, जहां 4 दिसंबर, 2021 को गलत पहचान के परिणामस्वरूप आतंकवादियों के लिए घात लगाकर किए गए हमले में ग्रामीण मारे गए थे।”

उन्होंने कहा कि, “राज्य अपराध पुलिस स्टेशन ने 5 दिसंबर को भारतीय सेना के अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ धारा 302, 304 और 34 आईपीसी के तहत मामला फिर से दर्ज किया गया और जांच एक विशेष जांच दल (एसआईटी) को सौंप दी गई।”

उन्होंने कहा कि एसआईटी की जांच पूरी हो गई है और चार्जशीट जिला एवं सत्र न्यायालय, सोम को 30 मई 2022 को सहायक लोक अभियोजक के माध्यम से मिली थी।

नागालैंड के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) संदीप तमगडगे ने बताया था कि “85 नागरिकों और 37 सुरक्षा कर्मियों, जिनमें 31 सेना के जवान शामिल हैं सभी आरोपियों की जांच की गई है साथ ही जांच के लिए टीम का गठन भी किया गया है।”

क्या हुआ था?

बीते साल दिसंबर माह में नगालैंड के मोन जिले में कथित तौर पर सुरक्षाबलों ने ग्रामीण मजदूरों को उग्रवादी समझकर उन पर गोलियां चला दी थीं।

इस घटना में कम से कम 13 ग्रामीणों की मौत हो गई थी, जबकि 11 अन्य घायल हो गए थे।

ये सभी ग्रामीण म्यांमार से सटे गांव ओटिंग के थे। घटना के बाद मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने शांति की अपील करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताया था।

ईस्ट मोजो के अनुसार, तिरु-ओटिंग रोड पर एक गुप्त सूचना के आधार पर सुरक्षा बलों ने डेरा डाला था। इसी दौरान ग्रामीण उधर से आ गए थे, आरोप है कि सुरक्षा बलों ने उनपर बिना चेतावनी के गोलियां बरसा दीं।

इसमें कई लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल भी हो गए थे। सुरक्षाकर्मियों की ओर की गई कार्रवाई के बाद ग्रामीण आक्रोश में आ गए और सुरक्षाबलों का घेराव कर उनकी गाड़ी में आग लगा दी थी।

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असम राइफल ने बिठाई कोर्ट ऑफ इंक्वायरी

असम राइफल्स की ओर से घटना पर बयान जारी किया गया था। जिसमें कहा गया था कि उग्रवादियों के एक संभावित गतिविधि की खुफिया जानकारी के आधार पर सोम जिले में विशेष अभियान की योजना बनाई गई थी।

इस दौरान हुई मौतों के कारण की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी बिठाई गई है। घटना पर असम राइफल्स ने खेद व्यक्त किया था।

उनकी तरफ से कहा गया कि विरोध प्रदर्शन के दौरान 21 पैरा स्पेशल फोर्स टीम के 14 कर्मियों को हाथापाई के परिणामस्वरूप चोटें आईं। इसके चलते मेजर ने रात करीब 10 बजे गोली चलाने का आदेश दिया। इस घटना में सात ग्रामीणों को गोली मार दी गई थी।

ये मामला इतना तूल पकड़ गया था कि भारत सरकार ने भी इसपर माफी मांगी और मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया था। स्थानीय नागरिकों ने छह महीने तक लगातार आंदोलन चलाया। जगह जगह  लोगों ने बोर्ड लगा दिए थे कि निर्दोष लोगों की हत्या करना बंद करो।

यहां तक कि कई कबीलाई इलाकों में भारतीय सेना का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया था।

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